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मंगलवार, 2 सितंबर 2014

प्राकृत पर्वताकार रूप में प्रकटीं मां नंदा-सुनंदा


‘जै भगौति नंदा’ के जयकारों से गूंजी सरोवरनगरी सुबह से लेकर तीसरे प्रहर तक होता रहा भजन-कीर्तन एक लाख के करीब श्रद्धालुओं ने नवाए शीश
नैनीताल (एसएनबी)। ‘जै मां जै, जै भगौती नंदा, जै मां ऊंचा कैलाश की’ के जयकारों से सरोवरनगरी मंगलवार को पूरे दिन गुंजायमान रही। सरोवरनगरी नैनीताल एवं आसपास के गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मां नंदा-सुनंदा के दर्शन किये। लोगों में अटूट आस्था व श्रद्धा बरसाने वाली मां नंदा-सुनंदा पवित्र कदली वृक्षों से ‘प्राकृत पर्वताकार रूप में’ मंगलवार को सुबह ब्रह्म मूहूर्त में जैसे ही प्रकट हुईं, श्रद्धालुओं के जैकारे से आसमान गूंज गया। फिर तो पूरे दिन के लिए मां के सच्चे दरबार में जैसे भक्तों का रेला उमड़ आया, सुबह से लेकर तीसरे पहर तक भजन-कीर्तन होते रहे और जयकारे लगते रहे। 
मंगलवार सुबह तड़के ब्रrा मूहूर्त में साढ़े तीन बजे से मां नंदा व सुनंदा की कदली वृक्ष से बनाई गई मूर्तियों को मां नयना देवी मंदिर परिसर में बनाए गए पारंपरिक दरबार में रखा गया और प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया शुरू हुई। चंदवंशीय राजाओं की काशीपुर शाखा के राजपुरोहित पं. दामोदर जोशी एवं पं. जगदीश लोहनी ने आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष मुकेश जोशी के सपत्नीक यजमानत्व में यह विशेष पूजा-अर्चना आयोजित करवाई। इससे पूर्व रात्रि डेढ़-दो बजे से ही श्रद्धालु मंदिर में जम गए थे। आखिर लगभग दो घंटे के लंबे इंतजार के बाद मां के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गये। कुमाऊं के दूर दराज अंचलों से आए छोलिया नर्तक और लोक कलाकार के नैनीताल को संस्कृति की नगरी बना रहे हैं। वहीं मल्लीताल फ्लैट मैदान हाट बाजार और मेले के रूप में नजर आ रहा है, यहां ऊंचे-ऊंचे झूले लगे हुए हैं और उल्लासपूर्ण माहौल बन गया है। हर ओर मां नंदा महोत्सव के साथ धर्म और संस्कृति का उल्लास छाया हुआ है। श्रद्धालुओं के हुजूम नजर आ रहे हैं। आज पहले दिन लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। बाहर नौकरी-व्यवसाय करने वाले अनेक लोग भी घर लौट आए हैं। मेला लोगों-महिलाओं को मिलने का मौका भी उपलब्ध करा रहा है।


बलि परम्परा को लेकर रहा तनाव

नैनीताल (एसएनबी)। नंदा देवी महोत्सव में बलि की परम्परा पर प्रशासन के रवैये से शहर में तनावपूर्ण स्थिति रही। पुलिस ने बकरों को शहर में ही प्रवेश नहीं करने दिया। इससे श्रद्धालुओं में प्रशासन के प्रति बेहद आक्रोश रहा। हिंदूवादी संगठनों में पुलिस के घेरे को तोड़कर प्रथा को जारी रखने की करीब चार बार कोशिश की। दो बार प्रशासन के रवैये के विरोध में नयना देवी मंदिर के गेट भी बंद कर दिए गए। हिंदूवादी संगठनों ने पहले तड़के तथा फिर नौ बजे मंदिर परिसर में बलि प्रथा का जारी रखने की कोशिश की। नौ बजे कार्यकर्ता मेला क्षेत्र के बीच से एक बकरे को दौड़ाकर मंदिर की ओर बढ़े। गुरुद्वारे के पास पुलिस ने उन्हें रोक दिया और विरोध करने पर मारपीट की गई। इससे आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने मंदिर का गेट बंद कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर पुलिस कर्मियों व एसओजी के सादी वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों ने दो युवकों को कोतवाली पहुंचा दिया, हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

