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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

संजना हत्याकांड की तफ्तीश में न्याय देव ग्वल ने भी की पुलिस की मदद !

दीपक आर्या
संजना
नैनीताल (एसएनबी)। लालकुआं के बहुचर्चित संजना हत्याकांड में मृतका का फूफा दीपक आर्या जिला अदालत में दोषी सिद्ध हो गया है। दीपक ने संजना को अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी। अदालत ने इस हत्याकांड को जघन्यतम माना। दोषी 26 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। परिजनों ने दोषी को फांसी की सजा देने की मांग की है।  हत्याकांड की तफ्तीश में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लालकुआ कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने मामले में अनेक स्तरों से क़ी जांच की। पहले एक बड़े क्षेत्र से जांच शुरू करते हुए जांच मृतका के पिता और नजदीकी परिजनों तक पहुंची। इस दौरान ऐसे हालात भी बने कि पूरा जोर लगाने और मृतका के पिता व सारे गांव पर शक व जांच करने के बावजूद सफलता ना मिलने पर विवेचक श्री पंत ने अपनी अटूट आस्था के केंद्र अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के पास उदयपुर कैड़ारब गांव में स्थित कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवान) और बभूती भी लगाई। इस बात को पंत ने अदालत के समक्ष भी स्वीकारा कि जागर के बाद ही अभियुक्त पर जांच केंद्रित हो पाई। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं मंे मान्यता है कि जिसे कहीं न्याय नहीं मिलता, आखिर ग्वल देव के दरबार में सच्चा न्याय मिलता है।
लालकुआं के तिवारीनगर नंबर एक में नाबालिग संजना 10 जुलाई 2012 की रात अपनी दादी भागीरथी देवी के साथ सोई हुई थी, तभी वह लापता हो गई थी। दूसरे दिन उसका शव निर्वस्त्र अवस्था में मिला था। पुलिस तब इस केस का कोई सुराग नहीं तलाश सकी थी। इस हत्याकांड को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए थे। पुलिस ने इस मामले में कई महीनों तक जांच की और 57 लोगों का डीएनए टेस्ट कराया। डीएनए नमूना मिलने के आधार पर सात फरवरी 2013 को दीपक आर्या पुत्र धनराम आर्या मूल निवासी बनबसा चम्पावत को गिरफ्तार किया गया। मामले में मृतका के पिता सहित 57 ग्रामवासियों के डीएनए नमूने लिये गए थे। इस मामले में सीबीआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. महापात्रा सहित 21 लोगों के बयान लिए गये। आरोपित ने डीएनए संबंधी वैज्ञानिक प्रमाण की सत्यता को संदिग्ध बताने के साथ वैज्ञानिक की डिग्री व शैक्षिक योग्यता पर भी आरोप लगाए थे। इस पर उन्हें स्वयं की डिग्री व योग्यता को अदालत में साबित करना पड़ा। शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी ने मामले को गंभीर प्रकृति का जघन्यतम अपराध बताया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने आरोपित दीपक आर्या को साक्ष्यों व गवाही के बाद नाबालिग से घर में घुसकर अपहरण कर ले जाने, बलात्कार कर हत्या करने एवं साक्ष्य छुपाने का दोषी घोषित कर दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि दोषी ने अपनी बेटी समान व रिश्तेदार की बच्ची को विास को चोट पहुंचाकर अपनी हवस को पूरा करने के लिए घर से उठाया और उसकी निर्ममता से गला घोंटकर हत्या की। लिहाजा कोर्ट से फांसी की सजा की मांग करेंगे।

पिता सहित इलाके के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर झेलनी पड़ी थी शर्मिदगी

