Nagar Palika लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Nagar Palika लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

नगर पालिका और जिला प्रशासन आमने-सामने, टकराव तय

  • पालिका बोर्ड के अधिकारों में हस्तक्षेप का लगाया आरोप
  • दुर्गापुर में मकानों के आवंटन मामले में हुए हैं एफआईआर के निर्देश 
  • पालिका अध्यक्ष ने कहा, आवंटन में पालिका ने नहीं की कोई गलती 

नैनीताल। जेएनएनयूआरएम व बीएसयूपी योजना के तहत दुर्गापुर में बने भवनों के आवंटन के मामले में एफआईआर दर्ज कराने के प्रशासन के आदेशों को पालिका अध्यक्ष श्याम नारायण ने गलत बताया है। पालिका अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रशासन नगर पालिका बोर्ड के अधिकारों पर हस्तक्षेप कर रहा है। बीती 27 जनवरी 2015 को कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल की अध्यक्षता में जेएनएनयूआरएम व बीएसयूपी योजना के तहत दुर्गापुर में बने भवनों में से दो भवन नगर पालिका द्वारा दो लोगों को दिये जाने को गलत ठहराया गया था तथा इस मामले में झील विकास प्राधिकरण के प्रोजेक्ट अभियंता सीएम साह को जिला शासकीय अधिवक्ता- फौजदारी से परामर्श कर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिये गए थे। 

नियमित तौर पर नैनीताल, कुमाऊं और उत्तराखंड के समाचार, विशिष्ट आलेख, खूबसूरत चित्रों के लिए फॉलो करें-नवीन जोशी समग्र

पालिकाध्यक्ष नारायण ने बैठक के कार्यवृत्त के आधार पर इन आदेशों को नगर की निर्वाचित पालिका बोर्ड के अधिकारों पर हस्तक्षेप बताया है तथा आगे से भवनों के आवंटन से पालिका की भूमिका को समाप्त कर प्रशासन से ही भवनों का आवंटन करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि बैठक के कार्यवृत्त में झील विकास प्राधिकरण द्वारा पूर्व में तैयार 53 लोगों की सूची में से भी प्रभावित लोगों को दुर्गापुर में आवास न दिये जाने पर भी सवाल उठाए गए थे। इस मामले में भी पालिकाध्यक्ष नारायण ने कुमाऊं आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि 2008 में बनी डीपीआर भारत सरकार से स्वीकृत है, लिहाजा किसी दूसरी (प्राधिकरण की पुरानी 53 लोगों की) सूची से लोगों को भवन आवंटित नहीं किये जा सकते। वहीं स्वयं द्वारा डीपीआर से इतर दो लोगों, बिहारीलाल पुत्र हरी राम व पूरन सिंह सिजवाली पुत्र हर सिंह के मामलों में सफाई दी है कि इन लोगों के घर पिछले वर्ष बलियानाला में हुए भूस्खलन की चपेट में आकर ध्वस्त हो गए थे तथा उनके पास प्रशासन की ओर से इसी पते पर जारी हुए वर्षो पुराने स्थायी निवास प्रमाणपत्र, भूमि से संबंधित दस्तावेज, जाति प्रमाणपत्र, राशन कार्ड और बैंक की पास बुक आदि दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिनके आधार पर ही उन्हें मकान पालिका बोर्ड की सहमति से आवंटित किये गए हैं। वहीं ‘राष्ट्रीय सहारा’ से बातचीत में अध्यक्ष ने कहा, उन्हें लगता है यह मामला पालिका के अधिकारियों को परेशान करने के लिए उठाया गया है जबकि व्यक्तिगत एवं हर स्तर पर उन्हें लगता है कि मामले में पालिका की ओर से कोई भी गलती नहीं की गई है। यदि किसी को कुछ गलत लगता है तो वह आगे कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। बहरहाल, पालिकाध्यक्ष के इस लिखित जवाब के बाद मामले में प्रशासन व पालिका के बीच तल्खी और बढ़ने के पूरे आसार बनते दिख रहे हैं।

