Uttarakhand Air service लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Uttarakhand Air service लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 6 मई 2012

हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनेगा

अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के लिए 37 एकड़ भूमि तलाशने की कसरत शुरू, कल देहरादून में बैठक

हल्द्वानी (एसएनबी)। राज्य सरकार अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के साथ हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बनाने जा रही है। इसके लिए शासन स्तर पर कसरत शुरू हो गई है। सोमवार को इस मामले में देहरादून में बैठक बुलाई गई है। बैठक में अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के क्षेत्रफल में वृद्धि पर निर्णय लेने के अलावा हवाई अड्डे के लिए जमीन की तलाश का काम शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही हल्द्वानी एक बड़े शहर के रूप में राष्ट्रीय फलक पर दिखाई देगा। काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान की नींव रखी थी। इस मैदान को आस्ट्रेलिया के सिडनी मैदान की तरह बनाया जाना था। खंडूड़ी सरकार ने खेल मैदान का दोबारा शिलान्यास करने के साथ इसके क्षेत्रफल में कटौती कर दी। अब कांग्रेस सरकार इस खेल मैदान का क्षेत्रफल बढ़ाने जा रही है। अब तक मैदान का कुल क्षेत्रफल 35 एकड़ है। इसमें 37 एकड़ जमीन और जोड़ी जा रही है। इसके लिए खेल मंत्रालय ने अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं। डा. हृदयेश ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल मैदान के लिए 72 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। 35 एकड़ जमीन केंद्रीय वन मंत्रालय पहले ही राज्य सरकार को दे चुका है। अब 37 एकड़ जमीन के लिए केंद्रीय वन मंत्रालय से ग्रीन सिग्नल लेना होगा। इसके बाद यह जमीन खेल मंत्रालय के अधीन आ जाएगी। इस स्टेडियम के निर्माण के लिए सरकार बहुविकल्पीय रुख अपनाने जा रही है। पीपीपी मोड पर भी स्टेडियम का निर्माण कराया जा सकता है। डीपीआर आदि बनाने के लिए 25 करोड़ रुपये पहले से ही स्वीकृत किया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार कुछ प्रतिष्ठित कापरेरेट सेक्टर इस स्टेडियम का निर्माण करना चाहते हैं। इसका प्रस्ताव सरकार को मिल चुका है। डा. हृदयेश ने इसकी पुष्टि की। खेल मैदान के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल काम्प्लेक्स बनाया जाना है। इसमें क्रिकेट से लेकर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजित किये जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के साथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण भी सरकार की प्राथमिकता में है। अभी तक कुमाऊं में हल्द्वानी से 24 किमी दूर पंतनगर एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट अभी हवाई पट्टी के रूप में ही विकसित हो पाया है। पंतनगर में औद्योगिक आस्थान के विकसित होने के कारण यह एयरपोर्ट काफी व्यस्त हो गया है। इसके विपरीत सामरिक और पर्यटन विकास की दृष्टि से हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट की जरूरत लंबे समय से महसूस की जाती रही है। कुमाऊं का काफी इलाका नेपाल और तिब्बत से जुड़ा है। पिथौरागढ़ की नैनी सैनी हवाई पट्टी भी अभी तक तैयार नहीं हो पाई है। डा. हृदयेश के अनुसार खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने और पर्यटन विकास के लिए हल्द्वानी में हवाई अड्डे का निर्माण जरूरी है। उन्होंने बताया कि इन तमाम बिंदुओं पर बातचीत के लिए सोमवार को दून में बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए कई स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए पीपीपी मोड पर भी कई काम किए जा सकते हैं।

रविवार, 18 मार्च 2012

बंद हो गई कुमाऊं के लिए किंगफिशर की उड़ान


औपचारिक रूप से एटीआर-48 को बंद करने की घोषणा, कुमाऊं में पर्यटन प्रभावित होने की आशंका
नवीन जोशी नैनीताल। पंतनगर तक आने वाली हवाई सेवा से किंगफिशर एयरलाइंस ने औपचारिक तौर पर तौबा कर ली है। इसके अलावा यहां के लिए हवाई सुविधा देने का प्रस्ताव भी नहीं है। कुमाऊं मंडल को हवाई सेवा से जोड़ने के लिए पंतनगर हवाई अड्डे में ही सुविधा उपलब्ध है। 1969 में स्थापित इस एयरपोर्ट में 2005-06 में और फिर गत वर्ष हवाई सेवा चली। नैनीताल समेत मंडल में पर्यटन और ऊधमसिंह नगर जनपद में विकसित हुए औद्योगिक क्षेत्र को इस सेवा से लाभ मिला लेकिन बीते दिनों आर्थिक हालत बिगड़ने के बाद किंगफिशर को गत 30 नवम्बर से यहां के लिए संचालित 48 सीटों वाले एटीआर विमान की सेवा बंद करनी पड़ी। पंतनगर एयरपोर्ट अथारिटी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि किंगफिशर की इस सेवा को अच्छी संख्या में यात्री मिल रहे थे। यात्री महीनों पहले भी बुकिंग करा रहे थे। आर्थिक बदहाली के बाद किंगफिशर प्रबंधन ने पंतनगर के लिए एटीआर-48 सेवा को बंद करने की घोषणा कर दी है। एयरपोर्ट निदेशक एमपी अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की। साथ ही बताया कि फिलहाल यहां के लिए किसी अन्य विमान सेवा का प्रस्ताव नहीं है। कुमाऊं में पर्यटन सीजन शुरू होने जा रहा है, कुमाऊं मंडल को आने वाले उच्चवर्गीय सैलानी हवाई सेवा का लाभ नहीं ले सकेंगे। इसका नुकसान यहां के पर्यटन को झेलना पड़ेगा। 


राजनीतिक नेतृत्व की रहती है भूमिका
नैनीताल। दिल्ली से पंतनगर तक हवाई सेवा चलाने में दोनों बार राज्य के राजनीतिक नेतृत्व की बड़ी भूमिका रही। पहली बार तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी के प्रयासों से अक्टूबर 2005 में जैक्सन एयरलाइंस ने डोरनियर विमान सेवा शुरू की थी यह करीब एक वर्ष चलकर बंद हो गया। गत वर्ष सीएम डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के प्रयासों से किंगफिशर एयरलाइंस ने 48 सीटों वाले एटीआर विमान चलाए लेकिन हालात बिगड़ने के बाद किंगफिशर ने 30 नवम्बर से अपनी सेवा बंद कर दी है। सेवा से जुड़े लोगों का मानना है कि राजनीतिक प्रयास हुए तो कुमाऊं के लिए हवाई सेवा को किसी अन्य कंपनी के सहयोग से बहाल कराया जा सकता है।