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शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

जनपद के दूरस्थ गांवों में रात्रि प्रवास करेंगे अफसर, डीएम स्वयं से करेंगे शुरुआत

पत्रकार वार्ता में डीएम ने गिनाई अपनी प्राथमिकताएं, पीएमजीएसवाई में सड़क निर्माण के लिए नोडल अधिकारी होंगे नियुक्त

नैनीताल (एसएनबी)। डीएम दीपक रावत ने जनपद के दूरस्थ क्षेत्रों में रात्रि विश्राम को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे पहले बताते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सहित अन्य योजनाओं के तहत बन रही सड़कों के निर्माण में अत्यधिक देरी होने की बात कही। कहा कि वह स्वयं से दूरस्थ गांवों में रात्रि विश्राम से इसकी शुरुआत करेंगे। सभी ब्लॉकों की क्षेत्र पंचायत की बैठकों में जाने से वह इसकी शुरुआत कर भी चुके हैं। समयबद्ध विकास योजनाओं के लिए पीएमजीएसवाई की सभी सड़कों के समयबद्ध निर्माण के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने योजनाओं के केवल धन खर्च के आंकड़ों पर समीक्षा केंद्रित होने की परिपाटी से आगे धरातल पर कार्य होने और उनकी गुणवता पर भी बल दिया। कहा कि हर माह के चयनित दिनों को निर्माण कार्यों के सत्यापन के लिए तय करने का इरादा भी जताया।
श्री रावत ने शुक्रवार को जनपद का डीएम बनने के बाद एसएसपी सेंथिल अबूदई के साथ नैनीताल क्लब में पहली औपचारिक पत्रकार वार्ता में अपनी प्राथमिकताएं गिनार्इं। समयबद्धता पर जोर देते हुए उन्होंने विभिन्न प्रमाण पत्रों को 15 दिन की समयसीमा के भीतर उपलब्ध कराने की बात भी कही। इसके अलावा उन्होंने पूरे नैनीताल जनपद को पर्यटन जनपद बताते हुए सभी जगह बेहतर यातायात प्रबंधन एवं कूड़ा निस्तारण के लिए ठोस कूड़ा अपशिष्ट निवारण एवं ट्रंचिंग ग्राउंड के प्रबंध करने की बात कही। बताया कि ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए हल्द्वानी में आठ एवं नैनीताल में दो करोड़ रुपए स्वीकृत पड़े हुए हैं। जनपद के 10 गांवों को पर्यटन गांव बनाने की जानकारी भी दी। साथ ही नैनीताल में पार्किंग स्थानों के लिए खाली जगहें चयनित करने की बात कही, जिन पर आगे केएमवीएन पार्किंग का निर्माण करेगा। हल्द्वानी की पेयजल समस्या के समाधान के लिए उन्होंंने वहां निर्मित हो चुकी 14 पानी की टंकियों का इस वर्ष की गर्मी में सदुपयोग कर समस्या का निदान करने की बात कही। इस मौके पर एसएसपी श्री अबूदई ने इस 31 दिसंबर को मुख्यालय में यातायात प्रबंधन के प्रयोग को सफल बताते हुए सीजन में भी ऐसे ही हर जगह पर पुलिस कर्मियों की उपस्थिति बनाकर कार्य करने की बात कही। कहा कि उनकी कोशिश पुलिस व जनता के बीच दूरी कम करने व विश्वास बढ़ाने की है। इस अवसर पर सहायक सूचना निदेशक योगेश मिश्रा, सहायक सूचना अधिकारी गोविंद सिंह बिष्ट व हंसी रावत आदि भी उपस्थित रहे।


सरकारी जमीनों से हटेंगे कब्जे, नैनीताल में बनेगा चिल्ड्रन पार्क 

नैनीताल। डीएम दीपक रावत ने जनपद में सरकारी जमीनों पर हुए अवैध कब्जों को हटाने को भी अपनी प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि इस कारण सरकार की विकास योजनाओं के लिए जमीन की कमी आड़े आती है। बताया कि जिले में 71 सरकारी योजनाएं वन भूमि हस्तांतरण के इंतजार में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि कैपिटॉल सिनेमा के सामने के खाली पार्क को बच्चों के पार्क में बदला जाएगा व मल्लीताल बाजार में पार्क से भी कब्जा हटाया जाएगा। उन्होंने नगर के वर्षो से बंद पड़े कैपिटॉल व अशोक सिनेमा हॉलों के मामलों के शासन में लंबित होने की जानकारी देते हुए इनकी जगह जल्द शॉपिंग मॉल युक्त सिनेमाघर बनाने की इच्छा भी जताई। वहीं नगर के आधार बलियानाले के सुदृढ़ीकरण के लिए 65 करोड़ रुपये की योजना शासन में लंबित होने की बात कही। बताया कि फिलहाल इस कार्य के लिए डीपीआर बनाने के लिए भी पैंसा नहीं है।  

अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए 30 एकड़ वन भूमि हस्तांतरित 

