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मंगलवार, 12 मई 2015

राजस्व मंत्री के क्षेत्र में राजस्व विभाग गायब !

-कुमाऊं मंडल के अपर आयुक्त की वार्षिक निरीक्षण आख्या में की गई है टिप्पणी-बाजपुर तहसील में राजस्व विभाग का कार्य किया जाना ही दृष्टिगोचर नहीं होता
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं मंडल के अपर आयुक्त की वार्षिक निरीक्षण आख्या में बाजपुर तहसील के बारे में टिप्पणी की गई है कि बाजपुर तहसील के अंतर्गत राजस्व न्यायालय व राजस्व अभिलेखों को अद्यतन किए जाने तथा राजस्व संग्रह, जो कि राजस्व विभाग के मूलभूत कार्य हैं, के संबंध में राजस्व विभाग का कार्य किया जाना ही दृष्टिगोचर नहीं होता है। वहां सक्षम राजस्व अधिकारी यानी तहसीलदार राजस्व विभाग के मौलिक कार्यों को करने में कोई रुचि रखते हुए प्रतीत नहीं होते, एवं राजस्व विधियों का पालन जनहित में करने के बजाय उनका दुरुपयोग अधिनियमित एवं संवैधानिक व्यवस्थाओं के विपरीत किया जाना स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। रिपोर्ट में बाजपुर तहसील के राजस्व विभाग पर अनेकों टिप्पणियां की गई हैं, तथा प्रभारी तहसीलदार को कदाचार का दोषी भी ठहराया गया है।
उल्लेखनीय है कि बाजपुर प्रदेश के राजस्व मंत्री यशपाल आर्य का विधान सभा क्षेत्र है। पूर्व में इस क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ तत्कालीन नैनीताल रेंज के डीआईजी संजय गुंज्याल द्वारा कार्रवाई करने पर प्रदेश की चार में दो पुलिस रेंजों को ही समाप्त कर राज्य की पुलिस व्यस्था ही बदल दी गई थी। इधर अपर आयुक्त कुमाऊं जगदीश कांडपाल द्वारा बीती १५ मार्च को किए गए बाजपुर तहसील के वार्षिक निरीक्षण और इसकी एक अप्रैल को आयुक्त तथा ऊधमसिंह नगर जिले के डीएम एव एसडीएम आदि को भेजी गई रिपोर्ट 'राष्ट्रीय सहारा"  के हाथ लगी है। रिपोर्ट के बिंदु संख्या एक के अनुसार अपर आयुक्त को निरीक्षण के लिए प्रस्तुत की गई पुस्तिका राजस्व नियम संग्रह के अध्याय १८ के अनुसार नहीं थी, उसमें अनेक त्रुटियां तथा कई प्रपत्र संलग्न नहीं किए गए थे, इसके लिए प्रभारी तहसीलदार सुदेश चंद्र को साफ तौर पर कदाचार का दोषी ठहराया गया है। कहा गया है कि श्री चंद्र के द्वारा तहसील का आंतरिक निरीक्षण तथा संग्रह कार्य का पर्यवेक्षण भी नहीं किया गया है। अभिलेखों के अनुसार तहसीलदार न्यायालय में ८६ वाद विचाराधीन बताए गए, लेकिन चंद्र नहीं बताए गए कि कितरे वाद विवादित हैं। उनके द्वारा कभी भी वादों की सुनवाई नहीं की गई, व विचाराधीन वादों को नायब तहसीलदार से निस्तारित करवाया गया। विविध देवों के २६ मदों में २२२.७७ लाख की मांग के सापेक्ष फरवरी तक १८८.७८ लाख यानी ८४.७४ फीसद की वसूली दर्शाई गई, जबकि १० बड़े बकाएदारों से ही १०५ लाख की वसूली अवशेष पाई गई, यानी वास्तविक मांग करीब १५ करेाड़ को छिपा कर अधिक वसूली दिखाई गई। राजकीय देयों की भी करोड़ों रुपए की वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। रिपोर्ट के अनुसार खतौनियों के रखरखाव व उनमें भूलेख नियमावली की प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन व क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण बताया गया है, साथ ही आर-६ पंजिका में भी निर्धारित व्यवस्थाओं का अनुसरण नहीं किया गया है। इस बारे में ऊधमसिंह नगर के डीएम को कार्रवाई करनी थी। पूछे जाने पर डीएम पंकज पांडेय का कहना है कि प्रभारी तहसीलदार ने आगे से ऐसी कमियां न होने की बात कही है। अनुपालन रिपोर्ट कुमाऊं आयुक्त को एक-दो दिन पहले ही भेज दी गई है। मामला प्रदेश के राजस्व मंत्री के क्षेत्र से संबंधित होने के कारण अधिकारी मामले में कोई कार्रवाई करने या जवाब देने से भी बच रहे हैं।

योजनाबद्ध तरीके से भूमिहीन किया जा रहा एसटी के काश्तकारों को

नैनीताल। अपर आयुक्त की टिप्पणी रिपोर्ट के बिंदु संख्या १० में बाजपुर तहसील में अनुसूचित जनजाति के काश्तकारों की भूमि योजनाबद्ध तरीके से विक्रय कर उन्हें भूमिहीन किए जाने का अप्रत्यक्ष कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के लिए पंजिका संख्या-४ को माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया गया है। मद संख्या १८५ व १९४ में क्रमश. १.७ लाख व १४.१ लाख रुपए की धनराशि एसटी के व्यक्ति की भूमि को बिना व्यापक प्रचार-प्रसार के तथा जमींदारी आकार पत्र ७३ (क) के तहत अनुमति लिए बिना ही नीलाम करने से प्राप्त हुई है। इसमें से ६.२८ लाख रुपए संबंधित काश्तकार गोविंद सिंह को नगद भुगतान दिया गया है, जो कि नियमविरुद्ध है।

मूलतः यहाँ देखें-राष्ट्रीय सहारा, देहरादून। १३ मई २०१५ , पेज-१। 


सोमवार, 12 जनवरी 2015

चीन से आगे निकलने को 25 लाख की 'नेग' देगा उत्तराखंड


एक पखवाड़े में ही 22 में से 17 सांगठनिक जिलों में बने 3.75 लाख सदस्य
नैनीताल (एसएनबी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के रथ पर सवार  भाजपा उत्तराखंड में अपनी सदस्य संख्या मौजूदा छह लाख से चार गुना से भी अधिक बढ़ाकर 25 लाख करने की ओर आगे बढ़ रही है। पार्टी के महा सदस्यता अभियान प्रदेश प्रभारी पूर्व काबीना मंत्री बलवंत सिंह भौंर्याल ने खुलासा किया। उन्होने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी को उत्तराखंड में 15 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया था, लेकिन प्रदेश के भाजपाइयों ने  प्रधानमंत्री मोदी के भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी 10 करोड़ सदस्यों वाली पार्टी बनाने और चीन से आगे निकलने के लिए इस लक्ष्य को स्वयं ही करीब दो गुना कर 25 लाख की 'नेग' देने का फैसला किया है, तथा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जुटे हुए हैं। 25 दिसम्बर को पूर्व पीएम बाजपेयी के जन्मदिन से शुरू हुए अभियान के तहत करीब एक पखवाड़े में ही 3.75 लाख लोगों के पार्टी की सदस्यता दिला दी गई है। 

