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सोमवार, 19 दिसंबर 2011

रविवार, 4 सितंबर 2011

तंग कमरे में डाक्टर, शौचालय में दवाएं


यह है मंडल मुख्यालय के आयुष विंग का हाल मुख्यालय स्थित एक कक्ष में स्थापित आयुष विंग का नजारा।
नवीन जोशी नैनीताल। भवाली में जहां प्रदेश सरकार विपक्ष के तीव्र आक्रोश को झेलकर भी इमामी से प्रदेश का पहला आयुष ग्राम स्थापित करवाने को प्रतिबद्ध नजर आ रही है, वहीं मुख्यालय के बीडी पांडे जिला अस्पताल में महज 10 गुणा 15 वर्ग फीट के एक कमरे में आयुष विंग चलाया जा रहा है। महज चार कुर्सियों की जगह वाले आयुष विंग की कहानी भी अपने आप में अनूठी है। 
प्रदेश भर में चिकित्सकों की कमी के ‘दुखड़े’ के बीच यहां उपलब्ध चारों कुर्सियों में बैठने के लिए चार आयुर्वेदिक चिकित्सक तैनात हैं। जब चारों चिकित्सक उपलब्ध रहते हैं तो मरीजों को बैठने तो दूर, खड़े होने तक को जगह नहीं मिलती। जगह की कमी के कारण बहुमूल्य एवं साफ सुथरी जगह पर रखी जाने वाली दवाइयां शौचालय में रखी गई हैं। यहां तैनात चिकित्सक प्रसाधन के लिए भी इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। इस कक्ष में बमुश्किल एक ही टेबल के गिर्द चार कुर्सियां लगी हुई हैं, जिन पर वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. अजय पाल सिंह चौधरी, चिकित्साधिकारी डा. शोभा पांडे, डा. प्रीति टोलिया एवं डा. ज्योत्सना कुनियाल (इन दिनों महानिदेशक के आदेशों पर हल्दूचौड़ में संबद्ध) तैनात हैं। यहां दवाइयां बांटने के लिए एक भी फार्मासिस्ट उपलब्ध नहीं है, जिस कारण दवाइयां बांटने का कार्य वार्ड ब्वाय के भरोसे है। कक्ष में दवाइयों की अलमारी रखने के लिए स्थान नहीं है, इसलिए आलमारी शौचालय में रखी गई है। मरीजों की बात करें तो इन चार चिकित्सकों की फौज की सेवाएं लेने यहां हर रोज औसतन 50 रोगी ही आते हैं, यानी हर चिकित्सक को दिन भर में औसतन एक दर्जन मरीज ही देखने होते हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती। मुख्यालय में तीन अन्य आयरुवेदिक चिकित्सालय भी हैं। यहां भी चिकित्सक उपलब्ध हैं परंतु फार्मासिस्ट व सहायक स्टाफ नहीं। कहानी साफ है, चिकित्सकों ने सुविधा संपन्न मुख्यालय में तैनाती कराकर यहां भीड़ लगा दी है, लेकिन मरीजों को उनकी सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। पूछने पर वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. चौहान ने बताया कि मुख्यालय में आयुष विंग का अलग चिकित्सालय बनाने के लिए तीन वर्ष से 10 लाख रुपये कार्यदायी संस्था उत्तराखंड पेयजल निगम का अवमुक्त भी हो चुके हैं, लेकिन जगह उपलब्ध नहीं कराई गई है। इधर सीएमओ के स्तर से रैमजे अस्पताल के पास की भूमि उपलब्ध कराई गई है, जिस पर निर्माण के लिए नक्शा झील विकास प्राधिकरण को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।