नैनीताल। जिला प्रशासन ने हल्द्वानी में बनने जा रहे अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए जरूरी भूमि के बदले संबंधित विभाग को दो दिन पूर्व 30 एकड़ वन भूमि हस्तांतरित कर दी। इसकी एनपीवी जमा करने सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। उन्होंने हल्द्वानी में तीन पानी से काठगोदाम तक के बाईपास के चौड़ीकरण को स्वीकृत 20 करोड़ रुपये से जल्द शुरू करने की बात कही। उन्होंने स्टेडियम के मद्देनजर संभवत: तिकोनिया से गौलापार के लिए एक और विशाल पुल बनाने की बात भी कही। 

विभाग करेंगे अखबारों की खबरों पर कार्रवाई 

नैनीताल। डीएम ने बताया कि विभागों को सभी समाचारपत्रों में विकास कायरे से संबंधित नकारात्मक यानी उनमें समस्याएं बताने वाली खबरों पर नजर रखने और उनके आधार पर कार्रवाई करने को कहा है। यदि समाचार पत्रों द्वारा उठाई जाने वाली 70 फीसद खबरों पर कार्रवाई हो जाए तो कायरे में गुणवत्ता आ सकती है। उन्होंने कहा कि शिकायतों की पुष्टि कराकर कार्रवाई की जाएगी। 

मुखानी चौराहे पर लगेगी नैनीताल जिले की पहली ट्रैफिक लाइट 

नैनीताल। डीएम ने बताया कि हल्द्वानी के मुखानी चौराहे पर जल्द ट्रैफिक लाइट लगाई जाएगी। इसके लिए छह लाख स्वीकृत किए गए हैं। तिकोनिया व को-आपरेटिव चौराहों का चौड़ीकरण कराकर ट्रैफिक लाइटें लगाई जाएंगी।

शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

अल्मोड़ा में बनेगा नया विवि, हल्द्वानी-पिथौरागढ़ नये कैंपस

कुमाऊं विवि की कार्य परिषद में बनी सहमति अंतिम फैसला राज्य सरकार पर निर्भर 12 नए कालेज, 20 सांध्यकालीन कॉलेज, पांच निजी कॉलेजों एवं 17 नए पाठय़क्रमों को भी मिली मंजूरी
नैनीताल (एसएनबी)। निकट भविष्य में कुमाऊं विवि का अल्मोड़ा परिसर एक अलग स्वतंत्र-टीर्चस एजुकेशन यूनिवर्सिटी और हल्द्वानी व पिथौरागढ़ दो नए परिसर बन सकते हैं। कुमाऊं विवि की कार्य परिषद ने इन पर अपनी सहमति दे दी है। इनमें से हल्द्वानी परिसर कुमाऊं विवि का एवं पिथौरागढ़ परिसर अल्मोड़ा विवि का होगा। इसके साथ ही कार्य परिषद ने प्रो. रजनीश पांडे को कुमाऊं विवि का स्थायी तौर पर परीक्षा नियंत्रक पद पर नियुक्ति देने, कुमाऊं में 12 नए कॉलेज, 20 सांध्यकालीन कॉलेज, पांच निजी कॉलेजों एवं कॉलेजों में 17 नए पाठय़क्रमों को भी मंजूरी दे दी है। शनिवार को कुमाऊं विवि कार्य परिषद की बैठक विवि प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी की अध्यक्षता एवं उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं केंद्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य सीरियक जोसफ एवं अन्य सदस्यों की उपस्थिति में आयोजित हुई। इस बैठक में प्रयोगशाला सहायकों के वेतन ग्रेड संबंधित लंबित मामले को भी स्वीकृति दे दी गई, साथ ही पॉल कॉलेज आफ टेक्नोलॉजी व पाल कॉलेज और नर्सिग, सूरजमल कॉलेज, देवस्थली विद्यापीठ, चाणक्य लॉ कॉलेज व नैंसी कान्वेंट की कुमाऊं विवि से संबद्धता का नवीनीकरण स्वीकृत कर दिया गया। साथ ही कॉलेजों में 17 नए पाठय़क्रमों, सरकार द्वारा खोले गए 12 नए कॉलेजों एवं 20 सांध्यकालीन कॉलेजों को भी स्वीकृति दे दी गई। वहीं सर्वप्रमुख अल्मोड़ा परिसर को नए विवि के रूप में स्वीकृति देते हुए कुलपति प्रो. धामी ने प्रस्ताव रखा कि इसे वर्मा आयोग की इच्छा के अनुरूप शिक्षकों के लिए शिक्षण की सुविधा युक्त विवि के रूप में स्थापित किया जाए। इस बैठक में कुविवि के रजिस्ट्रार दिनेश चंद्रा, डॉ. महेंद्र पाल, अचिंत्यवीर सिंह, प्रकाश पांडे, डॉ. एसडी शर्मा, डॉ. एलएस बिष्ट, जेसी बधानी, डॉ. पीके जोशी, डॉ. अमित जोशी और डॉ. बीडी दानी आदि सदस्य मौजूद रहे। 
गरमाएगी कुमाऊं की राजनीति! 
कुमाऊं विवि की कार्य परिषद ने हालांकि अल्मोड़ा परिसर को नया विवि एवं हल्द्वानी व पिथौरागढ़ कालेजों को नये परिसरों के रूप में स्थापित करने को अपनी स्वीकृति दे दी है, मगर फैसला राज्य सरकार को ही करना है, लिहाजा आगे इस मामले में कुमाऊं की राजनीति के गर्माने से इनकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि गत दिवस हरमिटेज परिसर में हुए कुमाऊं विवि के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंची उच्च शिक्षा मंत्री ने इसी मामले में इशारा किया था कि ऐसे मामलों में कोई फैसला राजनीतिक तौर पर नहीं वरन अकादमिक आधार पर ही लिया जाएगा।