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भौंर्याल सोमवार (12.01.2015) को मुख्यालय में नैनीताल जनपद की सदस्यता अभियान संबंधी समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आमजन के लिए कायरे का परिणाम है कि बड़ी संख्या में आमजन ही नहीं, कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ता एवं जनप्रतिनिधि भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं। नैनीताल जनपद को 40 हजार लोगों को संगठन से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें से 16 हजार लोग पखवाड़े भर के भीतर ही जुड़ गए हैं। बताया कि मोबाइल फोन से मिस कॉल के जरिए पार्टी से जुड़ने के लिए 31 मार्च तक की समय सीमा तय है, लेकिन प्रदेश में पार्टी ने तय किया है कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए 15 फरवरी से ही मोबाइल फोन की सुविधा विहीन दूरस्थ क्षेत्रों में आगामी 15 फरवरी से ही परंपरागत रसीद बुक वाले तरीके से सदस्यता देने की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौरागढ़, डीडीहाट व चंपावत सांगठनिक जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों की समीक्षा तथा सभी जिलों के एक-एक दूरस्थ गांवों में वह स्वयं लोगों को सदस्यता दिला चुके हैं। बैठक में पार्टी जिलाध्यक्ष देवेंद्र ढैला, जिला सदस्यता प्रमुख रघुवर जोशी, विधायक दान सिंह भंडारी, पूर्व काबीना मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट, खीमानंद शर्मा, बालम मेहरा, गोपाल रावत, हेम आर्या, दिनेश आर्या, मनोज साह, हुकुम सिंह कुंवर, ममता पलड़िया, शांति मेहरा, बिमला अधिकारी, भुवन हरबोला, तेज सिंह बिष्ट, संजय कुमार संजू सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। 

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

प्रधान पतियों के ठेंगे पर सरकारी फरमान


महिला जनप्रतिनिधियों ने कहा लगातार हों पंचायतों, बीडीसी की बैठकें, मिले मानदेय
नैनीताल (एसएनबी)। महिला जनप्रतिनिधियों ने बताया कि अब सरकारी फरमान के बाद पंचायतों एवं बीडीसी बैठकों में प्रधानपतियों का बैठकों में तो प्रवेश रुक गया है, लेकिन अब भी वह अधिकारियों के साथ बैठकों के बाहर से साठगांठ जारी रखे हुए हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि विभागों में अधिकांश अधिकारी पुरु ष हैं, जो विकास कायरे में भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी के बारे में महिला जनप्रतिनिधियों से बातें नहीं कर पाते, लेकिन उनके पतियों के माध्यम से अपनी कारगुजारियां जारी रखे हुए हैं। उन्होंने इस पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत जताई है तथा बीडीसी एवं ग्राम पंचायत आदि की बैठकें नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाने को जरूरी बताया है, ताकि वह भी कुछ सीख सकें तथा विकास कायरे को गति दे सकें। इसके अलावा उन्होंने सम्मानजनक मानदेय दिये जाने की भी जरूरत जताई है।तल्लीताल धर्मशाला में सरल संस्था के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में ग्राम प्रधान, उप प्रधान एवं गांवों की वार्ड सदस्य आदि महिला जनप्रतिनिधि पत्रकारों से अपनी समस्याओं पर बात की।उनका कहना था कि अनेक ग्राम प्रधान अधिक सक्रिय नहीं हैं, जबकि अन्य उप प्रधानों एवं वार्ड सदस्यों को टीम के रूप में साथ लेकर नहीं चलते, तथा उन्हें योजनाओं व बजट आदि की जानकारी नहीं देते हैं। निर्वाचित होने के छह माह हो गए हैं, लेकिन अब तक एक भी बैठक नहीं हुई है। ऐसे में एक ओर उन पर उन्हें चुनने वाली जनता का विकास कायरे को लेकर दबाव होता है, वहीं वह कहीं अपनी बात नहीं रख पाते। कार्यशाला में सरल संस्था की प्रमुख हेमा कबडवाल, भगवती सुयाल, नीतू राजपूत, शोभा देवी, ममता कुल्याल, नीमा देवी, रजनी देवी, राजकुमारी, जयंती ढैला, रत्ना पंत, जया रावत, चंपा मेलकानी, सरिता कार्की, गंगा टम्टा, हेमा नेगी आदि मौजूद रहीं। 

बुधवार, 25 जून 2014

बेड पर लेटकर ही चुनाव लड़ेंगे मुख्यमंत्री हरीश रावत

-विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिह कुंजवाल ने अनौपचारिक बातचीत में दिए संकेत
नवीन जोशी, नैनीताल। अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान यानी एम्स दिल्ली में भर्ती प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य की खाली हुई धारचूला सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। खास बात यह होगी कि वह अपने अपने चुनाव क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए जाना दूर, नामांकन के लिए भी क्षेत्र में नहीं आएंगे। उनके नामांकन की औपचारिकता निर्वाचन अधिकारी एम्स दिल्ली जाकर ही पूरी कराएंगे। मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिह कुंजवाल ने नैनीताल में अनौपचारिक बातचीत में इस बात के साफ संकेत दिए।
मुख्यमंत्री के अस्पताल के बेड से ही चुनाव लड़ने से पार्टी को प्रत्याशी के पक्ष में सहानुभूति के तौर पर अलग से मनोवैज्ञानिक लाभ मिल सकता है। ऐसे में शेष दो सीटें  भी सत्तारूढ़ कांग्रेस को मिल पाएंगी।
गौरतलब है कि एक दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वरिष्ठ काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश को शैडो मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी सोंप कर यह संकेत दे दिए हैं कि अभी उनका काफी वक्त एम्स दिल्ली में ही बीतना तय है। मालूम हो कि विगत दिनों दिल्ली में हैलीकॉप्टर की लैंडिंग के दौरान मुख्यमंत्री गले में झटका खाने की वजह से एम्स में भर्ती हैं। अब विस अध्यक्ष कुंजवाल ने जिस तरह के संकेत दिए हैं, उससे साफ है कि मुख्यमंत्री राज्य में विधानसभा की खाली हुई तीन सीटों के उप चुनावों के लिए नई रणनीति बना चुके हैं। अल्मोड़ा के लिए उन्हें रेखा आर्या के रूप में भाजपा से तोहफे की तरह मजबूत प्रत्याशी मिल चुका है, जबकि धारचूला से चूंकि कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने रणनीति के तहत ही मुख्यमंत्री के लिए सीट खाली की है, इसलिए धारचूला को कांग्रेस आसान मानकर चल रही है। ऐसे में कांग्रेस और मुख्यमंत्री की कोशिश मुख्यमंत्री को चुनाव ल़ाकर पाटने और बीते लोक सभा चुनाव में मिली पांच-शून्य की करारी हार का बदला चुकाने की भी है।
वहीं कुंजवाल ने केंद्र सरकार के महंगाई बढाने संबंधी कदमों पर बचाव करते हुए कहा कि अभी केंद्र सरकार को काफी कम समय हुआ है, इसलिए वह भी उम्मीद कर रहे हैं कि आगे अच्छे दिन आएंगे।

हालात के लिए पीएम या सीएम नहीं जनता जिम्मेदार : कुंजवाल



कहा, आजादी के बाद न देश के हालात बदले और न ही राज्य बनने के बाद उत्तराखंड के
नैनीताल (एसएनबी)। अपने बेलाग बोलों के लिए प्रसिद्ध प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने दो टूक कहा कि आजादी के बाद न देश में हालात बदले और ना ही अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में। आजादी के बाद भी देश में अंग्रेजी दौर की और उत्तराखंड में यूपी के दौर की पुरानी व्यवस्था ही कमोबेश लागू रही। उन्होंने मौजूदा बुरे हालातों के लिए राजनीतिज्ञों की जगह जनता को ही अधिक जिम्मेदार बताया। कहा, ‘कोई भी पीएम या सीएम नहीं वरन मतदाता दोषी हैं।’
कुंजवाल बुधवार को कुमाऊं विवि के यूजीसी अकादमिक स्टाफ कालेज में ‘इकानामिक्स, पालिटिक्स एंड सिविल सोसायटी’ विषयक कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जनता अच्छे प्रत्याशियों को वोट नहीं देती और चुनाव में धन व बाहुबल प्रदर्शित करने वाले प्रत्याशियों को पल्रोभन में आकर वोट देती है। ऐसे में सभी प्रत्याशियों को चुनाव में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। उन्होंने कहा, जो प्रत्याशी दो करोड़ रपए खर्च कर विधायक बनेगा, उससे ईमानदारी से कार्य करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। बोले, देश में अच्छे से अच्छा नियम-कानून बनता है तो उसे भी तोड़ने के रास्ते निकाल लिए जाते हैं। आरटीआई और मनरेगा को बहुत अच्छे प्राविधान बताने के साथ ही उन्होंने स्वीकारा कि आज सर्वाधिक भ्रष्टाचार इन्हीं के द्वारा हो रहा है। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों की भी कार्य को पूरा समय न देने, मोटी तनख्वाह पर हाथ न लगाकर ऊपरी कमाई से ही परिवार चलाने की परिपाटी बनने जैसे मुद्दों को भी छुआ।