रविवार, 31 अगस्त 2014

मां नयना की नगरी में कदली रूप में आई मां नंदा-सुनंदा

मूसलाधार बारिश के बीच सैकड़ों महिलाओं, छात्र- छात्राओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सजकर कराया नगर भ्रमण
नैनीताल (एसएनबी)। एक वर्ष के लंबे अंतराल और एक-एक दिन गिनने के बाद आखिर वह दिव्य पल आ गए जब राज्य की कुलदेवी मां नंदा और सुनंदा पवित्र कदली (केला) वृक्षों के रूप में मां नयना की नगरी में लौट आईं। अब वह अगले छह दिनों तक एक बेटी के रूप में अपने मायके में रहेंगी। उनके आगमन पर आज नगर के सभी नर-नारी श्रद्धालु हर्षित हो उठे। उनके नगर भ्रमण में सैकड़ों लोगों, खासकर महिलाओं की भीड़ मूसलाधार बारिश के बावजूद पारम्परिक परिधानों में उमड़ी, जबकि बड़ी संख्या में नगरवासियों ने सड़क किनारे और घरों की बुजरें से भी उनके दर्शन करते हुए उनका स्वागत किया। 
रविवार को पवित्र कदली वृक्षों के रूप में मां नंदा-सुनंदा का मंगोली से आकर सबसे पहले सूखाताल में अवतरण हुआ। यहां आदर्श रामलीला कमेटी सूखाताल के सदस्यों, महिलाओं व अन्य श्रद्धालुओं में माता का स्वागत किया, यही सिलसिला कदली दलों के तल्लीताल स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में पहुंचने पर भी चला। दोनों स्थानों पर भंडारे व प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। वैष्णव देवी मंदिर समिति के सदस्यों ने कदली वृक्षों की परम्परा के अनुसार पूजा- अर्चना की। यहां से शक्ति स्वरूपा मां नंदा-सुनंदा कदली वृक्षों के रूप में नगर भ्रमण पर निकलीं। तल्लीताल धर्मशाला और बाजार से पारम्परिक रंग्वाली लहंगे-पिछौड़े में सजी माउंट रोज महिला समिति सहित कई संगठनों की पूर्व सभासद मंजू रौतेला, मंजू पाठक, सरस्वती खेतवाल, जीवंती भट्ट, तारा राणा, दया बिष्ट व लीला साह आदि महिलाएं व छात्राएं कुमाऊं के परम्परागत घांघरा व रंग्वाली पिछौड़ा के वस्त्रों में सजकर और मां के रूप में आत्मसात होकर कलश यात्रा में भारी बारिश में तरबतर होते हुए भी भजन-कीर्तनों से साथ चल रही थीं। श्रद्धालु ‘जै मां नंदा सुनंदा तेरी जै जैकारा’ के गगनभेदी नारे लगा रहे थे। बैंड एवं कुमाऊं के पारम्परिक छोलिया नर्तक, ढोलद माऊ, मशकबीन व नगाड़े की थाप पर लोगों में जोश भर रहे थे। सबसे आगे शांति का प्रतीक धवल ेत तो सबसे पीछे विजय के लिए क्रांति का संदेश देता लाल ध्वज पारंपरिक रूप में चल रहा था। मां नगर भ्रमण करते हुए माल रोड से नैनी सरोवर का चक्कर लगा कर मल्लीताल बाजार पहुचीं, जहां आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा में कुछ देर विश्राम एवं पूजा-अर्चना के पश्चात कदली वृक्षों को मां के आकर्षक मूर्ति रूप में परिवर्तित करने के लिए नयना देवी मंदिर के समीप रख दिया गया। शोभायात्रा में श्रीराम सेवक सभा के संरक्षक गंगा प्रसाद साह, अध्यक्ष मुकेश जोशी, महासचिव राजेंद्र लाल साह, मुकुल जोशी, कमलेश ढौंढियाल, अनूप शाही, विमल चौधरी, जगदीश बवाड़ी, अजय बिष्ट, देवेंद्र लाल साह व कैलाश जोशी, तल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष मारुति नंदन साह, विक्की राठौर व राजेंद्र मनराल सहित सभी सदस्य एवं नगर के बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। महिलाओं की संख्या सर्वाधिक रही। बच्चों को बारिश की वजह से रोक दिया गया।