गुरुवार, 19 जून 2014

उत्तराखंड में बनेगा ‘हिमालयी क्षेत्रों पर अध्ययन का अंतरराष्ट्रीय संस्थान’

-हिमालयी प्रौद्योगिकी केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसा भी हो सकता है स्वरूप
-दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा ली गई बैठक में बनी सहमति
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड में ‘हिमालयी क्षेत्रों पर अध्ययन का अंतर्राष्ट्रीय संस्थान’ (इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज) की स्थापना की जाएगी। इसका स्वरूप हिमालयी प्रौद्योगिकी केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसा भी हो सकता है। राज्य में दिल्ली में बीती मंगलवार यानी 17 जून 2014 को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस पर सहमति दे दी गई है, तथा प्रदेश के उच्च शिक्षा सचिव डा. उमाकांत पवार को इस बाबत विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने को कह दिया गया है। अब उत्तराखंड सरकार को तय करना है कि यह संस्थान अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालय राज्य में कहां स्थापित होगा। अलबत्ता, उम्मीद की जा रही है कि यह राज्य के कुमाऊं मंडल में स्थापित किया जा सकता है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में  हुई बैठक में उपस्थित रहे कुमाऊं 
विवि के कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने दिल्ली से दूरभाष पर बताया कि उत्तराखंड में ‘इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज’ पर सहमति बनना राज्य के लिए खुशखबरी है। इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में न केवल हिमालयी क्षेत्रों की नाजुक प्रकृति, आपदा आने की लगातार संभावनाओं, सतत विकास की ठोस प्रविधि विकसित करने, जैव विविधता एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं विकास के बीच जरूरी साम्य तय करने के मानकों के साथ ही हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, विरासत एवं यहां की विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी कुमाउनी व गढ़वाली के साथ ही जौनसारी, भोटिया, थारू, बोक्सा व रांग्पो सहित प्रदेश की सभी लोक भाषाओं के संरक्षण के कार्य भी किए जाएंगे। 

पंत के नाम से ही हो सकता है प्रस्तावित टैगोर पीठ 

नैनीताल। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विवि ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 12वीं योजना के तहत अल्मोड़ा में प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत पर अध्ययन एवं शोध के लिए रवींद्र नाथ टैगोर के नाम पर पीठ स्थापित किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया था। कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि पहले नोबल पुरस्कार विजता सात्यिकारों के नाम पर ही पीठ स्थापित किए जाने का प्राविधान था। अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने क्षेत्र के प्रेरणादायी सात्यिकारों के नाम पर भी ऐसे पीठ स्थापित किए जाने की हामी भर दी है, जिसके बाद पीठ का नाम पंत के नाम पर ही हो सकता है। प्रो. धामी ने बताया कि इसके अलावा उत्तराखंड सहित सभी राज्यों में गुजरात की तर्ज पर ‘नो युवर कॉलेज’ कार्यक्रम भी शुरू किया जा सकता है, इसके तहत छात्र-छात्राओं को उनके परिसरों की जानकारी दी जाएगी।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

क्या गलत हैं न्यूटन के नियम !

नौवीं कक्षा के छात्र ने उठाये सवाल, आरोप लगाया कि पुस्तकों में गलत पढ़ाये जा रहे हैं न्यूटन के नियम 