रविवार, 1 जून 2014

नैनीताल विधानसभा में केवल 30 बूथों पर ही मामूली अंतर से आगे रही कांग्रेस

-शेष 80 फीसद यानी 116 बूथों पर भाजपा प्रत्याशी कोश्यारी को मिली भारी बढ़त
नवीन जोशी, नैनीताल। आजादी के बाद से विशुद्ध रूप से केवल एक और संयुक्त क्षेत्र होने पर दो बार ही भाजपा के खाते में गई नैनीताल विधानसभा में कांग्रेस का हालिया लोक सभा चुनावों में कमोबेश पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया लगता है। मोदी की आंधी में इस बार इस विधानसभा क्षेत्र के 146 में से करीब 20 फीसद यानी 30 सीटों पर ही कांग्रेस प्रत्याशी केसी सिंह बाबा कहीं दो से लेकर अधिकतम 132 वोटों की बढ़त ले पाए, जबकि भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी ने 80 फीसद यानी 116 बूथों से अपनी बढ़ी जीत की इबारत लिखी। 
आजादी के बाद से भााजपा के लिए नैनीताल विधानसभा में कालाढुंगी का बड़ा हिस्सा जुड़ा होने के उत्तराखंड बनने से पहले के दौर में बंशीधर भगत चुनाव जीते थे। तब भी वर्तमान नैनीताल विधानसभा के क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कमोबेश पिछड़ते ही रहते थे। उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा के खड़क सिंह बोहरा 2007 में कोटाबाग और कालाढुंगी क्षेत्र में बढ़त लेकर बमुश्किल यहां से चुनाव जीत पाए थे। 
बीते 2012 के विधानसभा चुनावों में यहां से चुनाव के कुछ दिन पहले ही प्रत्याशी घोषित हुईं, और चुनाव क्षेत्र में ठीक से पहुंच भी न पाईं सरिता आर्या ने 25,563 वोट प्राप्त कर पांच वर्ष से दिन-रात चुनाव की तैयारी में जुटे भाजपा प्रत्याशी हेम चंद्र आर्या को 6358 मतों के बड़े अंतर से हरा दिया था। लेकिन, दो वर्ष के भीतर ही हुए लोक सभा चुनावों में कांग्रेस यहां बुरी तरह से पस्त हो गई नजर आ रही है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी केवल 30 बूथों पर मामूली अंतर से भाजपा प्रत्याशी से आगे रह पाए हैं। उल्लेखनीय है कि नैनीताल विधानसभा में में भाजपा को 30,173 व कांग्रेस को 21,575 वोट मिले हैं और कांग्रेस 8,578 वोटों से पीछे रही है। इससे क्षेत्र के प्रभावी कांग्रेसी नेताओं के अपने बूथों पर प्रत्याशी को जिताने के दावों की कलई भी बुरी तरह से खुल गई है।

इन बूथों पर ही आगे रह पाए बाबा 

नैनीताल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी केवल मल्ली सेठी, बेतालघाट, तौराड़, हल्सों कोरड़, रतौड़ा (दाड़िमा), तल्ली पाली, धूना (केवल दो मतों से), गरजोली, हरौली, ताड़ीखेत (13 मतों से), गौणा, ठुलीबांज, कफुड़ा, मल्लीताल सीआरएसटी कक्ष नंबर तीन व चार, राप्रावि मल्लीताल कक्ष नंबर तीन, अयारपाटा कक्ष नंबर दो (केवल नौ मतों से), मल्लीताल स्टेडियम, नारायणनगर, लोनिवि कार्यालय कक्ष नं. दो, राइंका तल्लीताल कक्ष एक (सर्वाधिक 168 मतों से), राइंका तल्लीताल कक्ष दो, गेठिया कक्ष दो, भूमियाधार (136 मतों से), छीड़ागांजा, ज्योलीकोट कक्ष एक (29 मतों से, कक्ष दो में 18 मतों से पीछे), पटुवाडांगर, गहलना (सिलमोड़िया), सौड़ व कुड़खेत में ही आगे रहे हैं। 

सरोवरनगरी में भी चली मोदी की आंधी

जिला व मंडल मुख्यालय नैनीताल हमेशा से कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है। किसी भी तरह के चुनावों के इतिहास में नैनीताल से कभी भी भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस के मुकाबले आगे नहीं रहे हैं। एकमात्र 2004 में भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल नैनीताल मंडल से आगे रहे थे, पर तब भी उनके आगे रहने में खुर्पाताल के ग्रामीण क्षेत्रों का योगदान रहा था। वर्तमान कांग्रेस विधायक सरिता आर्या नैनीताल की पालिकाध्यक्ष भी रही हैं, बावजूद वह अपने वोटों को मोदी की आंधी में उड़ने से नहीं रोक पाईं। भाजपा को नैनीताल नगर के 37 बूथों में इतिास में सर्वाधिक 9,154 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस 7,021 वोटों के साथ 2,153 वोटों से पीछे रह गई है। नगर के नारायणनगर, हरिनगर, लोनिवि कार्यालय कक्ष नंबर 1 और मल्लीताल के कुछ मुस्लिम, दलित व कर्मचारी बहुल क्षेत्रों के केवल नौ बूथों पर ही कांग्रेस अपनी साख बचा पाई है। वहीं भाजपा ने नगर के राबाप्रावि मल्लीताल में 439 मत प्राप्त कर विधानसभा में सर्वाधिक 182 वोटों से बढ़त दर्ज की है।

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

पहाड़ में नहीं लोकतंत्र के ’महापर्व‘ जैसा माहौल

पहाड़ के बजाय मैदान में ही जोर लगा रहे प्रत्याशी और समर्थक अब तक किसी पार्टी के स्टार प्रचारक का कार्यक्रम भी तय नहीं
नवीन जोशी नैनीताल। कहने को प्रदेश के पर्वतीय अंचलों में भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े यानी लोकसभा चुनावों के ‘महापर्व’ का मौका है, मगर इसे चुनाव आयोग की सख्ती का असर कहें कि पहाड़वासियों की मैदानों की ओर लगातार पलायन की वजह से लगातार क्षीण होती राजनीतिक शक्ति का प्रभाव, राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी पर्वतीय क्षेत्रों को चुनावों में भी भाव नहीं दे रहे हैं। कुमाऊं मंडल का जिला एवं मंडल मुख्यालय पर्वतीय क्षेत्रों की कहानी बयां करने के लिए काफी है, जहां पूरे शहर में कहने भर को केवल एक होर्डिग और गिनने भर को कुछ दीवारों पर केवल दो पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के चुनाव कार्यालय खुले हैं और उनके ही पोस्टर चिपके हुए हैं। वहीं राज्य और देश के सत्तारूढ़ दल की उपेक्षा का यह आलम है कि उनका मुख्यालय में न ही अब तक चुनाव कार्यालय खुला है और न ही पूरे शहर में कहीं एक भी होर्डिग, बैनर या पोस्टर ही लगे हैं। ऐसे में बैनर-पोस्टर लिखने छापने और चिपकाने वाले चुनावी रोजगार से वंचित हो गए हैं, तो वे लागे महापर्व का अहसास कैसे करें। गौरतलब है कि नए परिसीमन में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय सीट पर पर्वतीय मतों का प्रतिशत करीब 35 और मैदानी मतों का प्रतिशत 65 है। ऐसे में उम्मीदवार मैदानी क्षेत्रों में ही जोर लगाकर अपनी जीत सुनिश्चित करने की जुगत में हैं। राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों के भी अभी पर्वतीय क्षेत्रों के लिए कोई कार्यक्रम तय नहीं बताए जा रहे हैं। ऐसे में खासकर नैनीताल में लोकसभा चुनावों से अधिक आसन्न ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन पर अधिक र्चचाएं हो रही हैं।