बारिश संग मौसम ने कराए दिव्य अनुभव

नैनीताल। माता नंदा के कदली स्वरूप में नगर भ्रमण के अवसर पर मूसलाधार बारिश हुई। इससे पूर्व बीते कुछ दिनों से खिली धूप के बीच महोत्सव के दीप प्रज्वलन के बाद बारिश का सिलसिला चल पड़ा है। उल्लेखनीय है कि बारिश को धार्मिक आयोजनों के बीच बेहद शुभ माना जाता है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब शोभायात्रा के शुरू होते ही मूसलाधार बारिश हुई। इसे श्रद्धालु माता के मायके में पहुंचने के दिव्य अनुभवों से जोड़कर देख रहे हैं।

भावुक हुई महिलाएं

नैनीताल। कालाढूंगी मार्ग स्थित मंगोली के ग्रामीण आज स्वयं को धन्य मान रहे थे। कारण, उनके गांव को इस वर्ष के नंदा महोत्सव के लिए कदली वृक्ष लाने के लिए चयनित किया गया था। इस दौरान गांव में एक ओर जश्न जैसा माहौल था, जो कदली वृक्षों की नैनीताल को विदाई के दौरान बेहद भावुक पलों में बदल गया। कई महिलाएं झूम रही थीं। इससे पूर्व गत रात्रि गांव में चयनित कदली वृक्षों की विशेष पूजा हुई।

यह भी पढ़ें : मां नयना की नगरी में होती है मां नंदा की ‘लोक जात’