फैसला आने के बाद अदालत पहुंचे एसएसपी सदानंद दाते का हाथ जोड़कर आभार जताते मृतका के परिजन  
नवीन जोशी, नैनीताल। लालकुआं का संजना हत्याकांड एक ब्लाइंड केस था। इस मामले में पुलिस को कोई सिरा नहीं मिल रहा था कि दुष्कर्मी और हत्यारे तक कैसे पहुंचा जाए। पुलिस महीनों तक केस की तह तक पहुंचने के लिए मशक्कत करती रही। आठ वर्ष की मासूम संजना की हत्या का मामला विधानसभा में भी गूंजा। इसके बाद पुलिस ने जांच का सिरा डीएनए परीक्षण की ओर मोड़ दिया। पुलिस ने मृतका के पिता समेत 57 लोगों का डीएनए परीक्षण किया। परीक्षण कराने वालों को समाज में शर्मिदगी भी झेलनी पड़ी, लेकिन एक मासूम के साथ जघन्यतम कुकृत्य करने वाला आखिरकार पुलिस की पकड़ में आ गया। मासूम बच्ची के फूफा ने रिश्तों के विास व मानवीयता को तार-तार कर यह जघन्यतम अपराध किया था। संजना हत्याकांड प्रदेश का कई मामलों में अनूठा और पहला मामला है, जो विधानसभा में भी गूंजा और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। घटना के करीब आठ माह बाद डीएनए सैंपल के मिलने के बाद पड़ोसी व रिश्ते के फूफा को मासूम बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया। न्यायालय में 21 लोगों की गवाही हुई, और आखिर एक वर्ष आठ माह व 11 दिनों के बाद अपनी बच्ची को खोने वाले परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है। बिंदूखत्ता के प्राथमिक विद्यालय संजय नगर में चौथी कक्षा में पढ़ने वाली आठ वर्षीय मासूम संजना उर्फ नानू की बलात्कार के बाद गला घोंटकर की गई हत्या के मामले में जांच के दौरान दोषी पाया गया दीपक आर्या आखिर तक अदालत में पुलिस द्वारा लगाए गए सोई हुई बालिका संजना को शराब के नशे में घर से उठाकर ले जाने, उसके जागने पर पहचाने जाने के डर से गला दबाकर मार डालने और फिर मृत देह से दुराचार करने के आरोपों को नकारता और हमेशा स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था, और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। बाद में मध्य रात्रि करीब एक बजे जैसे ही संजना के गायब होने की खबर परिजनों को लगी, वह भी मध्य रात्रि से ही उसे ढूंढ़ने में जुटा रहा। आखिर अगली सुबह पांच बजे उसने ही सबसे पहले संजना का शव खेत में पड़ा देखा, और वह ही मृतका के निर्वस्त्र शव को कंधे पर डालकर घर लाया था। घटना के बाद जब डॉग स्क्वॉड मनी ने अपनी जांच के बाद सूंघते हुए उसकी ओर इशारा किया था, तो उसने यह कहकर बात बना दी थी कि वह मृतका के शव को लेकर आया, शायद इसलिए कुत्ता उस पर शक कर रहा है। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धनराम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक भी गहराया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजीटिव पाया गया। सीबीआई की विधि विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. बीके महापात्रा की भी अदालत में गवाही हुई, जिसमें उन्होंने मामले में आरोपित की करतूत अदालत के समक्ष रख दी।

किया विश्वास का भी कत्ल
नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी पाए गए दीपक आर्या का संजना के घर अक्सर आना जाना था। वह मूलतः बनबसा टनकपुर का रहने वाला था, लेकिन संजना के घर के पास ही अपनी ससुराल में पत्नी सीमा व दो बच्चों के साथ रहता था। सीमा संजना के पिता संेचुरी पेपर मिल लालकुआ में ड्राइवर के रूप में कार्यरत नवीन की रिश्ते की बहन थी, और बचपन से नवीन के द्वारा ही पाली गई थी।
खून के बदले खून, मौत के बदले मौतः भागीरथी
नैनीताल। अपने साथ सोई पोती को खोने वाली दादी भागीरथी देवी शुक्रवार को अदालत से दीपक आर्या को दोषी सिद्ध होने के बाद एसएसपी डा. सदानंद दाते के समक्ष बोली, उन्हें खून के बदले खून, और मौत के बदले मौत का इंसाफ चाहिए। इस मामले में उन्हें गांव में भारी जिल्लत झेलनी पड़ी। बच्ची के साथ ऐसी घटना होने के बाद गांव के अनेक लोगों ने उनके साथ रिश्ते बंद कर दिए। 
संजना चौकी में बड़ेगी पुलिस फोर्स
नैनीताल। गौरतलब है कि संजना त्याकांड के बार बिंदूखत्ता के तिवारी नगर में संजना के नाम से ही पुलिस चौकी की स्थापना कर दी गई है। शुक्रवार को अदालत परिसर में स्वयं मामले की जानकारी लेने पहुंचे जिले के एसएसपी डा. सदानंद दाते ने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात की, और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने परिजनों की स्वयं के असुरक्षित होने की शिकायत पर लालकुआ थाना प्रभारी विपिन चंद्र पंत को संजना चौकी में फोर्स ब़ाने के निर्देश दिए। कहा कि लाइन से इस हेतु दो अतिरिक्त कांस्टेबल दिए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने अदालत परिसर में जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा से भी मुलाकात की, तथा उनका मेहनत व सहयोग के लिए आभार जताया।
यही केस ले गया, यही वापस भी लायाः पंत
नैनीताल। न्यायालय से दीपक आर्या के दोषी करार ोने के बाद मामले के खुलासे में सर्वप्रमुख भूमिका निभाने वाले तत्कालीन एवं वर्तमान में एक बार फिर लालकुआं कोतवाली के कोतवाल बने इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत ने का कि यही मामला उन्हें बाहर ले गया था, और यही मामला वापस उन्हें वापस लालकुआ लाया है। गौरतलब है कि पंत इस मामले के बाद लालकुआ से चमोली भेज दिए गए थे। वहां से देहरादून और मसूरी होते  हुए वह वापस लालकुआ आ गए हैं। क्षेत्रीय लोग भी नकी लालकुआ में तैनाती की मांग करते रहे।