नवीन जोशी नैनीताल। दुनिया को गुरुत्वाकर्षण का वैज्ञानिक सिद्धांत देने वाले सर आइजेक न्यूटन ने वास्तव में बल के कौन से तीन नियम दिये थे, इस पर विवाद हो सकता है। पर बच्चों को स्कूली पुस्तकों में जो पढ़ाया जा रहा है, उस पर नगर के नौवीं कक्षा के एक होनहार छात्र अभिषेक अलिग ने सवाल उठाये हैं। अभिषेक का कहना है कि न्यूटन के पहले यानी ‘जड़त्व के सिद्धांत’ के नियम में बल की दिशा का कोई जिक्र नहीं है, जबकि बल एक सदिश यानी वैक्टर राशि है। बल की दिशा का जिक्र किये बिना न्यूटन के सिद्धांत का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं किया जा सकता, जबकि प्रयोग के बिना वैज्ञानिक सिद्धांत का कोई अर्थ ही नहीं है। वहीं तीसरा सिद्धांत निर्वात की स्थिति में लागू नहीं हो सकता है। 
अभिषेक नगर के सेंट जोसफ कालेज का छात्र है। रसायन, भौतिकी और गणित विषयों की उसमें विलक्षण तर्क की क्षमता नजर आती है। वह इन विषयों में हमेशा कक्षा में प्रथम भी रहता है और अपने से बड़ी कक्षाओं के छात्रों से भी तर्क करता है। विज्ञान को तकरे की कसौटी पर कसने की जैसे उसे धुन सवार है। इसके लिए वह विज्ञान की विदेशी भाषाओं की पुस्तकों और इंटरनेट पर भी खूब अध्ययन करता है। 
अपनी आईसीएसई बोर्ड की नौवीं कक्षा की पुस्तक में प्रकाशित न्यूटन के पहले नियम पर सवाल उठाते हुए उसका कहना है कि यह नियम कहता है कि किसी पिंड पर जब तक कोई बाहरी बल न लगाया जाये तब तक उसकी स्थिति में परिवर्तन नहीं आ सकता। यानी यदि पिंड कहीं पर स्थिर रखा है तो वह कोई बल लगाने तक गतिमान नहीं हो सकता, साथ ही यदि वह गतिमान है तो बल लगाये बिना रुक नहीं सकता। अभिषेक के अनुसार इस नियम में बल की दिशा का कोई उल्लेख नहीं है, साथ ही यह भी नहीं कहा गया है कि यह नियम हर दशा में प्रभावी रहता है या निर्वात में। क्योंकि बल बिना दिशा के लगाया ही नहीं जा सकता, क्योंकि बल एक सदिश राशि है। बिना दिशा के बल का कोई औचित्य नहीं है। न्यूटन विज्ञान के इस सामान्य से सिद्धांत से अनभिज्ञ थे अथवा पुस्तकों में गलत पढ़ाया जा रहा है। इंटरनेट पर न्यूटन के नियम में बल की जगह ‘नेट फोर्स’ यानी शुद्ध बल शब्द का प्रयोग किया गया है। यहां शुद्ध शब्द भी बड़ा अंतर पैदा करता है। शुद्ध बल में पिंड पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण, घर्षण एवं पिंड के स्वयं के भार से उत्पन्न स्थैतिक जैसे सभी बल भी शामिल होते हैं। इन बलों के कारण ही एक दशा तक किसी पिंड को एक कम क्षमता का बल लगाकर भी स्थिर से गतिमान या गतिमान से स्थिर नहीं किया जा सकता। अभिषेक खासकर इस बात पर भी सवाल उठाता है कि किसी स्थिर पिंड पर यदि ऊपर या नीचे की दिशा से बल लगाया जाये तो उसे गतिमान नहीं किया जा सकता है, तो ऐसे में न्यूटन का प्रथम सिद्धांत कैसे माना जा सकता है। वह इस बात से भी इत्तेफाक नहीं रखता कि बल के साथ दिशा का जिक्र ना करना एक सामान्य वैज्ञानिक तथ्य मानकर शामिल न किया जाता हो, क्योंकि न्यूटन के दूसरे सिद्धांत में बल की दिशा का साफ-साफ जिक्र किया जाता रहा है। अभिषेक यह भी मानता है कि न्यूटन ने संभवतया लैटिन भाषा में जो नियम प्रतिपादित किय, उनमें बल के साथ दिशा का भी जिक्र हो, किंतु स्कूली पुस्तकों में यह शब्द हटा दिये गये। यदि ऐसा है तो यह देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली बात है कि क्यों बच्चों को गलत पढ़ाया जा रहा है। विशेषज्ञ कुछ हद तक सहमत : अभिषेक के तर्क से कुमाऊं विवि के भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश चंद्र चंदोला भी काफी हद तक सहमत नजर आते हैं। हालांकि उनका कहना है कि वास्तव में न्यूटन के नियम में बल के साथ दिशा का जिक्र रहा है। वह बताते हैं न्यूटन के नियम ऐसी आदर्श स्थिति के लिए हैं, जिसमें अन्य किसी प्रकार के बलों के न होने की कल्पना की गई है। ऐसा वास्तविक स्थितियों में संभव नहीं होता। उन्होंने माना कि बच्चों के पाठय़क्रम में उन परिस्थितियों का जिक्र किया जाना भी जरूरी है, जिनमें वह लागू होते हैं।
मूलतः यहाँ  देख सकते हैं :  http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=10/10/2012 

यह भी पढ़ें: 1. गलत हैं न्यूटन के नियम ! 

2. न्यूटन ने नहीं दिया था गति का दूसरा नियम!

सोमवार, 11 मार्च 2013

हिमालय पर ब्लैक कार्बन का खतरा !