::एक्सक्लूसिव::पिछले छह वर्षों की माता नंदा-सुनंदा की मूर्तियां देखिए 

शनिवार, 3 सितंबर 2011

लगातार समृद्ध हो रहा नंदा महोत्सव

अपनी पहचान कायम रखने में सफल रहा  108 सालों से हो रहा महोत्सव
नवीन जोशी, नैनीताल। सामान्यतया अतीत को समृद्ध परंपरा के लिए याद करने, वर्तमान को बुरा एवं भविष्य के प्रति चिंतित होने का चलन है लेकिन इस चलन को झुठलाता हुआ सरोवरनगरी का ऐतिहासिक नंदा महोत्सव साल दर साल नई परंपराओं को आत्मसात करता हुआ लगातार समृद्ध होता जा रहा है। पिछली शताब्दी और इधर तेजी से आ रहे सांस्कृतिक शून्यता की ओर जाते दौर में भी यह महोत्सव न केवल अपनी पहचान कायम रखने में सफल रहा है, वरन इसने सर्वधर्म समभाव की मिशाल भी पेश की है। पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी यह देता है और उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों को भी एकाकार करता है। इधर गत वर्ष अपनी वेबसाइट के जरिये ई-दुनिया में जाने के बाद इस वर्ष मां नंदा महोत्सव सोशल साइटों पर चर्चित हुआ है। सरोवरनगरी में नंदा महोत्सव की शुरुआत नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम शाह ने 1903 में अल्मोड़ा से यहां आकर की थी। शुरुआत में मंदिर समिति द्वारा ही यह आयोजन होता था, 1926 से आयोजन का जिम्मा नगर की सबसे पुरानी धार्मिक सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा को दे दिया गया, जो तभी से लगातार दो वि युद्धों के दौरान भी बिना रुके सफलता से और नए आयाम स्थापित करते हुए यह आयोजन कर रही है। कहा जाता है कि 1955-56 तक मूर्तियों का निर्माण चांदी से होता था, बाद में स्थानीय कलाकारों ने मूर्तियों को सजीव रूप देते हुए उसमें लगातार सुधार किया। परिणामस्वरूप नैनीताल की नंदा- सुनंदा की मूर्तियां, महाराष्ट्र के गणपति बप्पा जैसी ही जीवंत व सुंदर बनती हैं। खास बात यह भी कि मूर्तियों के निर्माण में पूरी तरह कदली वृक्ष के तने, पाती, कपड़ा, रुई व प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग किया जाता है। बीते तीन वर्षों से थर्मोकोल का सीमित प्रयोग भी बंद कर दिया गया है, जिसके बाद महोत्सव पूरी तरह ‘ईको फ्रेंडली’ हो गया है। साथ ही कदली वृक्षों के बदले 21 फलदार वृक्ष रोपने की परंपरा वर्ष 1998 से पर्यावरण मित्र वाईएस रावत के सुझाव पर शुरू की गई। वर्ष 2007 से तल्लीताल दर्शन घर पार्क से मां नंदा के साथ नैनी सरोवर की आरती की एक नई परंपरा भी जुड़ी है, जो प्रकृति से मेले के जुड़ाव का एक और आयाम है। मेला आयोजक संस्था ने मेले में परंपरागत होने वाली बलि प्रथा को अपनी ओर से सीमित करने की अनुकरणीय पहल भी की है। वर्ष 2005 से मेले में फोल्डर स्वरूप से स्मारिका छपने लगी, जिसका आकार इस वर्ष 220 पृष्ठों तक फैल चुका है। यहीं से प्रेरणा लेकर कुमाऊं के विभिन्न अंचलों में फैले मां नंदा के इस महापर्व ने देश के साथ विदेश में भी अपनी पहचान स्थापित कर ली है। शायद इसीलिए यहां का महोत्सव जहां प्रदेश के अन्य नगरों के लिए प्रेरणादायी साबित हुआ। बीते वर्ष से मेले की अपनी वेबसाइट के जरिऐ देश दुनिया तक सीधी पहुंच भी बन गई है। इधर फेशबुक, गूगल प्लस व ट्विटर सरीखी सोशल साइटों के जरिये भी मेला स्थानीय लोक कला के विविध आयामों, लोक गीतों, नृत्यों, संगीत की समृद्ध परंपरा का संवाहक बनने के साथ संरक्षण व विकास में भी योगदान दे रहा है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुई शुरूआत
नैनीताल (एसएनबी)। शक्तिस्वरूपा मां नंदा का 108वां महोत्सव सरोवरनगरी नैनीताल में पूरे धार्मिक उत्साह व परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुरू हो गया। मुख्य अतिथि डीएम शैलेश बगौली ने मां नंदा को शीश नवाते हुए उन्हें प्रदेश के दोनों अंचलों कुमाऊं व गढ़वाल को एक सूत्र में पिरोने वाली माता बताया। मल्लीताल रामलीला मैदान में आयोजित महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम में डीएम श्री बगौली ने क्षेत्रीय विधायक खड़क सिंह बोहरा, पूर्व विधायक डा. नारायण सिंह जंतवाल, एसएसपी अनंत राम चौहान, केएमवीएन के एमडी चंद्रेश कुमार, आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष सुधीर जोशी व पालिकाध्यक्ष एवं सभा महासचिव मुकेश जोशी के साथ दीप प्रज्वलित कर 108वें नंदा महोत्सव का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ तथा महोत्सव की रिकार्ड 220 पृष्ठों की वार्षिक स्मारिका का विमोचन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेला बीते कुछ वर्षो से लगातार समृद्ध होता जा रहा है तथा प्रदेश के बड़े महोत्सवों में शुमार हो गया है। उन्होंने महोत्सव के लिए जिला प्रशासन की ओर से हरसंभव सहयोग का आासन भी दिया। विधायक बोहरा ने मां नंदा को राज्य की कुलदेवी के साथ स्थानीय भूदेवी बताते हुए उनसे मां-बेटी का रिश्ता बताया। एसएसपी एआर चौहान ने मां से समृद्धि व शांति बनाये रखने की कामना की। पशु कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष शांति मेहरा ने महोत्सव का स्वरूप लगातार बेहतर होने तथा पूर्व विधायक डा. जंतवाल ने बदलती तकनीकी के दौर में भी सांस्कृतिक थाती को आगे बढ़ाने की बात कही। इस दौरान परंपरागत तरीके से मूर्ति निर्माण हेतु प्रयुक्त होने वाले कदली वृक्षों के बदले रोपे जाने वाले 21 पौधों की पूजा अर्चना की गई तथा कदली वृक्ष लाने वाले दल को परंपरागत लाल एवं सफेद ध्वज (निशानों) पवित्र कदली वृक्ष लाने वाले दल को प्रदान किये। इस अवसर पर  सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों एवं भारत सरकार के गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकारों के कुमाऊं के परंपरागत रंग्वाली पिछौड़े पहनकर भजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। छोलिया नर्तकों तथा गिरीश बोरा रीठागाड़ी ने लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष सरिता आर्या, संजय कुमार संजू, हेम आर्या, दया बिष्ट, दिनेश साह, किशन लाल साह कोनी, सभासद दीपक कुमार व मंजू रौतेला, सभा के जगदीश बवाड़ी, डा. अजय बिष्ट, कमलेश ढोंढियाल, अनूप शाही सहित बड़ी संख्या नगरवासी श्रद्धालु इन गौरवमयी पलों के गवाह बने। संचालन गंगा प्रसाद साह ने किया।


