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सोमवार, 12 जनवरी 2015

चीन से आगे निकलने को 25 लाख की 'नेग' देगा उत्तराखंड


एक पखवाड़े में ही 22 में से 17 सांगठनिक जिलों में बने 3.75 लाख सदस्य
नैनीताल (एसएनबी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के रथ पर सवार  भाजपा उत्तराखंड में अपनी सदस्य संख्या मौजूदा छह लाख से चार गुना से भी अधिक बढ़ाकर 25 लाख करने की ओर आगे बढ़ रही है। पार्टी के महा सदस्यता अभियान प्रदेश प्रभारी पूर्व काबीना मंत्री बलवंत सिंह भौंर्याल ने खुलासा किया। उन्होने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी को उत्तराखंड में 15 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया था, लेकिन प्रदेश के भाजपाइयों ने  प्रधानमंत्री मोदी के भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी 10 करोड़ सदस्यों वाली पार्टी बनाने और चीन से आगे निकलने के लिए इस लक्ष्य को स्वयं ही करीब दो गुना कर 25 लाख की 'नेग' देने का फैसला किया है, तथा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जुटे हुए हैं। 25 दिसम्बर को पूर्व पीएम बाजपेयी के जन्मदिन से शुरू हुए अभियान के तहत करीब एक पखवाड़े में ही 3.75 लाख लोगों के पार्टी की सदस्यता दिला दी गई है। 

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भौंर्याल सोमवार (12.01.2015) को मुख्यालय में नैनीताल जनपद की सदस्यता अभियान संबंधी समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आमजन के लिए कायरे का परिणाम है कि बड़ी संख्या में आमजन ही नहीं, कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ता एवं जनप्रतिनिधि भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं। नैनीताल जनपद को 40 हजार लोगों को संगठन से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें से 16 हजार लोग पखवाड़े भर के भीतर ही जुड़ गए हैं। बताया कि मोबाइल फोन से मिस कॉल के जरिए पार्टी से जुड़ने के लिए 31 मार्च तक की समय सीमा तय है, लेकिन प्रदेश में पार्टी ने तय किया है कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए 15 फरवरी से ही मोबाइल फोन की सुविधा विहीन दूरस्थ क्षेत्रों में आगामी 15 फरवरी से ही परंपरागत रसीद बुक वाले तरीके से सदस्यता देने की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौरागढ़, डीडीहाट व चंपावत सांगठनिक जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों की समीक्षा तथा सभी जिलों के एक-एक दूरस्थ गांवों में वह स्वयं लोगों को सदस्यता दिला चुके हैं। बैठक में पार्टी जिलाध्यक्ष देवेंद्र ढैला, जिला सदस्यता प्रमुख रघुवर जोशी, विधायक दान सिंह भंडारी, पूर्व काबीना मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट, खीमानंद शर्मा, बालम मेहरा, गोपाल रावत, हेम आर्या, दिनेश आर्या, मनोज साह, हुकुम सिंह कुंवर, ममता पलड़िया, शांति मेहरा, बिमला अधिकारी, भुवन हरबोला, तेज सिंह बिष्ट, संजय कुमार संजू सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। 

मंगलवार, 6 मई 2014

बिना पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र के ही हो रहे लोक सभा चुनाव !


चुनाव में अब तक जुबानी खर्च ही करते रहे प्रत्याशी, 
प्रचार के आखिरी दिन तक नहीं पहुंचे भाजपा-कांग्रेस सहित किसी भी राष्ट्रीय दल के चुनाव घोषणा पत्र
नवीन जोशी, नैनीताल। चुनावों के लिए पेश किये जाने वाले घोषणा पत्र राजनीतिक दलों के लिए खास होते हैं। जनता अपनी चुनी हुई सरकार से उसके चुनाव पूर्व प्रस्तुत घोषणा पत्र के आधार पर ही जवाब-तलब करती है, मगर संभवत: यह पहली बार होगा कि कुमाऊं मंडल और जिला मुख्यालय में लोकसभा चुनाव की समय सीमा समाप्त होने के दिन तक भाजपा व कांग्रेस सहित किसी दल के घोषणा पत्र नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में राजनीतिक दल जनता को अपने घोषणा पत्र नहीं दिखा रहे हैं और हवा-हवाई आरोप- प्रत्यारोपों के आधार पर ही वोट व समर्थन जुटा रहे हैं और संभवत: जनता भी जुबानी वादोंदा वों में ऐसे उलझी है कि वह भी राजनीतिक दलों से चुनाव घोषणा पत्र पढ़ने-संभालने को नहीं मांग रही है। गुजरे दौर में खासकर राजनीतिक दल अपने ही नहीं अन्य पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र अपने चुनाव कार्यालयों में रखते थे, ताकि जनता को दोनों की नीतियों और वादों का अंतर समझाया जा सके। ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने सोमवार को लोकसभा चुनाव में प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के दिन मुख्यालय में राजनीतिक दलों के चुनाव कार्यालयों का जायजा लिया, मगर किसी दल के चुनाव कार्यालय में पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र उपलब्ध नहीं थे। इस बारे में पूछने पर कहा गया कि इंटरनेट पर घोषणा पत्र उपलब्ध है यह जानते हुए कि देश-प्रदेश में इंटरनेट की उपलब्धता सीमित है। इसके साथ ही घोषणा पत्र किस यूआरएल पते या वेबसाइट पर उपलब्ध हैं इसकी जानकारी भी पार्टी के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को नहीं है।
लगा प्रचार शुरू ही नहीं हुआ
नैनीताल। इस लोकसभा चुनाव में सही मायनों में पहाड़ पर और खासकर नैनीताल सीट व कुमाऊं मंडल तथा जिले के मुख्यालय में चुनाव प्रचार ठीक से शुरू ही नहीं हुआ था और यह सोमवार को प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के साथ खत्म भी हो गया। इस दौरान स्टार प्रचारक कहने भर को यहां केवल भाजपा की ओर से शक्ति कपूर व आप की ओर से भगवंत मान और कांग्रेस के लिए सीएम हरीश रावत ही पहुंचे।