पहाड़ों पर अधिक होता है मौसम परिवर्तन का असर : प्रो. सिंह
नवीन जोशी नैनीताल। दुनिया के "वाटर टावर" कहे जाने वाले और दुनिया की जलवायु को प्रभावित करने वाले हिमालय पर कार्बन डाई आक्साइड, मीथेन, ग्रीन हाउस गैसों तथा प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिग व जलवायु परिवर्तनों के खतरे तो हैं ही, वैज्ञानिक ब्लैक कार्बन को भी हिमालय के लिए एक खतरा बता रहे हैं। खास बात यह भी है कि इसका असर गरमियों के मुकाबले सर्दियों में, दिन के मुकाबले रात्रि में और मैदान के बजाय पहाड़ पर अधिक होता है। बीरबल साहनी पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध पादप वैज्ञानिक, गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति, उत्तराखंड योजना आयोग के सदस्य एवं भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के लिए हिमालय पर जलवायु परिवर्तन का अध्ययन कर रहे प्रो. एसपी सिंह ने यह खुलासा किया है। सिंह का कहना है कि दुनिया में डेढ़ बिलियन लोग ईधन में ब्लैक कार्बन’का प्रयोग करते हैं। हिमालय पर इसका सर्वाधिक असर वनस्पतियों की प्रजातियों के अपनी से अधिक ऊंचाई की ओर माइग्रेट होने के साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने और मानव की जीवन शैली से लेकर आजीविका तक पर गंभीर प्रभाव के रूप में दिख रहा है। धरती के गर्भ से खुदाई कर निकलने वाले डीजल जैसे पेट्रोलियम पदार्थो, कोयला व लकड़ी आदि को जलाने से ब्लैक कार्बन उत्पन्न होता है। प्रो. सिंह के अनुसार यह ब्लैक कार्बन’जलने के बाद ऊपर की ओर उठता है, और ग्रीन हाउस गैसों की भांति ही धरती की गर्मी बढ़ा देता है। बढ़ी हुई गर्मी अपने प्राकृतिक गुण के कारण मैदानों की बजाय ऊंचाई वाले स्थानों यानी पहाड़ों पर अधिक प्रभाव दिखाते हैं। प्रो. सिंह खुलासा करते हैं कि इस प्रकार मौसम परिवर्तन का असर दिल्ली या देहरादून से अधिक नैनीताल में सर्दियों में रात्रि का तापमान कई बार समान होने के रूप में दिखाई दे रहा है। इसके असर से ही ग्लेशियर पिघल रहे हैं और पौधों की प्रजातियां ऊपर की ओर माइग्रेट हो रही हैं। ऐसे में सामान्य सी बात है कि पहाड़ की चोटी की प्रजातियां और ऊपर न जाने के कारण विलुप्त हो रही हैं। मानव जीवन पर भी इसका असर फसलों के उत्पादन के साथ आजीविका और जीवनशैली पर पड़ रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि हिमाचल प्रदेश में 1995 से 2005 के बीच सेब उत्पादन में कम ऊंचाई वाले कुल्लू व शिमला क्षेत्रों का हिस्सा कम हुआ है, जबकि ऊंचाई वाले लाहौल- स्फीति का क्षेत्र बढ़ा है।

शनिवार, 2 मार्च 2013

मापी जाएगी टेक्टोनिक प्लेटों की गतिशीलता

साफ होगी भारतीय प्लेट के तिब्बती प्लेट में धंसने की गति : प्रो. पंत
नवीन जोशी, नैनीताल। अब तक भूवैज्ञानिक सामान्यतया यह कहते आए हैं कि भारतीय उप महाद्वीप करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष की दर से उत्तर की ओर गतिमान है। इस दर से भारतीय टेक्टोनिक प्लेट तिब्बती प्लेट में समा रही है, लेकिन अब पहली बार भारतीय प्लेट की गति को ही उत्तराखंड के हिमालयों में विभिन्न टेक्टोनिक हिस्सों के बीच आपसी गतिशीलता के रूप में मापा जाएगा। इस हेतु केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी परियोजना स्वीकृत हो गई है, जिसके तहत राष्ट्रीय भूभौतिक शोध संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक कुमाऊं विवि के भूवैज्ञानिकों और उनके द्वारा पूर्व में स्थापित भूकंपमापी उपकरणों और नई जीआईएस पण्राली से जुड़े उपकरणों की मदद से भारतीय प्लेट की वास्तविक गति का पता लगाएंगे। उल्लेखनीय है कि देश में भूकंपों और भूगर्भीय हलचलों का मुख्य कारण भारतीय प्लेट के उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए तिब्बती प्लेट में धंसते जाने के कारण ही है। बताया जाता है कि करीब दो करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय प्लेट तिब्बती प्लेट से टकराई थी, और इसी कारण उस दौर के टेथिस महासागर में इन दोनों प्लेटों की भीषण टक्कर से आज के हिमालय का जन्म हुआ था। आज भी दोनों प्लेटों के बीच यह गतिशीलता बनी हुई है, और इसकी गति करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष बताई जाती है। इधर भूविज्ञान मंत्रालय की परियोजना के तहत हिमालय के हिस्सों- लघु हिमालय से लेकर उच्च हिमालय के बीच के विभिन्न भ्रंशों के बीच इस गतिशीलता को गहनता से मापा जाएगा। कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. चारु चंद्र पंत ने बताया कि एनजीआरआई हैदराबाद के डा. विनीत गहलौत और आईआईटी कानपुर के प्रो. जावेद मलिक गंगा-यमुना के मैदानों को शिवालिक पर्वत श्रृंखला से अलग करने वाले हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट, शिवालिक व लघु हिमालय को अलग करने वाले मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी), इसी तरह आगे रामगढ़ थ्रस्ट, साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट, नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट, बेरीनाग थ्रस्ट व मध्य हिमालय से उच्च हिमालय को विभक्त करने वाले मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) जैसे विभिन्न टेक्टोनिक सेगमेंट्स के बीच आपस में उत्तर दिशा की ओर गतिशीलता का गहन अध्ययन करेंगे। इस हेतु प्रदेश के पीरूमदारा, काशीपुर, कोटाबाग व नानकमत्ता व नैनीताल में जीपीएस आधारित उपकरण लगाए जाएंगे जो लंबी अवधि में इन स्थानों पर लगे उपकरणों की उनकी वर्तमान मूल स्थिति के सापेक्ष विचलन को नोट करते रहेंगे। इनके अलावा कुमाऊं विवि द्वारा कुमाऊं में भूकंप मापने के लिए मुन्स्यारी, तोली (धारचूला), नारायणनगर (डीडीहाट), धौलछीना और भराड़ीसेंण में लगाए गए उपकरणों की भी मदद ली जाएगी। 