इंटरनेट पर लगा चुनावी मेला

नैनीताल। बदलते दौर में जहां लोकतंत्र का महापर्व पूरी तरह धरातल से नदारद है, वहीं इंटरनेट की दुनिया में पूरा मेला लगा हुआ है। शहर में चुनावों पर कोई राजनीतिक विमर्श न होने की वजह से नगर के आमजन टीवी, अखबार या इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किग साइटों पर बन रही प्रत्याशियों की बन-बिगड़ रही हवा पर ही आश्रित होकर अपनी राय बना या बदल रहे हैं। इंटरनेट पर जोरों से पार्टियों के पक्ष या विरोध में खूब जोशो-खरोश से र्चचाएं हो रही हैं। यहां राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों, प्रत्याशियों व राष्ट्रीय नेताओं के बारे में पूरा मेले जैसा माहौल है। ऐसे में लोग यह भी कहते सुने जा रहे हैं कि हर डंडा कमजोर तबकों पर ही पड़ता है। निचले तबके के चुनाव प्रचार में अपना रोजगार जुटाने वाले लोग जरूर बेरोजगार कर दिये गए हैं, लेकिन इंटरनेट से जुड़ी कंपनियों की चुनावी महापर्व पर खूब ‘पौ-बारह’ हो रही है।

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में बनती रही है सरकार

बदलाव की हर बयार में नैनीताल ने भी बदली है करवट, कइयों को राजनीति का ककहरा पढ़ाया है इस सीट ने
नवीन जोशी नैनीताल। शिक्षित संसदीय क्षेत्रों में शुमार नैनीताल ने देश में चल रही हर बदलाव की बयार में खुद भी करवट बदली है। देश में अच्छी सरकार चलती रही तो यहां के मतदाताओं ने भी अपने परम्परागत स्वरूप को बरकरार रखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्याशी को ही ‘सिर-माथे' पर बिठाया है, लेकिन जहां सत्तारूढ़ पार्टी ने चूक की और नैनीताल को अपनी परम्परागत सीट मानकर गुमान में रही, उसे यहां के मतदाताओं ने जमीन भी दिखा दी। नैनीताल में आमतौर पर जिस पार्टी का प्रत्याशी जीता, उसी पार्टी की देश में सरकार भी बनती रही। इस प्रकार नैनीताल के साथ यह मिथक जुड़ता चला गया है। ऐसे में नैनीताल राजनीतिक दलों के लिए दिल्ली की गद्दी पाने का माध्यम बन सकता है। 
जी हां, नैनीताल लोकसभा सीट का अब तक ऐसा ही अतीत रहा है। वर्ष 1971 तक के चुनाव में मतदाताओं ने कुछ खास नेताओं को गले लगाया। इसके बाद उन्होंने अपना रुख बदल लिया और किसी भी नेता को दुबारा संसद पहुंचने का मौका नहीं दिया। देश की आजादी के बाद भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के परिवार और बाद में एनडी तिवारी सरीखे नेताओं की यह परंपरागत सीट रही और दोनों को संसद पहुंचने की सीढ़ी चढ़ने का ककहरा नैनीताल ने ही सिखाया। मगर यह भी मानना होगा कि यहां के मतदाताओं की मंशा को कोई नेता नहीं समझ पाया। हालांकि एनडी भी यहां से हारे और केसी पंत भी। इसी तरह कांग्रेस की परंपरागत सीट माने जाने के बावजूद कांग्रेस के नेता भी हर चुनाव में यहां असमंजस के दौर से ही गुजरते हैं, जबकि देश की सत्ता संभाल चुकी भाजपा यहां से सिर्फ दो ही बार ही जीत हासिल की है। जनता पार्टी और जनता दल के नेताओं के लिए भी यहां प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। देश में चल रही राजनीतिक हवा का असर नैनीताल सीट पर भी पड़ता रहा है। 1951 व 1957 के चुनाव में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के दामाद सीडी पांडे और 1962 से 1971 तक के तीन चुनावों में पुत्र केसी पंत यहां से सांसद रहे। मगर 1977 के चुनाव में आपातकाल के दौर में पंत को भारतीय लोकदल के नए चेहरे भारत भूषण ने पराजित कर दिया। तब देश में पहली बार विपक्ष की सरकार बनी। लेकिन विपक्ष का प्रयोग विफल रहने पर 1980 में एनडी तिवारी को उनके पहले संसदीय चुनाव में नैनीताल ने दिल्ली पहुंचा दिया। गौरतलब है कि 1984 में तिवारी सांसदी छोड़ यूपी का सीएम बनने चले तो उनके शागिर्द सतेंद्र चंद्र गुड़िया को भी जनता ने वही सम्मान दिया। 1989 के चुनाव में मंडल आयोग की हवा चली तो जनता दल के नए चेहरे डा. महेंद्र पाल चुनाव जीत गए और जनता दल की ही केंद्र में सरकार बनी। 1991 के चुनाव में यहां के मतदाता देश में चल रही राम लहर की हवा में बहे और बलराज पासी ने भाजपा के टिकट पर जीतकर इतिहास रच दिया। तब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। 1998 में बीच में एचडी देवगौड़ा और आरके गुजराल के नेतृत्व वाली जनता दल की सरकार की विफलता के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा की इला पंत ने एनडी तिवारी को पटखनी दी और दुबारा केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद से 2004 व 2009 के चुनावों में कांग्रेस के केसी सिंह बाबा यहां से सांसद हैं और दोनों मौकों पर कांग्रेस की सरकार ही देश में बनी।

एनडी ने दो बार तोड़ा है मिथक

नैनीताल। नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में सरकार बनती रही है, मगर एनडी तिवारी 1996 और 1999 में वह विरोधी पार्टियों की लहर में भी नैनीताल से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1996 में एनडी तिवारी ने कांग्रेस से नाराज होकर सतपाल महाराज शीशराम ओला व अन्य के साथ मिलकर कांग्रेस (तिवारी) बनाई और उनकी पार्टी चुनाव जीतने में सफल रही। इस चुनाव के बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। 1999 के चुनाव में भी एनडी तिवारी ने फिर अपवाद दोहराया, जब कांग्रेस से तिवारी तीसरी बार चुनाव जीते, लेकिन फिर केंद्र में भाजपा की ही सरकार बनी। वर्ष 2002 में उनके उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने पर हुए उपचुनाव में जद से कांग्रेस में आए डा. महेंद्र पाल भी उनकी सीट बचाने में सफल रहे।

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

नैनीताल से भाजपा-कांग्रेस जो भी जीतेगा, दोनों की होगी हैट-ट्रिक

बाबा व भाजपा को तीसरी जीत की चाहत
नवीन जोशी नैनीताल। नैनीताल लोकसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर यदि भाजपा जीतती है तो यह उसकी हैट्रिक होगी, और यदि कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह केसी बाबा की लगातार तीसरी जीत होगी। भाजपा और कांग्रेस के अलावा यहां आम आदमी पार्टी भी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही है। ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। नैनीताल सीट देश की राजनीति के दो धुरंधर नारायण दत्त तिवारी और केसी पंत की परम्परागत सीट रही है। नैनीताल में हमेशा ऐसा कुछ ना कुछ होता है कि इस सीट पर बड़े राजनीतिक शूरमाओं की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, फलस्वरूप देश-प्रदेश की इस सीट पर नजर रहती है। इस बार यहां मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी व मौजूदा सांसद केसी बाबा के बीच है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के टिकट पर जनकवि बल्ली सिंह चीमा भी संसद पहुंचने की होड़ में शामिल हैं। लोकसभा क्षेत्र की 14 विधानसभा सीटों में से आठ में विपक्षी भाजपा के विधायकों और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, तीन काबीना मंत्रियों और पूर्व सीएम का इसी क्षेत्र से होना भी इसे प्रदेश की वीवीआईपी सीटों में शुमार करती है। भाजपा यहां से जीतेगी, तो उसके लिए यह अब तक के संसदीय इतिहास की इस सीट से तीसरी जीत होगी, क्योंकि उनसे पहले केवल बलराज पासी और इला पंत ही भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत पाए हैं। वहीं कांग्रेस जीती तो उसके प्रत्याशी के लिए भी यह व्यक्तिगत तौर पर लगातार व तीसरी जीत होगी। बसपा उम्मीदवार लईक अहमद भी मुकाबले में आने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं।