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में बनती रही है सरकार

बदलाव की हर बयार में नैनीताल ने भी बदली है करवट, कइयों को राजनीति का ककहरा पढ़ाया है इस सीट ने
नवीन जोशी नैनीताल। शिक्षित संसदीय क्षेत्रों में शुमार नैनीताल ने देश में चल रही हर बदलाव की बयार में खुद भी करवट बदली है। देश में अच्छी सरकार चलती रही तो यहां के मतदाताओं ने भी अपने परम्परागत स्वरूप को बरकरार रखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्याशी को ही ‘सिर-माथे' पर बिठाया है, लेकिन जहां सत्तारूढ़ पार्टी ने चूक की और नैनीताल को अपनी परम्परागत सीट मानकर गुमान में रही, उसे यहां के मतदाताओं ने जमीन भी दिखा दी। नैनीताल में आमतौर पर जिस पार्टी का प्रत्याशी जीता, उसी पार्टी की देश में सरकार भी बनती रही। इस प्रकार नैनीताल के साथ यह मिथक जुड़ता चला गया है। ऐसे में नैनीताल राजनीतिक दलों के लिए दिल्ली की गद्दी पाने का माध्यम बन सकता है। 
जी हां, नैनीताल लोकसभा सीट का अब तक ऐसा ही अतीत रहा है। वर्ष 1971 तक के चुनाव में मतदाताओं ने कुछ खास नेताओं को गले लगाया। इसके बाद उन्होंने अपना रुख बदल लिया और किसी भी नेता को दुबारा संसद पहुंचने का मौका नहीं दिया। देश की आजादी के बाद भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के परिवार और बाद में एनडी तिवारी सरीखे नेताओं की यह परंपरागत सीट रही और दोनों को संसद पहुंचने की सीढ़ी चढ़ने का ककहरा नैनीताल ने ही सिखाया। मगर यह भी मानना होगा कि यहां के मतदाताओं की मंशा को कोई नेता नहीं समझ पाया। हालांकि एनडी भी यहां से हारे और केसी पंत भी। इसी तरह कांग्रेस की परंपरागत सीट माने जाने के बावजूद कांग्रेस के नेता भी हर चुनाव में यहां असमंजस के दौर से ही गुजरते हैं, जबकि देश की सत्ता संभाल चुकी भाजपा यहां से सिर्फ दो ही बार ही जीत हासिल की है। जनता पार्टी और जनता दल के नेताओं के लिए भी यहां प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। देश में चल रही राजनीतिक हवा का असर नैनीताल सीट पर भी पड़ता रहा है। 1951 व 1957 के चुनाव में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के दामाद सीडी पांडे और 1962 से 1971 तक के तीन चुनावों में पुत्र केसी पंत यहां से सांसद रहे। मगर 1977 के चुनाव में आपातकाल के दौर में पंत को भारतीय लोकदल के नए चेहरे भारत भूषण ने पराजित कर दिया। तब देश में पहली बार विपक्ष की सरकार बनी। लेकिन विपक्ष का प्रयोग विफल रहने पर 1980 में एनडी तिवारी को उनके पहले संसदीय चुनाव में नैनीताल ने दिल्ली पहुंचा दिया। गौरतलब है कि 1984 में तिवारी सांसदी छोड़ यूपी का सीएम बनने चले तो उनके शागिर्द सतेंद्र चंद्र गुड़िया को भी जनता ने वही सम्मान दिया। 1989 के चुनाव में मंडल आयोग की हवा चली तो जनता दल के नए चेहरे डा. महेंद्र पाल चुनाव जीत गए और जनता दल की ही केंद्र में सरकार बनी। 1991 के चुनाव में यहां के मतदाता देश में चल रही राम लहर की हवा में बहे और बलराज पासी ने भाजपा के टिकट पर जीतकर इतिहास रच दिया। तब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। 1998 में बीच में एचडी देवगौड़ा और आरके गुजराल के नेतृत्व वाली जनता दल की सरकार की विफलता के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा की इला पंत ने एनडी तिवारी को पटखनी दी और दुबारा केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद से 2004 व 2009 के चुनावों में कांग्रेस के केसी सिंह बाबा यहां से सांसद हैं और दोनों मौकों पर कांग्रेस की सरकार ही देश में बनी।