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

जानलेवा बीमारी का टीका बना दिव्या ने हासिल किया अंतराष्ट्रीय युवा वैज्ञानिक पुरस्कार


गायों से मानव में होने वाली व जैविक हथियार के रूप में प्रयोग किए जाने वाले विषाणु की प्रतिरोधक वैक्सीन बनाने में हासिल की सफलता
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं विवि की छात्रा रही दिव्या गोयल को शंघाई में अंतराष्ट्रीय युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार चेचक के टीके के जनक एडर्वड जेनर के नाम पर दिया जाता है। दिव्या की खोज इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि उनके बनाए टीके को जैविक हथियारों के विरुद्ध भारतीय सैनिकों में प्रतिरोधक वैक्सीन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। दिव्या ने गायों से मनुष्य में आ सकने वाली जानलेवा ब्रूसलोसिस बीमारी की रोकथाम का टीका विकसित कर और उसका चूहों में सफल परीक्षण कर यह पुरस्कार दुनियाभर के 175 प्रतिभागियों के बीच आयोजित प्रतियोगिता के जरिए "एडर्वड जेनर इंटरनेशनल यंग साइंटिस्ट अवार्ड-२०१२" हासिल किया है। 
मूलत: दिल्ली निवासी दिव्या ने दिल्ली विवि से बीएससी करने के बाद कुमाऊं विवि के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से विभागाध्यक्ष डा. बीना पांडे के निर्देशन में वर्ष 2005 से 2007 के बीच एमएससी की डिग्री हासिल की है। यहां से वह वापस दिल्ली गई और संयोग से कुमाऊं विवि के वर्तमान कुलपति डा. राकेश भटनागर के अधीन ही जवाहर लाल नेहरू विवि से शोध कर उन्हें बीती 31 दिसम्बर को पीएचडी अवार्ड हुई है। उसका यह शोध दुनिया की जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में श्रेष्ठतम "मॉलीक्यूलर इम्यूनोलॉजी" व "वैक्सीन" जैसे शोध जर्नल्स में भी प्रकाशित हो चुका है। डा. भटनागर के निर्देशन में उनकी प्रयोगशाला में शोध करते हुए दिव्या ने कमोबेश एडर्वड जेनर द्वारा चेचक का टीका विकसित करने की विधि से ही जेनेटिक इंजीनियरिंग की प्रविधियों का इस्तेमाल करते हुए ब्रूसलोसिस की बीमारी का टीका विकसित किया है। इस टीके का चूहों में सफल परीक्षण भी कर लिया गया है। विदित हो कि एडर्वड जेनर ने गायों की चेचक की बीमारी काउपॉक्स से ही मनुष्य की स्माल पॉक्स यानी छोटी माता का टीका विकसित किया था। डा. भटनागर के अनुसार ब्रूसलोसिस बीमारी के कारण गायों का गर्भपात हो जाता है, जबकि इस रोग से ग्रसित गायों का कच्चा (बिना उबला) दूध पीने से इस बीमारी के विषाणु मनुष्य में भी आ जाते हैं और जानलेवा साबित होते हैं। पंजाब जैसे राज्यों में जहां शरीर को मजबूत बनाने के लिए युवा गाय का कच्चा दूध ही पीने का शौक रखते हैं, यह बीमारी बेहद खतरनाक साबित होती है। वहीं सैनिकों एवं दूसरे देश के लोगों के विरुद्ध इस बीमारी के विषाणुओं को ˜बायोलॉजिकल वारफेयर एजेंट" यानी जैविक हथियार के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। लिहाजा, चूहों के बाद बंदरों से होते हुए यदि मनुष्य में भी दिव्या द्वारा बनाए टीके के प्रयोग सफल रहते हैं तो देश की सीमाओं पर कार्यरत सैनिकों को इसके टीके लगाकर उन्हें इस जानलेवा रोग से प्रतिरोधी बनाया जा सकता है। बृहस्पतिवार को दिव्या मुख्यालय में आई थीं। उन्होंने यहां कुमाऊं विवि के कुलपति व अपने शोध गुरु डा. राकेश भटनागर तथा भीमताल में जैव प्रोद्योगिकी विभागाध्यक्ष डा. बीना पांडे से मुलाकात कीं एवं आशीर्वाद लिया। उन्होंने बताया कि वह इसी दिशा में अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए विदेश जाना और वापस लौटकर देश की सेवा करना चाहती है। उम्मीद जताई कि उसके द्वारा विकसित टीका देश के काम आ सकेगा।