सोमवार, 16 जुलाई 2012

आखिर न्याय देव ग्वेल के दरबार से मिला न्याय


  • उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले से पुख्ता हुआ न्याय पर विश्वास

नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, यहां के कण-कण में देवत्व का वास बताया जाता है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को होनहार कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में आये फैसले से देवभूमि की ऐसी ही महिमा साकार हुई है। मामले में आये उच्च न्यायालय के फैसले को आज दोनों पक्षों के अधिवक्ता जिस प्रकार अनपेक्षित बता रहे थे, उससे यह विास भी पक्का हुआ है कि सरोवरनगरी के पास ही विराजने वाले कुमाऊं के न्याय देव ग्वेल से लगाई जाने वाली न्याय की गुहार कभी खाली नहीं जाती। गौरतलब है कि इस मामले में अपनी कवयित्री बहन के कातिल यूपी के दबंग मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ लड़ने वाली बहन निधि शुक्ला ने गत वर्ष ही, जब वह अपनी न्यायिक जीत को करीब-करीब मुश्किल मान बैठी थी, उसने देवभूमि वासियों और निकटवर्ती घोड़ाखाल स्थित ग्वेल देवता के मंदिर में न्याय की गुहार लगाई थी। ग्वेल देवता को कुमाऊं का न्यायदेव कहा जाता है। ग्वेल देवता के कुमाऊं में चंपावत, द्वाराहाट, चितई व घोड़ाखाल आदि में मंदिर हैं। कहा जाता है कि ग्वेल देव से लगाई जाने वाली न्याय की गुहार कभी खाली नहीं जाती। इसलिए लोग ग्वेल देवता के मंदिर में सादे कागजों और स्टांप पेपर पर भी अर्जियां देकर न्याय की प्रार्थना करते हैं। यह भी कहा जाता है कि यदि न्याय मांगने वाला व्यक्ति खुद गलत होता है तो देवता उसे उल्टी सजा देने से भी नहीं चूकते। ऐसी अनेक दंतकथाएं प्रचलित हैं, जिनमें ग्वेल देव ने न्याय किया। कमोबेश इस मामले में भी ग्वेल देव का न्याय पक्का हुआ है। इस मामले में अपने बुलंद इरादों के बावजूद और लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाने वाली निधि शुक्ला भी न्यायालय के ऐसे फैसले की कल्पना नहीं कर रही थी। फैसले के दो दिन पूर्व ही दबंग मंत्री अमरमणि त्रिपाठी से बेहद डरी हुई निधि शुक्ला ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार तक लगा दी थी। अभियुक्त मंत्री अमरमणि ने भी मामले की पैरवी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। कोलकाता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सहित दर्जन भर से अधिवक्ता इधर मामले की पैरवी में लगे हुए थे। आज न्यायालय से ऐसे फैसले की उम्मीद होती तो शायद न्यायालय परिसर में भी अलग ही नजारा होता। शायद इसीलिए ‘न्याय की जीत’ करार दिये जा रहे इस फैसले को अपने कानों से सुनने के लिए दिवंगत कवयित्री के परिजन भी आज न्यायालय परिसर में मौजूद नहीं थे।

यह मिला न्याय...
अमरमणि की उम्रकैद बरकरार
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल उच्च न्यायालय ने सीबीआई अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के अभियुक्त अमरमणि त्रिपाठी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है। न्यायालय ने संतोष कुमार राय, रोहित चतुव्रेदी और मधुमणि त्रिपाठी की अपीलों को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए पांचवें अभियुक्त प्रकाश चन्द्र पाण्डे को भी आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। मगर अमरमणि त्रिपाठी के वकीलों ने कहा है कि वे इस फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष और न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की संयुक्त खंडपीठ ने अभियुक्तों की याचिकाओं की सुनवाई के बाद दिया है। उल्लेखनीय है कि नौ मई 2003 को लखनऊ की एक कालोनी में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या कर दी गयी थी। मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने दाखिल की थी। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने लंबी जांच के बाद इन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में यह मामला उत्तराखंड स्थानांतरित कर दिया गया। वर्ष 2007 में सीबीआई की देहरादून अदालत ने अमरमणि, मधुमणि, संतोष राय के खिलाफ पर्याप्त सबूत मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। प्रकाश पाण्डे को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इसको इन सभी लोगों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी। जबकि सीबीआई द्वारा प्रकाश पाण्डे को बरी कर देने को भी न्यायालय में चुनौती दी गयी। लम्बी सुनवाई के बाद सोमवार को न्यायालय ने तमाम सबूतों के आधार पर सीबीआई अदालत के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया जबकि अभियुक्त प्रकाश चन्द्र पाण्डे के मामले में सीबीआई अदालत के फैसले को पलटते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा दे दी है। इसके साथ ही अमरमणि एवं अन्य के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा सारे विकल्प बंद हो गये हैं।


ग्वेल देवता एवं देवभूमि के बारे में और अधिक  पढ़े : http://newideass.blogspot.in/2010/02/blog-post_26.html