एनडी ने दो बार तोड़ा है मिथक

नैनीताल। नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में सरकार बनती रही है, मगर एनडी तिवारी 1996 और 1999 में वह विरोधी पार्टियों की लहर में भी नैनीताल से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1996 में एनडी तिवारी ने कांग्रेस से नाराज होकर सतपाल महाराज शीशराम ओला व अन्य के साथ मिलकर कांग्रेस (तिवारी) बनाई और उनकी पार्टी चुनाव जीतने में सफल रही। इस चुनाव के बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। 1999 के चुनाव में भी एनडी तिवारी ने फिर अपवाद दोहराया, जब कांग्रेस से तिवारी तीसरी बार चुनाव जीते, लेकिन फिर केंद्र में भाजपा की ही सरकार बनी। वर्ष 2002 में उनके उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने पर हुए उपचुनाव में जद से कांग्रेस में आए डा. महेंद्र पाल भी उनकी सीट बचाने में सफल रहे।

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

नैनीताल से भाजपा-कांग्रेस जो भी जीतेगा, दोनों की होगी हैट-ट्रिक

बाबा व भाजपा को तीसरी जीत की चाहत
नवीन जोशी नैनीताल। नैनीताल लोकसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर यदि भाजपा जीतती है तो यह उसकी हैट्रिक होगी, और यदि कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह केसी बाबा की लगातार तीसरी जीत होगी। भाजपा और कांग्रेस के अलावा यहां आम आदमी पार्टी भी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही है। ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। नैनीताल सीट देश की राजनीति के दो धुरंधर नारायण दत्त तिवारी और केसी पंत की परम्परागत सीट रही है। नैनीताल में हमेशा ऐसा कुछ ना कुछ होता है कि इस सीट पर बड़े राजनीतिक शूरमाओं की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, फलस्वरूप देश-प्रदेश की इस सीट पर नजर रहती है। इस बार यहां मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी व मौजूदा सांसद केसी बाबा के बीच है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के टिकट पर जनकवि बल्ली सिंह चीमा भी संसद पहुंचने की होड़ में शामिल हैं। लोकसभा क्षेत्र की 14 विधानसभा सीटों में से आठ में विपक्षी भाजपा के विधायकों और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, तीन काबीना मंत्रियों और पूर्व सीएम का इसी क्षेत्र से होना भी इसे प्रदेश की वीवीआईपी सीटों में शुमार करती है। भाजपा यहां से जीतेगी, तो उसके लिए यह अब तक के संसदीय इतिहास की इस सीट से तीसरी जीत होगी, क्योंकि उनसे पहले केवल बलराज पासी और इला पंत ही भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत पाए हैं। वहीं कांग्रेस जीती तो उसके प्रत्याशी के लिए भी यह व्यक्तिगत तौर पर लगातार व तीसरी जीत होगी। बसपा उम्मीदवार लईक अहमद भी मुकाबले में आने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं।