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

खुद ही जांच के आदेश दिए, खुद ही जांच की, और उच्चाधिकारी के आदेश पलट दिए



जून में जीआईसी धानाचूली में प्रधानाचार्य से हुई मारपीट की घटना का मामला 
प्रभारी एडी ने दिये थे मामले की जांच के निर्देश
नवीन जोशी नैनीताल। उच्चाधिकारी द्वारा कराई गई जांच में दोषी पाये जाने वाले शिक्षकों के तबादले प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्यरत कनिष्ठ अधिकारी ने न केवल निरस्त कर दिये, वरन उनके तबादले पहले से भी अधिक सुविधाजनक स्थानों पर कर दिये। मजेदार बात यह है कि इस अधिकारी ने स्वयं जांच का आदेश दिया, स्वयं जांच की और स्वयं ही फैसला सुनाते हुए उच्चाधिकारी के आदेशों को पलट दिया। इस वर्ष चार जून को जिले के जीआईसी धानाचूली में शिक्षकों ने स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य से मारपीट कर दी थी। घटना इसलिए हुई थी कि कई शिक्षकों के अक्सर समय पर स्कूल न आने पर प्रभारी प्रधानाचार्य ने समय पर स्कूल आने के आदेश जारी किये थे, इस पर शिक्षक आक्रोशित हो गये थे। निकटवर्ती पदमपुरी के शिक्षक भी मारपीट में शामिल हुए। मामले में अपर निदेशक-शिक्षा के आदेशों पर जिला शिक्षा अधिकारी-बेसिक एवं खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच की, जांच रिपोर्ट में लिखा कि राजन कुमार गुप्ता व राजेंद्र नैनवाल नाम के शिक्षकों ने सुनियोजित तरीके से प्रधानाचार्य से मारपीट की थी। दोनों के खिलाफ प्रभारी प्रधानाचार्य की ओर से पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। जांच रिपोर्ट में दोनों का प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण करने की प्रबल संस्तुति की गई थी। इसके अलावा प्रभारी प्रधानाचार्य के समय पर उपस्थित होने के आदेश को नियमानुसार ही ठहराया गया था। दूसरे शिक्षक सुदामा प्रसाद पर अक्सर छात्रों के बीच असंसदीय भाषा का प्रयोग करने और भुवन जोशी एवं संजीव अहलावत पर समय पर स्कूल न पहुंचने की बात पुष्ट हुई थी। इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस प्रकार भुवन जोशी, संजीव अहलावत व किरन बनौली नाम के शिक्षकों के भी तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर अन्यत्र तबादले करने की संस्तुति की गई थी। स्थानीय ग्रामीणों ने भी शिक्षकों को हटाने की जोरदार तरीके से मांग उठाई थी। जांच रिपोर्ट आने पर अपर निदेशक डा. कुसुम पंत ने राजेंद्र नैनवाल का तबादला जीआईसी पदमपुरी से पिथौरागढ़ के राउमावि जारा, भुवन जोशी का धानाचूली से गलाती व किरन बनौली का धानाचूली से चंपावत से ससिरा करने की संस्तुति कर रिपोर्ट शिक्षा निदेशक को भेज दी थी। इसी दौरान शिक्षक संगठन ने जांच में उनका पक्ष शामिल न होने की बात कही, जिस पर इस दौरान एडी का प्रभार देख रहीं संयुक्त निदेशक डा. सुषमा सिंह ने दुबारा जांच के आदेश दिये और स्वयं ही संयुक्त निदेशक के रूप में जांच कर ली। जांच में आश्र्चयजनक तौर पर पहली रिपोर्ट में मारपीट करने वाले राजेंद्र नैनवाल को दोषमुक्त करार दे दिया। जबकि अन्य दो शिक्षकों भुवन जोशी व किरन बनौली को दिये गये दंड में शिथिलता बरतने की संस्तुति कर दी। इस संस्तुति के साथ ही अधिकारी ने राजेंद्र नैनवाल का तबादला तो निरस्त ही कर दिया, जबकि भुवन जोशी को धानाचूली के पास ही स्थित पुटगांव तथा किरन बनौली तो मैदानी क्षेत्र के निकट बजूनिया हल्दू स्थानांतरित कर दिया गया। विभाग में यह मामला खासा र्चचा का विषय बना हुआ है।