कार्रवाई करेगा प्रशासन : आयुक्त 

नैनीताल। इस मामले में पालिकाध्यक्ष के पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल ने कहा कि अध्यक्ष के पत्र से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। किसी का हक मारकर दूसरे को नियमविरुद्ध आवास आवंटित करना बड़ा अपराध है। जिला शासकीय अधिवक्ता से परामर्श मांगा गया है। जरूरत पड़ने पर दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाएगी। मामले में 2008 में बनी डीपीआर में नाम जोड़ने की भी जांच कराई जा सकती है।

रविवार, 11 जनवरी 2015

'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट में शामिल होंगे उत्तराखंड के निकाय


नैनीताल (एसएनबी)। गंगा नदी को साफ करने के राष्ट्रव्यापी ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए उत्तराखंड ने भी प्रयास शुरू कर दिए हैं। प्रदेश के अपर सचिव एवं निदेशक शहरी विकास वी षणमुगम ने कहा है कि हरिद्वार से लेकर गंगा की सहायक नदियों अलकनंदा व भागीरथी के तट पर बसे सभी नगर पालिका व नगर पंचायतों का कूड़ा व सीवर गंगा नदी में न जाने पाए, इसके लिए एक विस्तृत डीपीआई तैयार की जा रही है। बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत सभी संबंधित नगर निकायों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट और ठोस कूड़ा अपशिष्ट निवारण के प्रबंध किए जाएंगे। उन्होंने नैनीताल में एडीबी के माध्यम से दुर्गापुर के 4.47 लाख रुपये की लागत से 96 आवास बनाए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हल्द्वानी व नैनीताल में एडीबी द्वारा किए जा रहे अधिकांश कार्य पूर्ण होने की स्थिति में हैं। सितंबर तक सभी कार्य पूर्ण हो जाएंगे। कुछ काम स्वीकृत राशि से भी कम में किए जा रहे हैं। नैनीताल में पेयजल आपूर्ति के लिए जनरेटर लगाने का प्रस्ताव न होने की बात मानते हुए उन्होंने इसके लिए जल संस्थान से वार्ता करने की बात कही।
षणमुगम रविवार (11.01.15) को मुख्यालय में एडीबी सहायतित योजनाओं का मौके पर जाकर जायजा लेने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि नैनीताल में प्रथम फेज के तहत स्वीकृत 39 करोड़ के काम करीब 35 करोड़ में ही पूरे किए जा रहे हैं। चिल्ड्रन पार्क में प्रस्तावित 13 में सात पंपों व एक दो हजार की क्षमता की जगह 2500 एलपीएम आपूत्तर्ि दे रहे टय़ूबवेल ने कार्य करना शुरू कर दिया है। वहीं सूखाताल में 1700 एलपीएम क्षमता के दो टय़ूबवेल व छह पंप सहित पंपिंग स्टेशन बनकर तैयार है। पुराने पंप हाउस में 16 में से 13 पंप लग चुके हैं, वहीं दूसरे फेज के तहत 64 किमी में 47 किमी वितरण लाइन तैयार हो गई है। अब मई और जून माह से 14 हजार घरेलू संयोजनों को जोड़ने का काम शुरू होगा। हल्द्वानी में 20.23 करोड़ की लागत से प्रस्तावित 16 में से नौ ओवरहेड टैंक पूरा होने की स्थिति में हैं और मई तक सभी पूरे हो जाएंगे। 10 किमी मुख्यलाइन में से 8.5 किमी बन चुकी है। इस दौरान डीएससी के टीम लीडर केबी सिंह, पालिका ईओ रोहिताश शर्मा, निर्माण अभियंता जेएस नयाल, प्रोजेक्ट मैनेजर भूपेंद्र कोठारी, संजय कुमार और भूपेश पांगती आदि भी साथ थे। हरिद्वार से अलकनंदा व भागीरथी के तटों पर बसे पहाड़ के सभी नगर पालिका, पंचायतों में कूड़े और सीवर को नदी में न जाने देने के लिए होंगे प्रबं ध नैनीताल-हल्द्वानी में एडीबी के अधिकतर कार्य पूर्ण होने की स्थिति में नैनीताल : रविवार को मल्लीताल चिल्ड्रन पार्क पंप हाउस का जायजा लेते अपर सचिव एवं निदेशक शहरी विकास वी षणमुगम।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

पालिका से सीढ़ी चढ़ विधायक-सांसद बने बिष्ट, चंद, सरिता...