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

नैनीताल में नैया पार लगाने को भाजपा को चाहिए मोदी, नकवी और सिद्धू

युवा, मुस्लिम और सिख वोटरों को साधने की है कोशिश
नवीन जोशी, नैनीताल। देश-प्रदेश में चल रही मोदी के पक्ष और कांग्रेस विरोधी लहर के बीच भाजपा को नैनीताल लोक सभा सीट पर अपनी नैया को पार लगाने के लिए नरेन्द्र मोदी, पार्टी के मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी और नवजोत सिंह सिद्धू की जरूरत है। पार्टी की नैनीताल लोक सभा क्षेत्र की इकाई ने अपनी इस इच्छा से पार्टी हाइकमान को अवगत करा दिया है। मोदी को हल्द्वानी, नकवी को काशीपुर, रुद्रपुर या हल्द्वानी और सिद्धू को बाजपुर या रुद्रपुर लाने की इच्छा जताई गई है। 
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भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता नैनीताल की सीट को लेकर काफी गंभीर हैं। कारण, कांग्रेस यहां यूपी के दौर से ही मजबूत रही है। यहां किसी भी अन्य पार्टी प्रत्याशी का कांग्रेस प्रत्याशी को हराने का रिकार्ड संयोग से कांग्रेस पार्टी की उत्तराखंड व उप्र सरकार के मुखिया रहे एनडी तिवारी के नाम पर है। तिवारी ने 1996 के चुनाव में कांग्रेस से नाराजगी के बाद बनाई अपनी कांग्रेस-तिवारी के टिकट पर भाजपा की इला पंत को 1.56 लाख वोटों से हराया था, इससे पहले 1977 में भारतीय लोक दल ने आपातकाल के बाद ‘इंदिरा हटाओ’ की लहर के दौर में कांग्रेस के केसी पंत को 85 हजार वोटों से और 1989 में मंडल आंदोलन की पृष्ठभूमि में हुए चुनावों में जनता दल के डा. महेंद्र पाल ने 20 हजार वोटों से यह सीट जीती थी। भाजपा के प्रत्याशी इस सीट को केवल दो बार, 1991 की राम लहर में बलराज पासी केवल 11 हजार और 1998 में इला पंत 15 हजार वोटों के अंतर से ही जीते थे। यह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि पासी, इला व पाल की जीतों में बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र की बड़ी भूमिका रही थी, जो कि उत्तराखंड बनने के बाद इस लोक सभा क्षेत्र से अलग हो चुका है। हालिया दो चुनावों की बात की जाए तो मौजूदा सांसद, केसी सिंह बाबा ने 2004 में 49 हजार और 2009 में करीब 88 हजार वोटों के अंतर से जीतकर अपने जीत का अंतर बढ़ाया है। यही बिंदु भाजपा की चिंता का बड़ा कारण भी है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए भाजपा वर्गवार मतदाताओं को साधने की कोशिश में है। पार्टी की सबसे बड़ी चिंता करीब 2.75 लाख मुस्लिम और करीब 1.5-1.5 लाख सिख व अनुसूचित वर्ग के वोटों को लेकर है। पार्टी का मानना है कि 2009 के चुनाव में आखिरी दौर में धर्म विशेष के प्रचारकों के भाजपा के विरोध में माहौल बनाने व अन्य पार्टियों से कोई मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी न होने की वजह से मुस्लिम मतों और तराई क्षेत्र में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के आने से सिख मतों के कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण हो जाने की वजह से पार्टी हार गई थी। 
लेकिन इससे इतर भाजपा इस बार स्वयं को मोदी के पक्ष और कांग्रेस के विरोध की लहर, दो बार के सांसद बाबा के प्रति भी एंटी इंकमबेंसी व उनके क्षेत्र में मौजूद न रहने, बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी घोषित होने से मुस्लिम वोटों का कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण न होने की संभावना के मद्देनजर स्वयं को लाभ में मान रही है। बावजूद वह कोई जोखिम लेने के मूड में भी नहीं है। इस उद्देश्य से युवाओं व हर वर्ग को रिझाने के लिए लोक सभा क्षेत्र के केंद्र में स्थित हल्द्वानी में मोदी, मुस्लिम बहुल काशीपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में नकवी एवं सिख बहुल बाजपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में सिद्धू को लाये जाने की रणनीति बनाई गई है।

सोमवार, 30 दिसंबर 2013

नैनीताल में क्या गुल खिलायेगी बचदा और बलराज की दोस्ती !

नैनीताल। एकता संदेश यात्रा के जरिए जहां एक ओर सरदार पटेल के माध्यम से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, वहीं यात्रा में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के दो स्वघोषित दावेदार बची सिंह रावत ‘बचदा’ और बलराज पासी के एक साथ अगल-बगल खड़े होने के भी राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों एक- साथ खड़े होकर पार्टी पर टिकट के लिए दबाव बनाना चाहते हैं। साथ ही अन्य दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को अलग-थलग करने और एक-दूसरे के नाम पर सहमत होने का सन्देश भी दे रहे थे। 

पटेल पीएम बनते तो न होता बंटवारा: बचदा

नैनीताल पहुंचकर हुआ एकता संदेश यात्रा का समापन
नैनीताल (एसएनबी)। भाजपा के वरिष्ठ नेता बची सिंह रावत ‘बचदा’ ने कहा कि सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से ही देश एकसूत्र में बांधा था, बावजूद इसके राजनीतिक कारणों से उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। उनका कहना है कि पटेल को प्रधानमंत्री बनाया होता तो देश का बंटवारा न होता। रावत सोमवार को 20 दिसंबर से शुरू हुई एकता संदेश यात्रा के आखिरी पड़ाव नैनीताल पहुंचकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू हुई इस यात्रा के जरिए देश को एकसूत्र में पिरोने की कोशिश की जा रही है। पूर्व सांसद बलराज पासी ने सरदार पटेल का जीवन वृत्त प्रस्तुत किया। इससे पूर्व नगर में यात्रा के पहुंचने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने यात्रा का भव्य तरीके एवं गर्मजोशी से स्वागत किया। जिलाध्यक्ष देवेंद्र ढैला, नगर अध्यक्ष विवेक साह, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य खीमा शर्मा, संयोजक रेनू अधिकारी व कुंदन बिष्ट आदि यात्रा रथ पर ही सवार हो गए। पूर्व अध्यक्ष भुवन हरबोला, जगदीश बवाड़ी, सीपी धूसिया, आनंद बिष्ट, मीनू बुधलाकोटी व संतोष साह सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता भी स्वागत में शामिल हुए। 

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

मोदी की रैली पर शादियों के लग्न भारी !