नंदा-सुनंदा के जयकारे के साथ शुरू हुआ जागर
बागेश्वर (एसएनबी)। कपकोट के पोथिंग गांव के भगवती मन्दिर में हर साल की तरह इस बार भी भव्य मेला लगा। हजारों श्रद्धालुओं ने मन्दिर में विधि विधान से पूजा अर्चना की और मनौतियां मांगी। परम्परानुसार कई श्रद्धालुओं ने मनौतियों के लिए बकरियों की बलि चढ़ाई और सुख शांति के लिए भगवती माता से प्रार्थना की। ग्रामसभा कपकोट में भी नंदा देवी महोत्सव वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य शुरू हो गया है। कपकोट के विभिन्न हिस्सों के अलावा जिले के अन्य क्षेत्रों से भी हजारों श्रद्धालुओं ने भागीदारी की। इस मौके पर आयोजित भंडारे में शिरकत कर प्रसाद भी ग्रहण किया। विधायक कपकोट शेर सिंह गड़िया, जिपं अध्यक्ष राम सिंह कोरंगा, उपाध्यक्ष विक्रम सिंह शाही के अलावा अन्य संगठनों के नेता, कार्यकर्ताओं ने भी भगवती मन्दिर जाकर पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगीं। ग्रामसभा कपकोट में भी नंदा देवी महोत्सव वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य शुरू हो गया है। इसके अलावा कपकोट के ही बदियाकोट भगवती मन्दिर में शनिवार रात्रि जागरण व रविवार को मेला तथा भंडारे का आयोजन होगा। दोफाड़ के नंदादेवी मन्दिर में और पुड़कूनी के भगवती मन्दिर में रविवार से नंदादेवी मेला शुरू होगा। इसके अलावा रविवार को कोटभ्रामरी मन्दिर डंगोली में मेला लगेगा। सनेती के देवी मन्दिर में नौ व 10 सितम्बर को मेला लगेगा। कपकोट के केदारेर बगड़ में 28 सितम्बर से होने वाले दुर्गा पूजा महोत्सव की तैयारियां भी जोरशोर से शुरू हो गई हैं। महोत्सव के लिए देवीकुंड हिमालय से जल लाने के लिए गये 11 लोगों को विधायक कपकोट शेर सिंह गड़िया ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच यात्रा के लिए रवाना किया।
महावीर मंगल समूह बिलौना के तत्वावधान में बिलौना में चल रहे गणपति महोत्सव में दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं की भीड़भाड़ रही। श्रद्धालुओं ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी। 
अल्मोड़ा/रानीखेत (एसएनबी)। नंदा-सुनंदा के आह्वान जागर व गणेश पूजन के साथ अल्मोड़ा में नंदा देवी महोत्सव शुरू हो गया है। रानीखेत में कदली पेड़ को लाने के साथ मेले का शुभारंभ किया गया। अल्मोड़ा डय़ोरीपोखर में नंदा देवी गणोश पूजन में राज परिवार के युवराज नरेन्द्र चन्द्र सिंह ने भाग लिया। शनिवार को चौधरीखोला में कदली वृक्षों को निमंतण्रदिया जाएगा। महोत्सव के शुरू होते ही विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी शुरू हो गया है। नंदा देवी परिसर में हुई ऐपण प्रतियोगिता में दो दर्जन से अधिक युवतियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता प्रभा पांडे, मंजू पंत व मनोरमा बिष्ट के देखरेख में हुई। इधर रैमजे इंटर कालेज में उद्योग विभाग के तत्वावधान में हथकरघा प्रदर्शनी लगायी गई है। इसमें लगाए गए स्टालों में विभिन्न उद्यमियों द्वारा अपने उत्पादों की बिक्री प्रदर्शनी लगायी है। 
रानीखेत में कदली वृक्षों के आमंत्रण के साथ मेला शुरू हो गया है। शुक्रवार सुबह राय स्टेट से कदली वृक्ष को भव्य शोभायात्रा के साथ नगर भ्रमण कराकर मन्दिर में लाया गया। यहां शनिवार से मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। इस अवसर पर कमेटी अध्यक्ष हरीश साह, विधायक करन महरा, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सलाहकार परिषद अध्यक्ष अजय भट्ट, नरेन्द्र रौतेला समेत दर्जनों लोग मौजूद थे। राजा की भूमिका इस बार सामाजिक कार्यकर्ता मोहन नेगी निभा रहे हैं।