राजनीति की पाठशाला साबित होती रही है नैनीताल नगर पालिका
नवीन जोशी, नैनीताल। 1841 में अपनी बसासत के चार वर्ष के भीतर ही 1845 में देश की दूसरी नगर पालिका का दर्जा हासिल करने वाली नैनीताल नगर पालिका कई राजनेताओं के लिए राजनीति की पाठशाला के साथ ही राजनीतिक कॅरियर की सीढ़ी भी साबित हुई है। यहां सभासद रहे श्रीचंद ने यूपी में दो मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में वन एवं राजस्व विभाग के काबीना मंत्री रहने का गौरव हासिल किया। जबकि वर्तमान विधायक सरिता आर्या सहित नगर के प्रथम पालिकाध्यक्ष रायबहादुर जसौत सिं बिष्ट, तीसरे अध्यक्ष बाल कृष्ण सनवाल व चौथे अध्यक्ष किशन सिंह तड़ागी भी आगे चलकर विधायक बने। 
नैनीताल नगर पालिका से राजनीतिक अनुभव का ककहरा सीखकर पालिका के भीतर ही पदोन्नति प्राप्त करने वालों की बात की जाए तो पहला नाम नगर के वर्तमान पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी का आता है, जो पूर्व में सरिता आर्या की अध्यक्षता वाली बोर्ड में सभासद रहे, और आगे पालिकाध्यक्ष बने। अब वर्तमान चुनावों में करीब एक दर्जन पूर्व सभासद व अध्यक्ष पालिका के भीतर ऐसी ही ऊंची उड़ान भरने की कोशिश में हैं, जो उनके पालिका चलाने के अनुभव का मापदंड भी साबित हो रही है। इस कड़ी में पहला नाम भाजपा प्रत्याशी संजय कुमार ‘संजू’ का आता है, जो वर्ष 1977 से 2002 तक नैनीताल पालिका के अध्यक्ष रहे, और दुबारा अध्यक्ष पद प्राप्त करने की कोशिश में चुनाव मैदान में हैं। गौरतलब है कि पूर्व में नगर के प्रथम पालिकाध्यक्ष रायबहादुर जसौत सिंह बिष्ट के नाम ही दो बार (1941 से 1947 और 1947 से 1953 तक) पालिकाध्यक्ष रहने का रिकार्ड दर्ज है। उनके अलावा पूर्व सभासद सुभाष चंद्रा के साथ वर्तमान तीन सभासद दीपक कुमार ‘भोलू’, राकेश कुमार ‘शंभू’ और प्रेम सागर भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में हैं। उनके साथ ही पूर्व सभासद डीएन भट्ट तथा चार वर्तमान निर्वाचित सभासद मनोज अधिकारी, मंजू रौतेला, कृपाल बिष्ट व अमिता बेरिया तथा दो मनोनीत सभासद आनंद बिष्ट व मधु बिष्ट भी सभासद पद के लिए मैदान में हैं। यह सभी प्रत्याशी स्वयं को पालिका की सेवाओं के लिए अनुभवी बताकर प्रत्याशियों से चुनाव जिताने की अपील कर रहे हैं।

कौन                       क्या रहे                        क्या बने
जसौत सिंह बिष्ट        प्रथम पालिकाध्यक्ष           सांसद
बाल कृष्ण सनवाल    पालिकाध्यक्ष                   विधायक
किशन सिंह तड़ागी    पालिकाध्यक्ष                   विधायक
सरिता आर्या            पालिकाध्यक्ष                   विधायक
श्रीचंद                    सभासद                          यूपी के वन व न्याय मंत्री
मुकेश जोशी            सभासद                          पालिकाध्यक्ष

इस चुनाव में यह भर रहे हैं उड़ान
कौन                      क्या थे                    दावेदार
संजय कुमार संजू     पूर्व पालिकाध्यक्ष       पालिकाध्यक्ष
सुभाष चंद्रा             सभासद                   पालिकाध्यक्ष
दीपक कुमार ‘भोलू’  सभासद                  पालिकाध्यक्ष
राकेश कुमार ‘शंभू’   सभासद                  पालिकाध्यक्ष
प्रेम सागर               सभासद                  पालिकाध्यक्ष