शादियों की वजह से रैली के लिए गाड़ियां मिलने में हो रही परेशानी, पर भाजपाइयों में दिख रहा भारी जोश
नवीन जोशी नैनीताल। 15 दिसम्बर को दून में हो रही भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की रैली की राह को इस दौरान और खासकर रैली के दिन तक ही उपलब्ध शादियों के लग्न प्रभावित कर रहे हैं। चूंकि शादियों के लग्न 14 तक ही हैं और इधर मौसम भी अधिक सर्द नहीं हुआ है। इस दौरान जनता के साथ ही अनेक भाजपा कार्यकर्ता भी अपने निकटस्थों की शादियों में आमंत्रित और व्यस्त हैं। शादियों के लिए पहले से ही बुक होने की वजह से भाजपाइयों को रैली में जाने के लिए बसें ठीक से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं लेकिन शायद मोदी को देखने और सुनने का उत्साह ही है कि ऐसी स्थितियों के बावजूद भाजपाई रैली में हर हाल में जाने की बात कह रहे हैं। 
मंडल व जिला मुख्यालय में जहां एक ओर भाजपा कार्यकर्ताओं में मोदी की रैली के प्रति जोश दिख रहा है, वहीं वह प्रदेश हाईकमान द्वारा रैली के लिए दिए गए लक्ष्यों को लेकर परेशान हैं। इसका कारण यह है कि करीब एक हजार कार्यकर्ताओं को देहरादून ले जाना है। इनमें से अन्य लोग तो अपने प्रबंधों से दून चले जाएंगे लेकिन संगठन को करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ताओं को दून ले जाने की व्यवस्था करने को कहा गया है। इस हेतु कम से कम पांच बसों की आवश्यकता है। बसों की व्यवस्था में जुटे एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आम तौर पर नैनीताल से दून के लिए 18 हजार रुपये में बसें मिल जाती हैं लेकिन इधर शादियों में व्यस्त होने के कारण 25 हजार रुपये से कम में बसें नहीं मिल पा रही हैं। हालांकि ऐसे कार्यकर्ता भी मिले। जिन्होंने कहा कि बसें मिले चाहे न मिलें, भले ट्रकों में लटककर जाना पड़े लेकिन दून जरूर जाएंगे। क्योंकि मोदी के रूप में भाजपा को सत्ता में लौटाने का जो मौका मिला है, उसे चूकेंगे नहीं। इस बारे में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत ने भी स्वीकारा कि शादियों की वजह से शंखनाद रैली के प्रबंधों में दिक्कत तो आ रही है लेकिन कार्यकर्ताओं का जोश देखते हुए रैली में भीड़ जुटाने में कोई कठिनाई नहीं है।

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

राहुल के पीएम बनने की कल्पना मूर्खता: कोश्यारी


नैनीताल (एसएनबी)। वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने गत दिवस दागी जनप्रतिनिधियों संबंधी अध्यादेश को बकवास कहने वाले राहुल गांधी को ही नॉनसेंस करार दिया है। वह शुक्रवार को नैनी जिला कारागार परिसर में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। राहुल गांधी के भावनात्मक भाषणों पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कोश्यारी ने कहा कांग्रेस के उपाध्यक्ष के बयानों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। वह अपनी पार्टी में जिस पद पर हैं उसके भी योग्य नहीं हैं, लिहाजा उनके लिए प्रधानमंत्री बनने की कल्पना मूर्खता है। उन्होंने कहा, "जो व्यक्ति प्रधानमंत्री द्वारा तैयार विधेयक को 'नॉनसेंस' कहता है, वह खुद 'नॉनसेंस' है।"

कोश्यारी शुक्रवार को रुद्रपुर से गिरफ्तार 27 पार्टी कार्यकर्ताओंसे मिलने पार्टी नेताओं के साथ नैनी जिला कारागार पहुंचे थे। इस दौरान कोश्यारी मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा आसन्न पंचायत चुनावों में अपनी हार की संभावनाओं को देख कांग्रेस सरकार बौखला गई है। इसलिए प्रदेश में सद्भावना का माहौल बिगाड़ना चाहती है। सरकार ने यदि तुरंत पार्टी नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस न लिए और बंदी बनाए कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा न किया तो प्रदेश भर में जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। इस मौके पर देवेंद्र ढैला, गोपाल रावत, हेम आर्या, मनोज साह, संतोश साह, नितिन कार्की, सहित बड़ी संख्या में भाजपाई साथ रहे। किसी की नजर ना लगे, यह दुआ कीजिए : एक प्रश्न के जवाब में कि उनकी नैनीताल लोस सीट से दावेदारी पर कई लोगों की नजर लगी हुई है। इस पर कोश्यारी ने चुटकी ली और दुआ कीजिए कि किसी की नजर लग ना जाए। 