बागेश्वर में नंदा देवी महोत्सव कल 
बागेश्वर। श्री रामलीला कमेटी के तत्वावधान में रविवार से होने वाले नंदादेवी महोत्सव की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। कमेटी के अध्यक्ष नंदन साह के नेतृत्व में दर्जनों पदाधिकारी, सदस्य और नगरीय युवा कदली वृक्ष लाने मंडलसेरा गांव रवाना हुए और पूर्व प्रधान किशन सिंह मलड़ा के खेत से वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच कदली वृक्ष निकाला गया। इसके बाद देवी की जय-जयकार के बीच कदली वृक्ष लेकर भक्तगणों ने नगर की सभी मुख्य सड़कों का परिक्रमण किया और महोत्सव स्थल रामलीला भवन नुमाईशखेत मैदान में वृक्ष रखा। इसके साथ ही देवी प्रतिमा बनाने का काम भी शुरू हो गया है। कदली वृक्ष लाने वालों में सूरज जोशी, नीरज उपाध्याय, नीरज पांडे, शंकर साह, पंकज पांडे, ललित तिवारी, किशन मलड़ा, रचित साह आदि दर्जनों युवा शामिल थे। महोत्सव की व्यापक तैयारियां चल रही हैं।
नैनीताल के विश्व प्रसिद्द नंदा महोत्सव की कुछ तस्वीरें यहाँ क्लिक करके देखी जा सकती हैं.
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