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

नैनीताल में नैया पार लगाने को भाजपा को चाहिए मोदी, नकवी और सिद्धू

युवा, मुस्लिम और सिख वोटरों को साधने की है कोशिश
नवीन जोशी, नैनीताल। देश-प्रदेश में चल रही मोदी के पक्ष और कांग्रेस विरोधी लहर के बीच भाजपा को नैनीताल लोक सभा सीट पर अपनी नैया को पार लगाने के लिए नरेन्द्र मोदी, पार्टी के मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी और नवजोत सिंह सिद्धू की जरूरत है। पार्टी की नैनीताल लोक सभा क्षेत्र की इकाई ने अपनी इस इच्छा से पार्टी हाइकमान को अवगत करा दिया है। मोदी को हल्द्वानी, नकवी को काशीपुर, रुद्रपुर या हल्द्वानी और सिद्धू को बाजपुर या रुद्रपुर लाने की इच्छा जताई गई है। 
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भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता नैनीताल की सीट को लेकर काफी गंभीर हैं। कारण, कांग्रेस यहां यूपी के दौर से ही मजबूत रही है। यहां किसी भी अन्य पार्टी प्रत्याशी का कांग्रेस प्रत्याशी को हराने का रिकार्ड संयोग से कांग्रेस पार्टी की उत्तराखंड व उप्र सरकार के मुखिया रहे एनडी तिवारी के नाम पर है। तिवारी ने 1996 के चुनाव में कांग्रेस से नाराजगी के बाद बनाई अपनी कांग्रेस-तिवारी के टिकट पर भाजपा की इला पंत को 1.56 लाख वोटों से हराया था, इससे पहले 1977 में भारतीय लोक दल ने आपातकाल के बाद ‘इंदिरा हटाओ’ की लहर के दौर में कांग्रेस के केसी पंत को 85 हजार वोटों से और 1989 में मंडल आंदोलन की पृष्ठभूमि में हुए चुनावों में जनता दल के डा. महेंद्र पाल ने 20 हजार वोटों से यह सीट जीती थी। भाजपा के प्रत्याशी इस सीट को केवल दो बार, 1991 की राम लहर में बलराज पासी केवल 11 हजार और 1998 में इला पंत 15 हजार वोटों के अंतर से ही जीते थे। यह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि पासी, इला व पाल की जीतों में बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र की बड़ी भूमिका रही थी, जो कि उत्तराखंड बनने के बाद इस लोक सभा क्षेत्र से अलग हो चुका है। हालिया दो चुनावों की बात की जाए तो मौजूदा सांसद, केसी सिंह बाबा ने 2004 में 49 हजार और 2009 में करीब 88 हजार वोटों के अंतर से जीतकर अपने जीत का अंतर बढ़ाया है। यही बिंदु भाजपा की चिंता का बड़ा कारण भी है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए भाजपा वर्गवार मतदाताओं को साधने की कोशिश में है। पार्टी की सबसे बड़ी चिंता करीब 2.75 लाख मुस्लिम और करीब 1.5-1.5 लाख सिख व अनुसूचित वर्ग के वोटों को लेकर है। पार्टी का मानना है कि 2009 के चुनाव में आखिरी दौर में धर्म विशेष के प्रचारकों के भाजपा के विरोध में माहौल बनाने व अन्य पार्टियों से कोई मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी न होने की वजह से मुस्लिम मतों और तराई क्षेत्र में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के आने से सिख मतों के कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण हो जाने की वजह से पार्टी हार गई थी। 
लेकिन इससे इतर भाजपा इस बार स्वयं को मोदी के पक्ष और कांग्रेस के विरोध की लहर, दो बार के सांसद बाबा के प्रति भी एंटी इंकमबेंसी व उनके क्षेत्र में मौजूद न रहने, बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी घोषित होने से मुस्लिम वोटों का कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण न होने की संभावना के मद्देनजर स्वयं को लाभ में मान रही है। बावजूद वह कोई जोखिम लेने के मूड में भी नहीं है। इस उद्देश्य से युवाओं व हर वर्ग को रिझाने के लिए लोक सभा क्षेत्र के केंद्र में स्थित हल्द्वानी में मोदी, मुस्लिम बहुल काशीपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में नकवी एवं सिख बहुल बाजपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में सिद्धू को लाये जाने की रणनीति बनाई गई है।

सोमवार, 30 दिसंबर 2013

नैनीताल में क्या गुल खिलायेगी बचदा और बलराज की दोस्ती !

नैनीताल। एकता संदेश यात्रा के जरिए जहां एक ओर सरदार पटेल के माध्यम से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, वहीं यात्रा में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के दो स्वघोषित दावेदार बची सिंह रावत ‘बचदा’ और बलराज पासी के एक साथ अगल-बगल खड़े होने के भी राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों एक- साथ खड़े होकर पार्टी पर टिकट के लिए दबाव बनाना चाहते हैं। साथ ही अन्य दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को अलग-थलग करने और एक-दूसरे के नाम पर सहमत होने का सन्देश भी दे रहे थे। 

पटेल पीएम बनते तो न होता बंटवारा: बचदा

नैनीताल पहुंचकर हुआ एकता संदेश यात्रा का समापन
नैनीताल (एसएनबी)। भाजपा के वरिष्ठ नेता बची सिंह रावत ‘बचदा’ ने कहा कि सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से ही देश एकसूत्र में बांधा था, बावजूद इसके राजनीतिक कारणों से उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। उनका कहना है कि पटेल को प्रधानमंत्री बनाया होता तो देश का बंटवारा न होता। रावत सोमवार को 20 दिसंबर से शुरू हुई एकता संदेश यात्रा के आखिरी पड़ाव नैनीताल पहुंचकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू हुई इस यात्रा के जरिए देश को एकसूत्र में पिरोने की कोशिश की जा रही है। पूर्व सांसद बलराज पासी ने सरदार पटेल का जीवन वृत्त प्रस्तुत किया। इससे पूर्व नगर में यात्रा के पहुंचने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने यात्रा का भव्य तरीके एवं गर्मजोशी से स्वागत किया। जिलाध्यक्ष देवेंद्र ढैला, नगर अध्यक्ष विवेक साह, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य खीमा शर्मा, संयोजक रेनू अधिकारी व कुंदन बिष्ट आदि यात्रा रथ पर ही सवार हो गए। पूर्व अध्यक्ष भुवन हरबोला, जगदीश बवाड़ी, सीपी धूसिया, आनंद बिष्ट, मीनू बुधलाकोटी व संतोष साह सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता भी स्वागत में शामिल हुए। 

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

मोदी की रैली पर शादियों के लग्न भारी !