रविवार, 4 अगस्त 2013

कैलास मानसरोवर यात्रा रोकना गैर हिंदूवादी कदम : भाजपा

नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश भाजपा ने कैलास मानसरोवर यात्रा को निरस्त करने के लिए प्रदेश सरकार का गैर हिंदूवादी कदम और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि यह देश के करोड़ों आस्थावान हिंदू समाज की भावनाओं से खिलवाड़ है। सरकार को तत्काल ही अपने निर्णय में बदलाव कर यात्रियों को मुफ्त हेलीकॉप्टर सुविधा दिलाकर यात्रा को शुरू करानी चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया दी कि आगे इस कदम के बाद उत्तराखंड के यात्रा मार्ग को असुरक्षित बताकर अरुणांचल व लद्दाख से कैलास मानसरोवर के लिए नए मार्ग खोले जा सकते हैं, इससे उत्तराखंड एक बड़ा आर्थिक श्रोत भी खो देगा। 
जोशी रविवार को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल के साथ देहरादून लौटते हुए मुख्यालय स्थित राज्य अतिथि गृह में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। कहा, कैलाश यात्रा मार्ग में केवल नदी के बगल से होकर जाने वाले रास्ते में नुकसान हुआ है, जबकि नैनीताल से सौसा, जिप्ती या गुंजी तक एमजी-17 हेलीकॉप्टर के अधिकतम तीन चक्कर लगाकर श्रद्धालुओं को कैलास यात्रा कराई जा सकती है। "˜राष्ट्रीय सहारा" पूर्व में ही कैलास मानसरोवर यात्रा को इसी तरह नैनीताल से सौसा या जिप्ती तक हेलीकॉप्टर सुविधा के जरिए संचालित करने का विकल्प सुझा चुका है। जोशी ने कहा कि यात्रा के स्थगित होने से हमेशा के लिए उत्तराखंड से यह सेवा छिनने का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। इस मौके पर सांसद प्रतिनिधि मनोज जोशी व संतोष साह मौजूद थे।

निकटवर्ती वन भूमि पर तत्काल विस्थापन हो, पर सीमांत क्षेत्र खाली भी न हो : चुफाल

नैनीताल। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल ने सीमांत क्षेत्रों में आपदा प्रभावितों का नहीं वरन पूरे आपदा प्रभावित गांवों को विस्थापन करने की आवश्यकता जताई है। साथ ही चेताया है कि विस्थापन से सीमांत क्षेत्र के गांव खाली न हो जाएं। विस्थापितों को केवल रहने के लिए मकान ही नहीं वरन आजीविका के लिए आपदा में बरबाद हुई पूरी जमीन निकटवर्ती वन भूमि में ही देने की मांग की। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आपदा के डेढ़ माह गुजरने के बाद सड़कें तो दूर आपदा में नष्ट हुए पैदल मार्ग भी दुरुस्त न कर पाने का आरोप लगाया। पैदल रास्ते ही बन जाएं, तो बड़ी बकरियों के जरिए भी दूरस्थ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सकता है। पत्रकारों से वार्ता करते भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल व अन्य। 