रविवार, 10 जून 2012

एडमिरल जोशी ने आगे बढ़ाई नैनीताल की परम्परा




सरकारी स्कूलों का मान भी बढ़ाया वाइस एडमिरल डीके जोशी ने 
इससे पहले शेरवुड कालेज से ही निकलते रहे हैं सैन्य अधिकारी
नवीन जोशी नैनीताल। देश के भावी नौसेना प्रमुख डीके जोशी ने देश के पहले सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशा, प्रथम परमवीर चक्र विजेता सोमनाथ शर्मा, पूर्व सेनाध्यक्ष डीएन शर्मा, ले. जनरल एसएन शर्मा, सैय्यद अता हसन और विक्रमजीत सिंह रावत की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए नैनीताल का नाम रोशन किया है। ये सभी सैन्य अधिकारी नैनीताल से किसी न किसी रूप में ताल्लुक रखते हैं। वाइस एडमिरल जोशी की सफलता ने इस बात को भी पुख्ता कर दिया है कि व्यक्ति में पढ़ने और अपने लक्ष्य को पाने की ललक व लक्ष्य के प्रति स्पष्ट सोच हो तो फिर शिक्षा का माध्यम कोई मायने नहीं रखता। 
जोशी 12वीं कक्षा में नैनीताल के राजकीय इंटर कालेज के छात्र रहे हैं। उनका शिक्षानगरी कहे जाने वाले नैनीताल से गहरा संबंध भी रहा है। श्री जोशी की प्राथमिक शिक्षा पीलीभीत व लखनऊ में हुई और इंटरमीडिएट उन्होंने नैनीताल के जीआईसी से पास किया, जो वर्तमान में यहां के इंटरमीडिएट में ही छात्र रहे मेजर राजेश अधिकारी के नाम पर जाना जाता है। राजेश ने हाईस्कूल तक की शिक्षा सेंट जोसफ स्कूल से ली थी, महावीर पुरस्कार प्राप्त मेजर राजेश करगिल युद्ध में शहीद हुए थे। इधर वाइस एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी का नाम विद्यालय से जुड़ने पर विद्यालय से जुड़े सभी लोग गदगद हैं। जोशी ने एक छात्र के रूप में 1969 में जीआईसी में प्रवेश लिया था, तब जीआईसी की हाईस्कूल तक की कक्षाएं ही वर्तमान गोरखा लाइन स्थित परिसर में जबकि इंटर की कक्षाएं वर्तमान डीएसबी परिसर (तत्कालीन डिग्री कालेज) में चलती थीं। डिग्री कालेज के प्रधानाचार्य ही जीआईसी की इंटर कक्षाओं का संचालन भी देखते थे। 
रामनगर कोसी नदी में परिजनों के साथ पिकनिक मनाते एडमिरल जोशी 
देवेंद्र के पिता हीरा बल्लभ जोशी उस दौर में कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक के पद पर थे। उन्होंने देवेंद्र को इंटर में जीआईसी में ही भर्ती कराया। देवेंद्र हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आते थे और शुरू से मेधावी थे। बेहद सरल स्वभाव के वाइस एडमिरल जोशी अक्सर नैनीताल आते रहते हैं। उनके साले हरीश चंद्र पांडे यहां हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। दूरभाष पर वार्ता में एडमिरल जोशी ने बताया कि वह अपने साले श्री पांडे के घर ही सादगी से रहे। 
नैनीताल जीआईसी की विकास यात्रा 
इस दौरान वह डीएसबी परिसर के वर्तमान वनस्पति विज्ञान विभाग के बगल के उस कमरे को देखने भी गए, जहां उन्होंने जीआईसी के रूप में इंटर की शिक्षा ग्रहण की थी। बातचीत में उन्होंने कहा कि जीआईसी से उन्हें शिक्षा के साथ ही सादगी का गुण भी प्राप्त हुआ।

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

शिक्षा विभाग के कर्मियों की बनेगी ई-कुंडली



एक क्लिक पर पता चल जाएगा विभाग में आने से लेकर स्थानांतरणों-पदोन्नतियों का ब्योरा 
एनआईसी मध्य प्रदेश की मदद से तेजी से चल रहा कार्य
नवीन जोशी, नैनीताल। सर्वाधिक कर्मचारियों वाले शिक्षा विभाग में अस्त- व्यस्तता के दिन लदने की उम्मीद की जा सकती है। अब विभाग के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी की कुंडली इलेक्ट्रानिक फार्म में न केवल उच्चाधिकारियों वरन आम जनता द्वारा भी खोली जा सकेगी। ऐसे में न तो कोई कर्मी ताउम्र सुगम स्थानों में मौज कर सकेगा और न ही कोई दुर्गम स्थानों की परेशानियां झेलने को मजबूर रहेगा। 
एनआईसी मध्य प्रदेश की सहायता से प्रदेश के शिक्षा विभाग के कर्मियों की ई- कुंडली बनाने का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से चल रहा है। अगले माह तक ई-कुंडली के सार्वजनिक होने की उम्मीद की जा सकती है। प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग होने के कारण शिक्षा विभाग और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। मनमाने तबादलों को लेकर लाखों रुपये की रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोप यहां आम हैं। राज्य में बनी सभी तबादला नीतियां इस विभाग में आकर दम तोड़ती गई। शायद यही कारण रहा कि उत्तराखंड बनने के बाद से चाहे जिस भी दल की सरकार रही, विभागीय मंत्रियों पर चुनाव हारने का दुर्योग  जुड़ता चला गया। इधर, पिछली भाजपा सरकार ने जाते-जाते मध्य प्रदेश की तर्ज पर एनआईसी मध्य प्रदेश की सहायता से विभागीय कर्मियों की ई-कुंडली बनाने का कार्य शुरू किया, ताकि विभाग की भारी-भरकम फौज पर नजर रखी जा सके। इस पर इन दिनों तीव्र गति से कार्य चल रहा है। कुमाऊं मंडल में कुल 26,234 कर्मियों के आंकड़े ई-कुंडली में दर्ज होने हैं, जिनमें से ताजा जानकारी के अनुसार बुधवार तक 24,895 के आंकड़े दर्ज हो चुके हैं। केवल पिथौरागढ़, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में मिलाकर 339 कर्मचारियों के आंकड़े दर्ज होने शेष हैं। पूछे जाने पर अपर निदेशक डा. कुसुम पंत ने उम्मीद जताई कि अप्रैल माह तक ई- कुंडली इंटरनेट के माध्यम से सर्वसुलभ हो जाएगी। कोई भी व्यक्ति किसी भी विभागीय अधिकारी से लेकर शिक्षक-शिक्षिकाओं, तृतीय वर्गीय तथा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कुंडली इंटरनेट पर उपलब्ध होगी।