शादियों की वजह से रैली के लिए गाड़ियां मिलने में हो रही परेशानी, पर भाजपाइयों में दिख रहा भारी जोश
नवीन जोशी नैनीताल। 15 दिसम्बर को दून में हो रही भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की रैली की राह को इस दौरान और खासकर रैली के दिन तक ही उपलब्ध शादियों के लग्न प्रभावित कर रहे हैं। चूंकि शादियों के लग्न 14 तक ही हैं और इधर मौसम भी अधिक सर्द नहीं हुआ है। इस दौरान जनता के साथ ही अनेक भाजपा कार्यकर्ता भी अपने निकटस्थों की शादियों में आमंत्रित और व्यस्त हैं। शादियों के लिए पहले से ही बुक होने की वजह से भाजपाइयों को रैली में जाने के लिए बसें ठीक से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं लेकिन शायद मोदी को देखने और सुनने का उत्साह ही है कि ऐसी स्थितियों के बावजूद भाजपाई रैली में हर हाल में जाने की बात कह रहे हैं। 
मंडल व जिला मुख्यालय में जहां एक ओर भाजपा कार्यकर्ताओं में मोदी की रैली के प्रति जोश दिख रहा है, वहीं वह प्रदेश हाईकमान द्वारा रैली के लिए दिए गए लक्ष्यों को लेकर परेशान हैं। इसका कारण यह है कि करीब एक हजार कार्यकर्ताओं को देहरादून ले जाना है। इनमें से अन्य लोग तो अपने प्रबंधों से दून चले जाएंगे लेकिन संगठन को करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ताओं को दून ले जाने की व्यवस्था करने को कहा गया है। इस हेतु कम से कम पांच बसों की आवश्यकता है। बसों की व्यवस्था में जुटे एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आम तौर पर नैनीताल से दून के लिए 18 हजार रुपये में बसें मिल जाती हैं लेकिन इधर शादियों में व्यस्त होने के कारण 25 हजार रुपये से कम में बसें नहीं मिल पा रही हैं। हालांकि ऐसे कार्यकर्ता भी मिले। जिन्होंने कहा कि बसें मिले चाहे न मिलें, भले ट्रकों में लटककर जाना पड़े लेकिन दून जरूर जाएंगे। क्योंकि मोदी के रूप में भाजपा को सत्ता में लौटाने का जो मौका मिला है, उसे चूकेंगे नहीं। इस बारे में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत ने भी स्वीकारा कि शादियों की वजह से शंखनाद रैली के प्रबंधों में दिक्कत तो आ रही है लेकिन कार्यकर्ताओं का जोश देखते हुए रैली में भीड़ जुटाने में कोई कठिनाई नहीं है।

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

राहुल के पीएम बनने की कल्पना मूर्खता: कोश्यारी


नैनीताल (एसएनबी)। वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने गत दिवस दागी जनप्रतिनिधियों संबंधी अध्यादेश को बकवास कहने वाले राहुल गांधी को ही नॉनसेंस करार दिया है। वह शुक्रवार को नैनी जिला कारागार परिसर में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। राहुल गांधी के भावनात्मक भाषणों पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कोश्यारी ने कहा कांग्रेस के उपाध्यक्ष के बयानों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। वह अपनी पार्टी में जिस पद पर हैं उसके भी योग्य नहीं हैं, लिहाजा उनके लिए प्रधानमंत्री बनने की कल्पना मूर्खता है। उन्होंने कहा, "जो व्यक्ति प्रधानमंत्री द्वारा तैयार विधेयक को 'नॉनसेंस' कहता है, वह खुद 'नॉनसेंस' है।"

कोश्यारी शुक्रवार को रुद्रपुर से गिरफ्तार 27 पार्टी कार्यकर्ताओंसे मिलने पार्टी नेताओं के साथ नैनी जिला कारागार पहुंचे थे। इस दौरान कोश्यारी मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा आसन्न पंचायत चुनावों में अपनी हार की संभावनाओं को देख कांग्रेस सरकार बौखला गई है। इसलिए प्रदेश में सद्भावना का माहौल बिगाड़ना चाहती है। सरकार ने यदि तुरंत पार्टी नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस न लिए और बंदी बनाए कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा न किया तो प्रदेश भर में जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। इस मौके पर देवेंद्र ढैला, गोपाल रावत, हेम आर्या, मनोज साह, संतोश साह, नितिन कार्की, सहित बड़ी संख्या में भाजपाई साथ रहे। किसी की नजर ना लगे, यह दुआ कीजिए : एक प्रश्न के जवाब में कि उनकी नैनीताल लोस सीट से दावेदारी पर कई लोगों की नजर लगी हुई है। इस पर कोश्यारी ने चुटकी ली और दुआ कीजिए कि किसी की नजर लग ना जाए। 

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

तीरथ का कुमाऊं दौरा: "फील गुड˜ के साथ ही मिला "फीड बैक"



भाजपा संगठन के विस्तार की आहट से चौकन्ने दिखे कार्यकर्ता, पलक-पांवड़े बिछाने में नहीं रखी कोई कसर 
नवीन जोशी, नैनीताल। भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को उनका कुमाऊं दौरा "फील गुड" और साथ ही आसन्न संगठन विस्तार से लेकर निकाय, पंचायत व लोक सभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों की बाबत ˜फीड बैक" भी दे गया है। इस "फील गुड" के कारक भी इसी "˜फीड बैक" में छुपे हुए हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने नए अध्यक्ष के समक्ष अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए अपनी गुटीय निष्ठाओं को दरकिनार कर जिस तरह पलक पांवड़े बिछाए, उससे ˜फील गुड इफेक्ट" के साथ ही संगठन विस्तार व आगामी चुनावों के लिए ˜फीड बैक" भी लेकर तीरथ कुमाऊं से लौटे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तीरथ ने अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरूआत उस कुमाऊं मंडल से की, जिसे उनकी ताजपोशी के विरोधी रहे गुट का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। उनकी ताजपोशी से पहले चरम पर पहुंचा राज्य के ˜थ्री जी" गुटों का आपसी विवाद और उनके दौरे से ठीक एक दिन पहले हल्द्वानी में भी दो पूर्व दर्जाप्राप्त मंत्रियों के विवाद के साथ पुलिस थाने तक भी जा पहुंचा था। इसके बावजूद तीरथ का कुमाऊं में आगमन हुआ तो जसपुर में मंडल की सीमा में प्रवेश से लेकर काशीपुर, बाजपुर, दिनेशपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी, भीमताल, भवाली, कालाढूंगी और रामनगर तक विरोधी बताए जाने वाले गुटीय नेताओं के साथ छपे उनके विशालकाय होर्डिग, पोस्टर देखकर तीरथ ने भी कहा कि वह ˜निर्गुट" नेता हैं। दरअसल उनके ˜दिल खोल" स्वागत के पीछे आसन्न परिस्थितियां हैं। पार्टी की जिला इकाइयों के विस्तार के साथ ही भाजयुमो जैसी आनुषांगिक इकाइयों व प्रकोष्ठों का जल्द गठन होना है। निकाय और पंचायत चुनाव मुंह बाये खड़े हैं तो लोस चुनाव भी दूर नहीं हैं। ऐसे में नैनीताल-ऊधमसिंहनगर जिले की संसदीय सीट के दो दावेदारों बची सिंह रावत व बलराज पासी से लेकर कई पूर्व दर्जाप्राप्त मंत्री तथा पार्टी के पूर्व व निवर्तमान पदाधिकारी उनके स्वागत में पोस्टरों के तोरणद्वार सजाते हुए वास्तव में ˜मुंह दिखाई" की प्रतिस्पर्धा करने को मजबूर रहे। इस कोशिश में अनेक ˜राजनीतिज्ञों" ने तो अपनी मजबूत बताई जाने वाली गुटीय निष्ठा भी ताक पर रखने से गुरेज नहीं किया। तीरथ बृहस्पतिवार को नैनीताल क्लब में ˜राष्ट्रीय सहारा" से एक खास भेंट में इस ˜फील गुड" से खासे उत्साहित दिखे। उन्होंने कहा, उनकी कोशिश इस जोश को बरकरार रखने की रहेगी। उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है।

कोश्यारी के गढ़ में सेंध लगाने में रहे सफल 
नैनीताल। भाजपा के दिग्गज नेता भगत सिंह कोश्यारी के गढ़ में तीन दिवसीय दौरे के माध्यम से सेंध लगाकर कोश्यारी को अलग-थलग करने की योजना आखिर परवान चढ़ ही गई। संगठन में प्रदेश अध्यक्ष के मुद्दे पर इन दिनों पार्टी से खफा भगत सिंह कोश्यारी के गढ़ में नये अध्यक्ष का दौरा सफल कराकर पार्टी कोश्यारी को जो संकेत देना चाहती थी, उसमें पार्टी के रणनीतिकार सफल रहे। पूरे दौर के दौरान जिस प्रकार से पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष पूरन शर्मा, पूर्व मंत्री बंशीधर भगत जैसे दिग्गजों को दौरे की कमान देकर प्रदेश अध्यक्ष का दौरा सफल कराया है, उससे कोश्यारी खेमे को संकेत मिल गया है कि फिलहाल संगठन पर खंडूड़ी व निशंक खेमा ही हावी रहेगा।