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

चुनावी जलजले से हर पार्टी में उभरी दरार


सत्तारुढ़ कांग्रेस में सर्वाधिक बागी भाजपा व बसपा के बागी भी मैदान में
नवीन जोशी, नैनीताल। अपनी 1845 में हुई स्थापना से देश की दूसरे नम्बर की नगर पालिका नैनीताल में आसन्न निकाय चुनाव ने जलजले के रूप में सभी पार्टियों के घरों में भारी दरार नुमाया कर दी है। हर पार्टी में अनेक बागी उम्मीदवार यदि नाम वापसी तक मनाए न जा सके तो आने वाले दिनों में अध्यक्ष पद के साथ ही वाडरे के सभासद पदों हेतु अधिकृत प्रत्याशियों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकते हैं। कहते हैं कि अक्सर जंग दुश्मनों से अधिक कठिन दोस्तों से होती है। यह जंग खास तौर पर गांवों के ग्राम प्रधानों के चुनाव तो कई बार गांवों में आपसी वैमनस्य को बढ़ाने वाले भी साबित होते हैं। नगरों की छोटी इकाइयों में प्रत्याशियों को अपनों से ही उलझना पड़ता है। नगर पालिका नैनीताल के अध्यक्ष एवं 13 वाडरे में सभासद पदों पर आखिरी दिन तक हुए नामांकनों की स्थिति प्रत्याशियों को दूसरे दलों के साथ ही अपनों से लड़वाती नजर आ रही है। खासकर विपक्षी भाजपा के प्रत्याशियों के लिए इस मामले में अधिक कठिन स्थिति है, क्योंकि इसी पार्टी ने सभी वाडरे में सभासद प्रत्याशियों को अपने सिंबल दिए हैं। वहीं अध्यक्ष पद पर सत्तारूढ़ दल में सत्ता रूपी ‘मधुमक्खी के छत्ते’ से टपकने वाले 'शहद' को लेकर अधिक मारामारी नजर आ रही है। यहां पहले ही पार्टी पर्यवेक्षक के सामने दावेदारी जताने वाले तीनों दावेदार-सुभाष चंद्रा, दीपक कुमार 'भोलू' व राजेंद्र व्यास तो मैदान में कूद ही पड़े हैं। सुभाष के साथ कांग्रेस के 2008 में प्रत्याशी रहे दिनेश चंद्र साह के जाने से भी पार्टी को बुरे संकेत मिले हैं। वहीं अपने दादा खुशी राम के जमाने से कांग्रेसी रहे पूर्व पालिकाध्यक्ष संजय कुमार 'संजू' इस बार कमल का फूल थाम कर भाजपा से प्रत्याशी हैं। वह पिछली बार बसपा से विधान सभा का चुनाव लड़ चुके हैं, एक दिन पूर्व ही वह बकौल उनके 150 बसपा कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हुए हैं, लिहाजा वह बसपा के वोट बैंक में भी निश्चित ही सेंध लगाने की उम्मीद कर रहे हैं। कांग्रेस को उनके साथ ही पार्टी से जुड़े दावेदार राजेंद्र व्यास के भाई अरविंद व्यास व शालिनी आर्या के भी नुकसान पहुंचाने की संभावना जताई जा रही है। भाजपा ने दूसरी पार्टी से जुड़े प्रत्याशी को उतारा है तो उनकी घर की टूट भी उजागर हो गई है। वर्तमान सभासद एवं पार्टी से पुश्तैनी रिश्ता रखने वाले प्रेम सागर बागी हो गए हैं, उनका कहना है पार्टी 'दगाबाज' हो गई है तो वह क्यों नहीं हो सकती है। वहीं किसी दौर में पार्टी के सदस्य रहे जगमोहन भी निर्दलीय के रूप में मैदान में कूद पड़े हैं। भाजपा को अनेक वाडरे में भी निर्दलीय कूदे बागियों से तगड़ी दावेदारी मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता। उसके कुंदन सिंह नेगी सूखाताल से, आशा आर्या अपर माल से, पूर्व नगर उपाध्यक्ष कुंदन बिष्ट की पत्नी सपना बिष्ट नैनीताल क्लब वार्ड से बागी होकर निर्दलीय चुनाव में कूद पड़े हैं। बसपा से राकेश कुमार 'शंभू' प्रत्याशी हैं तो 2008 में बसपा से प्रत्याशी रहे उन्हीं के हमनाम अधिवक्ता राकेश कुमार ने भी अध्यक्ष पद के लिए दुबारा ताल ठोंक दी है। ऐसे में निकाय चुनावों में बागी सत्ता के ऊंट को किस करवट बैठाते हैं, देखना दिलचस्प होगा।

अध्यक्ष पद के लिए दो भाई आमने-सामने

नैनीताल। सत्ता का 'शहद' जो न करा दे वह कम है। कांग्रेस के बागी राजेंद्र व्यास के साथ ही उनके अनुज अरविंद व्यास ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोंक दी है। दोनों भाई एक ही घर में रहते हैं। बताया कि दोनों ने ही अपनी माता से जमानत राशि तीन-तीन हजार रुपए लाकर नामांकन कराया।

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

तीरथ का कुमाऊं दौरा: "फील गुड˜ के साथ ही मिला "फीड बैक"



भाजपा संगठन के विस्तार की आहट से चौकन्ने दिखे कार्यकर्ता, पलक-पांवड़े बिछाने में नहीं रखी कोई कसर 
नवीन जोशी, नैनीताल। भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को उनका कुमाऊं दौरा "फील गुड" और साथ ही आसन्न संगठन विस्तार से लेकर निकाय, पंचायत व लोक सभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों की बाबत ˜फीड बैक" भी दे गया है। इस "फील गुड" के कारक भी इसी "˜फीड बैक" में छुपे हुए हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने नए अध्यक्ष के समक्ष अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए अपनी गुटीय निष्ठाओं को दरकिनार कर जिस तरह पलक पांवड़े बिछाए, उससे ˜फील गुड इफेक्ट" के साथ ही संगठन विस्तार व आगामी चुनावों के लिए ˜फीड बैक" भी लेकर तीरथ कुमाऊं से लौटे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तीरथ ने अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरूआत उस कुमाऊं मंडल से की, जिसे उनकी ताजपोशी के विरोधी रहे गुट का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। उनकी ताजपोशी से पहले चरम पर पहुंचा राज्य के ˜थ्री जी" गुटों का आपसी विवाद और उनके दौरे से ठीक एक दिन पहले हल्द्वानी में भी दो पूर्व दर्जाप्राप्त मंत्रियों के विवाद के साथ पुलिस थाने तक भी जा पहुंचा था। इसके बावजूद तीरथ का कुमाऊं में आगमन हुआ तो जसपुर में मंडल की सीमा में प्रवेश से लेकर काशीपुर, बाजपुर, दिनेशपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी, भीमताल, भवाली, कालाढूंगी और रामनगर तक विरोधी बताए जाने वाले गुटीय नेताओं के साथ छपे उनके विशालकाय होर्डिग, पोस्टर देखकर तीरथ ने भी कहा कि वह ˜निर्गुट" नेता हैं। दरअसल उनके ˜दिल खोल" स्वागत के पीछे आसन्न परिस्थितियां हैं। पार्टी की जिला इकाइयों के विस्तार के साथ ही भाजयुमो जैसी आनुषांगिक इकाइयों व प्रकोष्ठों का जल्द गठन होना है। निकाय और पंचायत चुनाव मुंह बाये खड़े हैं तो लोस चुनाव भी दूर नहीं हैं। ऐसे में नैनीताल-ऊधमसिंहनगर जिले की संसदीय सीट के दो दावेदारों बची सिंह रावत व बलराज पासी से लेकर कई पूर्व दर्जाप्राप्त मंत्री तथा पार्टी के पूर्व व निवर्तमान पदाधिकारी उनके स्वागत में पोस्टरों के तोरणद्वार सजाते हुए वास्तव में ˜मुंह दिखाई" की प्रतिस्पर्धा करने को मजबूर रहे। इस कोशिश में अनेक ˜राजनीतिज्ञों" ने तो अपनी मजबूत बताई जाने वाली गुटीय निष्ठा भी ताक पर रखने से गुरेज नहीं किया। तीरथ बृहस्पतिवार को नैनीताल क्लब में ˜राष्ट्रीय सहारा" से एक खास भेंट में इस ˜फील गुड" से खासे उत्साहित दिखे। उन्होंने कहा, उनकी कोशिश इस जोश को बरकरार रखने की रहेगी। उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है।