पूर्व सभासद जो हैं सभासद पद प्रत्याशी
डीएन भट्ट, मनोज अधिकारी, मंजू रौतेला, कृपाल बिष्ट, अमिता बेरिया, आनंद बिष्ट व मधु बिष्ट 

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

नैनीताल का गौरव दुर्गापुर पावर हाउस होने वाला है नीलाम


ब्रेवरी से नैनीताल को रोपवे निर्माण की थी मूल योजना

नवीन जोशी नैनीताल। अंग्रेज नियंताओं द्वारा नगर के पास दुर्गापुर में स्थापित पनबिजलीघर ने नैनीताल नगर को देश के किसी भी पर्वतीय शहर में सबसे पहले बिजली से रोशन होने वाले शहरों में शामिल होने का गौरव दिलाया था। बिजलीघर की स्थापना के पीछे मूल उद्देश्य दुर्गम भौगौलिक क्षेत्र में स्थित कुदरत के नायाब तोहफे नैनीताल नामक स्थान को निकटवर्ती ब्रेवरी को रोपवे से जोड़ना था। 
यह वह दौर था जब नैनीताल को 1841 में वर्तमान स्वरूप में खोजने के बाद लंबे समय तक अंग्रेज नियंता नगर के लिए आसान यातायात का साधन उपलब्ध नहीं करा पा रहे थे। तब बैलगाड़ियां ही नैनीताल आने का प्रमुख साधन थीं। नगर की कमजोर भौगोलिक संरचना तथा बेहद ऊंचाई पर स्थित होने के कारण नैनीताल के लिए सड़क भी आसानी से नहीं बन पा रही थी। इसी कारण रेल लाइन बिछाने की योजना पहले ही खटाई में पड़ चुकी थी, ऐसे में अंग्रेज शासकों के मन में विचार आया कि ब्रेवरी-वीरभट्ठी से नगर के लिए रोपवे के जरिये आगमन का सरल तरीका ईजाद किया जाए। इसके लिए 1916-19 में वीरभट्ठी के पास ही दुर्गापुर में नैनी झील से पानी ले जाकर पनबिजलीघर स्थापित किये जाने की योजना बनी। रोपवे तो कमजोर भौगोलिक संरचना के कारण नहीं बन पाया अलबत्ता एक सितम्बर 1922 को नैनीताल बिजली के बल्बों से जगमगाने वाले देश के पहले पर्वतीय शहरों में शामिल जरूर हो गया। बिजलीघर के निर्माण में पीडब्ल्यूडी के साथ मसूरी नगर पालिका के विद्युत अभियंता मिस्टर बेल व इंग्लैंड की मैथर एंड प्लाट्स, गिलबर्ट एंड गिलकर व एकर्सन हीप कंपनियों की मुख्य भूमिका रही। इन कंपनियों की विशालकाय मशीनों, टर्बाइन व अल्टर्ननेटर आदि मशीनों को इंग्लैंड से पानी के जहाजों, रेल और बैलगाड़ियों के माध्यम से लाया गया। बिजलीघर की प्रारंभिक लागत 11,09,429 रुपये थी लेकिन वास्तविक तौर पर इस योजना पर कुल 20,72,383 रुपये लगे।
बिजलीघर नैनी झील के ओवरफ्लो होने वाले पानी से चलता था। आबादी बढ़ने के साथ 80 के दशक में पानी कम होने लगा। इधर पांच जनवरी 88 को बलियानाला क्षेत्र में भारी भूस्खलन से बिजलीघर को पानी लाने वाली पेन- स्टॉक पाइप लाइनें टूट गई। इसके बाद धीरे-धीरे बिजलीघर बंद हो गया। इधर पन विद्युत निगम व नगर पालिका के बीच बंद पड़े बिजलीघर के स्वामित्व को लेकर लंबे समय तक चला विवाद आखिर पालिका के पक्ष में गया। पालिका ने यहां पर गरीबों के लिए आवास बनाने की योजना बनाई। साथ ही बिजलीघर की मशीनों को नीलाम करने का फैसला भी कर लिया गया है। जिसके बाद नगर वासी इस ऐतिहासिक विरासत को नीलाम होने से बचाने के लिए आगे आये हैं।