संगठन विस्तार प्रांतीय परिषद की बैठक तक
नैनीताल। तीरथ ने कहा कि आगामी 16-17 मार्च को आयोजित होने जा रही प्रांतीय परिषद की बैठक तक संगठन का विस्तार कर लेंगे। उन्होंने कहा कि संगठन में युवाओं को स्थान देना उनकी प्राथमिकता में होगा। महिलाओं को भी खास तरजीह दी जाएगी। साथ ही अनुसूचित जाति सहित सभी जातियों, वर्गों, समाज के लोगों को संगठन में स्थान देकर पार्टी सर्वग्राही, सर्वस्पर्शी व सर्वव्यापी स्वरूप प्रदर्शित करेगी। हालांकि एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने स्वीकारा कि उनकी ˜राष्ट्रीय सोच" वाली कही जाने वाली पार्टी में राष्ट्रीय सोच दिखाई नहीं देती है। क्षेत्र व जाति के समीकरणों के आधार पर पद मिलते हैं। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि वह पार्टी के प्रति आस्थावान एवं कार्य क्षमतायुक्त लोगों को ही जिम्मेदारियां देंगे। उन्होंने राज्य सरकार पर गैरसैंण पर राजनीतिक ढकोसला करने का आरोप लगाते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की मांग की। उन्होंने प्रदेश सरकार पर अपने मंत्रियों को विदेश यात्रा कराकर व अन्य तरीकों से खुश कर केवल स्वयं को बचाने और जनता की ओर पीठ फेर लेने का आरोप भी लगाया।


हां, लोक सभा का दावेदार हूं : बचदा

नैनीताल। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे बची सिंह रावत ˜बचदा" के साथ ही पूर्व सांसद बलराज पासी लगातार साथ रहे। बचदा पिछली बार नैनीताल सीट से लोक सभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं, जबकि बलराज के नाम एनडी तिवारी को हराने का रिकार्ड दर्ज है। हालांकि इस सीट से अब तक पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव लड़ने की संभावनाएं सर्वाधिक बताई जा रही थीं, लेकिन बदले हालात में बचदा और बलराज मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। बचदा ने बृहस्पतिवार को इशारों में कहा भी कि उनका स्वाभाविक दावा है। साथ ही वह यह कहने से भी नहीं भूले कि तीरथ में संगठन को लेकर अपार संभावनाएं हैं। उनकी कार्यक्षमता को वह अपने प्रदेशाध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान प्रदेश महामंत्री के रूप में देख चुके हैं।

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को मिले सीधी नौकरी : बाबा


कहा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावना नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल के सांसद केसी सिंह बाबा ने सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को सीधी नियुक्ति न देने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि ठेके या कांट्रेक्ट पर नौकरी में कोई भविष्य नहीं होता। वह सरकार से मांग करते हैं कि राज्य के बेरोजगारों को शासनादेश के अनुरूप 70 फीसद रोजगार सीधी भर्ती के जरिए मिले। उन्होंने सिडकुल की फैक्टरियों में ठीक से उत्पादन न होने व केवल डमी उत्पादन दर्शाए जाने को गंभीरता से लेते हुए स्वयं जायजा लेने की बात कही। प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावनाओं से इनकार करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि अध्यक्ष यथावत रहेंगे। 
शुक्रवार को कांग्रेस नगर अध्यक्ष के आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बाबा ने कहा कि गौला, कोसी आदि नदियों में एकमुश्त 10 वर्ष चुगान की अनुमति प्राप्त करना बड़ी जीत है। आगे काठगोदाम से मुंबई व चंडीगढ़ को तथा रामनगर से देहरादून के लिए सीधी ट्रेन चलाने, सितारगंज-किच्छा के बीच रेल लाइन का नया सर्वे कराने व काशीपुर से धामपुर तक रेल लाइन के लिए प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राज मार्गों की मरम्मत का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा करने के फैसले से दिक्कत आ रही है, समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। सांसद निधि के वर्ष 2011-12 के प्रस्ताव पहले ही भेजे जा चुके हैं। देरी विभागीय स्तर पर हो रही है। प्रदेश का 67 फीसद घटाया गया मिट्टी तेल का कोटा बढ़ाने के लिए वे केंद्र से वार्ता करेंगे। महंगाई को बड़ी समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में गंभीर हैं। अगला लोस चुनाव लड़ने के बाबत उन्होंने कहा कि हर निर्णय स्वीकार्य होगा, वह हर हाल में 'बाबा' ही रहेंगे। पत्रकार वार्ता में सांसद प्रतिनिधिडा. हरीश बिष्ट, किशन लाल साह, सुरेश गुरुरानी, नगर अध्यक्ष मारुति साह व भगवती सुयाल आदि मौजूद रहे। 

कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने के पक्ष में नहीं सांसद 
सांसद केसी सिंह बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा नहीं देना चाहिए। इस मामले में अपनी राय व्यक्त करते हुए बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को यह दर्जा देने के बजाय नए विवि को यह दर्जा देना चाहिए। कुमाऊं विवि कर्मचारी संघ-कूटा के साथ ही कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ कुमाऊं विवि को केंद्रीय दर्जा देने की मांग करते रहे हैं। कूटा महासचिव डा. ललित तिवारी ने कहा कि राज्य कैबिनेट के कुमाऊं विवि को ही केंद्रीय दर्जा देने का प्रस्ताव पारित करने के बाद अब इस मामले में विवाद नहीं होना चाहिए। गढ़वाल के बाद कुमाऊं विवि को यह दर्जा दिया जाना प्राकृतिक न्याय है। 

शुक्रवार, 1 जून 2012

डाक्टर, शिक्षकों की कमी के लिए सरकार नहीं लोग खुद दोषी: राज्यपाल


कहा-समाज में इतना दम हो कि उन्हें पहाड़ पर रहने को मजबूर कर दे : अजीज कुरैशी
राज्यपाल ने शासन-प्रशासन का किया बचाव

नैनीताल (एसएनबी)। राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने कहा कि पहाड़ पर शिक्षकों एवं चिकित्सकों की कमी के लिए प्रदेश का शासन-प्रशासन या सरकार जिम्मेदार नहीं है। सरकार उनकी (शिक्षकों- चिकित्सकों  की) तैनाती कर अपनी जिम्मेदारी निभाती है, पर वह वहां रहते ही नहीं। राजनीतिक दबाव का सहारा लेकर सुगम मैदानों में चले आते हैं। उन्होंने सीधे तौर पर समाज को भी ऐसी स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए समाज में ऐसा दम जाग्रत करने का आह्वान किया जिससे वह शिक्षकों, चिकित्सकों को पहाड़ पर सेवाएं देने के लिये मजबूर कर दे। डा. कुरैशी शुक्रवार को राजभवन गोल्फ क्लब में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति व शिक्षकों की कमी के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अपने बद्रीनाथ यात्रा के दौरे के दौरान उन्होंने पहाड़ की समस्याओं को करीब से जाना है। सरकार शिक्षकों व चिकित्सकों के प्रशिक्षण से लेकर नियुक्ति पर भारी-भरकम धनराशि खर्च करती है, बावजूद वह पहाड़ों पर टिकते नहीं हैं। उन्हें अपना दायित्व समझना चाहिए। राज्यपाल ने प्रदेश के लोगों की यह कहकर प्रशंसा भी की कि वह बेहद सच्चे, सरल व मेहनती हैं, उन्हें ऐसे शिक्षकों व चिकित्सकों को पहाड़ पर रुकने के लिए मजबूर करना चाहिए। बजट पढ़ना नहीं आता : प्रदेश के बजट पर पूछे गये सवाल को राज्यपाल ने यह कहकर टाल दिया कि उन्हें बजट पढ़ना ही नहीं आता है। उन्होंने प्रदेश की स्थितियों को खराब मानने से इनकार करते हुए कहा कि सुधार की हमेशा गुंजाइश होती है, सुधार हो रहा है। 