कोश्यारी के गढ़ में सेंध लगाने में रहे सफल 
नैनीताल। भाजपा के दिग्गज नेता भगत सिंह कोश्यारी के गढ़ में तीन दिवसीय दौरे के माध्यम से सेंध लगाकर कोश्यारी को अलग-थलग करने की योजना आखिर परवान चढ़ ही गई। संगठन में प्रदेश अध्यक्ष के मुद्दे पर इन दिनों पार्टी से खफा भगत सिंह कोश्यारी के गढ़ में नये अध्यक्ष का दौरा सफल कराकर पार्टी कोश्यारी को जो संकेत देना चाहती थी, उसमें पार्टी के रणनीतिकार सफल रहे। पूरे दौर के दौरान जिस प्रकार से पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष पूरन शर्मा, पूर्व मंत्री बंशीधर भगत जैसे दिग्गजों को दौरे की कमान देकर प्रदेश अध्यक्ष का दौरा सफल कराया है, उससे कोश्यारी खेमे को संकेत मिल गया है कि फिलहाल संगठन पर खंडूड़ी व निशंक खेमा ही हावी रहेगा।


संगठन विस्तार प्रांतीय परिषद की बैठक तक
नैनीताल। तीरथ ने कहा कि आगामी 16-17 मार्च को आयोजित होने जा रही प्रांतीय परिषद की बैठक तक संगठन का विस्तार कर लेंगे। उन्होंने कहा कि संगठन में युवाओं को स्थान देना उनकी प्राथमिकता में होगा। महिलाओं को भी खास तरजीह दी जाएगी। साथ ही अनुसूचित जाति सहित सभी जातियों, वर्गों, समाज के लोगों को संगठन में स्थान देकर पार्टी सर्वग्राही, सर्वस्पर्शी व सर्वव्यापी स्वरूप प्रदर्शित करेगी। हालांकि एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने स्वीकारा कि उनकी ˜राष्ट्रीय सोच" वाली कही जाने वाली पार्टी में राष्ट्रीय सोच दिखाई नहीं देती है। क्षेत्र व जाति के समीकरणों के आधार पर पद मिलते हैं। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि वह पार्टी के प्रति आस्थावान एवं कार्य क्षमतायुक्त लोगों को ही जिम्मेदारियां देंगे। उन्होंने राज्य सरकार पर गैरसैंण पर राजनीतिक ढकोसला करने का आरोप लगाते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की मांग की। उन्होंने प्रदेश सरकार पर अपने मंत्रियों को विदेश यात्रा कराकर व अन्य तरीकों से खुश कर केवल स्वयं को बचाने और जनता की ओर पीठ फेर लेने का आरोप भी लगाया।


हां, लोक सभा का दावेदार हूं : बचदा

नैनीताल। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे बची सिंह रावत ˜बचदा" के साथ ही पूर्व सांसद बलराज पासी लगातार साथ रहे। बचदा पिछली बार नैनीताल सीट से लोक सभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं, जबकि बलराज के नाम एनडी तिवारी को हराने का रिकार्ड दर्ज है। हालांकि इस सीट से अब तक पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव लड़ने की संभावनाएं सर्वाधिक बताई जा रही थीं, लेकिन बदले हालात में बचदा और बलराज मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। बचदा ने बृहस्पतिवार को इशारों में कहा भी कि उनका स्वाभाविक दावा है। साथ ही वह यह कहने से भी नहीं भूले कि तीरथ में संगठन को लेकर अपार संभावनाएं हैं। उनकी कार्यक्षमता को वह अपने प्रदेशाध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान प्रदेश महामंत्री के रूप में देख चुके हैं।