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

स्वैप में भ्रष्टाचार, बड़ा घोटाला संभव : विस अध्यक्ष


नैनीताल (एसएनबी)। विस अध्यक्ष जल संस्थान एवं जल निगम की समीक्षा करने के दौरान बिफर उठे और कहा कि जन भागेदारी से चलने वाली स्वैप योजना में अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है और यदि जांच कराई जाए तो बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। योजना में ग्रामीणों की कोई भागेदारी नहीं होती। ग्राम सभा की खुली बैठकों के बजाय विभागीय अधिकारी और ग्राम प्रधान गुपचुप योजनाएं बना लेते हैं। कई बार प्रधान धनराशि भी अपनी जेब से दे देता है। उन्होंने कहा कि अधिकारी योजना के ग्राम सभा को हस्तांतरित होने का हवाला देकर बच जाते हैं, जबकि तकनीकी परामर्श और पैसे का लेन-देन उन्हीं के द्वारा होता है। स्वैप की अधिकांश योजनाएं शुरू से बंद पड़ी हैं। स्वैप योजना के साथ शौचालय बनने थे व जल स्रेतों को पुनर्जीवित करने का कार्य भी होना था, पर नहीं किया गया है। उन्होंने अल्मोड़ा जिले व अपने विस क्षेत्र में अनेक योजनाओं पर मरम्मत में भी करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद अभी तक पानी नहीं पहुंचने, डालमी, स्योंनरी जैसी योजनाओं के एक वर्ष से बंद होने तथा सरयू-दन्या-बेलख योजना को राजनीतिक दुराग्रह से पांच वर्ष से लटकाने के आरोप अधिकारियों पर लगाया।

उत्तराखंड को अपनी कार्य संस्कृति विकसित करने की जरूरत : कुंजवाल

विस अध्यक्ष ने कहा राज्य की अवधारणा के अनुरूप ठोस कार्ययोजना बनाकर करना होगा विकास

नैनीताल (एसएनबी)। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि प्रदेश में यूपी के र्ढे पर ही कार्य हो रहे हैं। प्रदेश की अपनी कोई कार्य संस्कृति विकसित नहीं हुई, जिस कारण आदर्श राज्य बनाने की कल्पना भी साकार नहीं हुई है। ऐसे में पुन: यूपी जैसे ही हालात उत्पन्न होने का खतरा है। ऐसे में प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों व वातावरण के अनुकूल ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत है। सोमवार को पत्रकार वार्ता में श्री कुंजवाल ने कहा कि राज्य में योजनाबद्ध नहीं वरन राजनीतिक दबाव के तहत विकास कार्य हुए हैं। विस अध्यक्ष होने के नाते वह सभी दलों के विधायकों, राजनीतिक दलों से अपील करेंगे कि सभी इस दिशा में सोचें। विस का सत्र लंबा चले और सबको नियमानुसार अपने क्षेत्रों की समस्याएं रखने का मौका मिले, ताकि विस सरकार को आवश्यक निर्देश दे सकें, ऐसी कोशिश करेंगे। पहाड़ पर प्राकृतिक जल स्रेतों को रिचार्ज करने का कार्य नहीं हुआ, जिस कारण कमाबेश सभी जल स्रेत बंद हो गए हैं और आगे गुरुत्व आधारित पेयजल योजनाओं से काम चलने वाला नहीं है। उन्होंने प्रदेश में कृषि व उद्यान आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई। इस मौके पर स्थानीय विधायक सरिता आर्या, कांग्रेस नगर अध्यक्ष मारुति नंदन साह, डा. महेंद्र पाल, डा. हरीश बिष्ट, डीएन भट्ट, धीरज बिष्ट, पान सिंह रौतेला, दिनेश कुंजवाल, अजमल हुसैन व मुन्नी तिवाड़ी आदि मौजूद थे। 


‘रावत को नकारा गया बार-बार’
नैनीताल। विस अध्यक्ष होने के नाते स्वयं को पार्टी हित से ऊपर बताने के बीच कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल पार्टी नेता हरीश रावत की ओर इशारा करते हुए स्वयं को यह कहने से नहीं रोक पाए कि कांग्रेस पार्टी ने ‘काम करने वाले व्यक्ति’ को मौका नहीं दिया, और बार-बार नकारा।


कागजी घोड़े न दौड़ाएं अधिकारी और अभियंता

कहा, फील्ड में जाएं, वरना खुद साथ लेकर जाऊंगा मंडलीय समीक्षा में कड़े तेवर दिखाए विस अध्यक्ष ने

नैनीताल (एसएनबी)। अपनी पहली मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक में विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कड़े तेवर दिखाए। बैठक में कमोबेश अल्मोड़ा जनपद और अपने विस क्षेत्र तक सीमित रहे कुंजवाल ने चेतावनी दी कि अधिकारी बैठकों में पूरी जानकारियों के साथ आएं और अभियंता कार्यालयों में बैठने के बजाय धरातल पर जाकर योजनाओं का स्वयं निरीक्षण करें। बैठकों में कागजी आंकड़े पेश करने के बजाय जनता को संतुष्ट करने की मनोवृत्ति बनाएं। उन्होंने जल संस्थान के महाप्रबंधक को अपने विस क्षेत्र के धौलादेवी व लमगड़ा ब्लाकों में करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद पेयजल उपलब्ध न होने के कारणों की जांच कराने के निर्देश दिये और कहा कि फिलहाल वह अपने क्षेत्र की ही बात कर रहे हैं, आगे सभी जगहों के आंकड़ों के साथ समीक्षा करेंगे और अधिकारियों को साथ ले जाकर योजनाओं की हकीकत दिखाएंगे। उन्होंने अधिकारियों को राजनीति से दूर रहने की सलाह भी दी। सोमवार को नैनीताल क्लब में आयोजित बैठक में विस अध्यक्ष ने स्वास्थ्य विभाग से शुरू करते हुए जल संस्थान, जल निगम, शिक्षा, लोनिवि आदि विभागों के मंडलीय अधिकारियों की क्लास ली। अस्पतालों में वर्षो से नई मशीनों के बंद पड़े होने, अस्पतालों के बंद पड़े होने, मरीजों को अस्पताल से दवा न मिलने, रमसा के तहत दो वर्ष से स्वीकृत स्कूल न खुलने, सड़कों के बनते ही डामरीकरण उखड़ने, 1993 से स्वीकृत पुल के दुरुस्त न होने आदि मामलों में अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने मंडलायुक्त व डीएम को निर्देशित किया कि जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों की बैठकों में सक्षम अधिकारी अवश्य भाग लें। आयुक्त कुणाल शर्मा ने विस अध्यक्ष को आस्त किया कि उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। बैठक में विधायक सरिता आर्या, डीएम निधिमणि त्रिपाठी, सीडीओ धीराज गब्र्याल, लोनिवि के मुख्य अभियंता केसी उप्रेती, जल संस्थान के जीएम एचएस पंत, पेयजल निगम के मुख्य अभियंता रवींद्र कुमार, एसई एके श्रीवास्तव, एडी-शिक्षा कुसुम पंत, एडी- पशुपालन डा. भरत चंद, प्रभारी एडी स्वास्थ्य डा. तारा आर्या, आरटीओ एसके सिंह, मंडल स्तरीय अधिकारी, नगर अध्यक्ष मारुति नंदन साह, धारी के ब्लाक प्रमुख कृपाल मेहरा, खजान पांडे, दिनेश कुंजवाल आदि मौजूद थे।


बार एसोसिएशन ने किया कुंजवाल का स्वागत

नैनीताल। विस अध्यक्ष के रूप में पहली बार मुख्यालय पहुंचे गोविंद सिंह कुंजवाल का उत्तराखंड हाईकोर्ट में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से स्वागत किया गया। इस मौके पर स्थानीय विधायक सरिता आर्या भी उनके साथ थीं। स्वागत करने वालों में बार एसासिएशन के अध्यक्ष डीएस पाटनी, सचिव विनोद तिवारी के साथ ही कांग्रेस के डा. भूपाल भाकुनी, बीसी कांडपाल आदि मौजूद रहे।