Agnikand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Agnikand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 11 जनवरी 2015

कभी भी गिर कर हादसे का सबब बन सकते हैं नैनीताल के विरासत महत्व के पुराने घर

बेहद जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंचा मल्लीताल स्थित ओल्ड लन्दन हाउस

नैनीताल (एसएनबबी)। पर्यटन नगरी में तल्लीताल हल्द्वानी रोड, मल्लीताल मोहन को चौराहे एवं पिछाड़ी व जल लाल साह बाजार सहित अनेक पुराने बाजारों में अनेक घर बेहद जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं। इनकी हालत ऐसी है कि कभी भी यह किसी बड़ी जन दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। वहीं छोटे भूकंप जैसी स्थिति में तो नुकसान की कल्पना करनी भी मुश्किल है। 

सोशियल मीडिया पर भी ऐसे घरों के खतरनाक होने पर गंभीर चर्चा चल रही है। इस पर नगर के अनेक लोगों दिनेश महतोलिया, मनोज पांडे, देवेंद्र कोटलिया, केओ बाना, राजीव दुबे, देवेंद्र पटवाल, हरप्रीत खालसा, एलएम कोठियाल व पूरन जोशी आदि ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि प्रशासन मानो किसी दुर्घटना का ही इंतजार कर रहा है। वहीं बताया गया है कि ऐसे अधिकांश घरों पर वैध-अवैध कब्जेदार काबिज हैं। इन घरों के मालिक इसी इंतजार में हैं कि घर खुद-ब-खुद गिरें तो उन्हें कब्जेदारों से मुक्ति मिले, इसी कारण वह इनकी मरम्मत भी नहीं कराते हैं। पूर्व में नगर पालिका ने ऐसे एक-दो घरो को तोड़ने की हिम्मत दिखाई थी। 

कभी भी गिर सकता है डीएसओ कार्यालय का भवन-ऐटन हाउस

आगे से ढही दीवार पर तिरपाल टांगी इस अवस्था में है ऐटन हाउस
नैनीताल (एसएनबबी)। पर्यटन नगरी में केवल निजी ही नहीं, सरकारी विभागों के भवन भी बेहद खतरनाक स्थिति में हैं। तल्लीताल में 100 वर्षों से भी अधिक पुराने अंग्रेजी दौर के ऐटन हाउस में वर्षों से जिला पूर्ति अधिकारी (डीएसओ) का कार्यालय किराए चल रहा है। इस मामले में भी बताया जाता है कि मकान मालिक डीएसओ से कब्जा छुड़वाना चाहते हैं, इसलिए दशकों से भवन की मरम्मत नहीं हुई है। ऐसे में भवन काफी समय से खुद-ब-खुद गिरता जा रहा है।

नियमित तौर पर नैनीताल, कुमाऊं और उत्तराखंड के समाचार, विशिष्ट आलेख, खूबसूरत चित्रों के लिए फॉलो करें-नवीन जोशी समग्र

करीब दो वर्ष पूर्व इसके आगे वाले कक्ष का सामने वाला हिस्सा ही गिर गया था, जिसे तिरपाल लगा कर ढका गया है। इसके बाद डीएसओ कार्यालय ने इस कक्ष से अपना सामान अन्य कक्षों में रखवा दिया, लेकिन इसी भवन में कार्यालय चलता रहा। लेकिन इसके बाद भी भवन की कोई मरम्मत नहीं हुई। इधर डीएसओ तेजबल सिंह ने बताया कि कार्यालय के लिए मुख्यालय में किराए पर नए भवन की तलाश की जा रही है। झील विकास प्राधिकरण भवन में एक कक्ष आवंटित हुआ है, लेकिन वह कार्यालय के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में जब तक कार्यालय यहां रहता है, कार्यालय में कार्य करने वाले सरकारी कर्मचारी और कार्यालय में राशन कार्ड बनाने व अन्य कारणों से आने वाले लोगों की जान भगवान भरोसे ही है। 

मंगलवार को होने वाले अधिकांश अग्निकांडों में खाक हुए हैं कई विरासत महत्व के भवन

नैनीताल। इसे दुर्योग कहें या कुछ और, नैनीताल के ऐतिहासिक भवनों और आग का मानो चोली दामन का साथ है, वहीं यह भी अजब संयोग है कि यहां आग की अमंगलकारी घटनाएं अक्सर मंगलवार को होती हैं। उस मंगलवार को, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से पंचतत्वों में अग्नि से जोड़ा जाता है। नैनीताल नगर का नाम 'न" वर्ण से शुरू होने के नाते इस नगर की राशि बृश्चिक है, जिसका स्वामी मंगल होता है। मंगल गृह को लाल गृह, भूमि पुत्र व अंगारक भी कहा जाता है, लिहाजा मंगल का अग्नि से सीधा संबंध बताया जाता है। नैनीताल में मंगल और आग के बीच का यह संबंध अनेक एतिहासिक भवनों में हुए भीषण अग्निकांडों के रूप में दिखाई देता है। नैनीताल जिला कलक्ट्रेट 5 अक्टूबर 2010 एवं राजभवन में 2 अप्रेल 2013 के अग्निकांड मंगलवार को ही हुए थे। गौरतलब है कि मंगल को लाल ग्रह भी कहा जाता है, तथा अग्नि से उसका सीधा संबंध बताया जाता है। 5 अक्टूबर 2010 जिला कलक्ट्रेट को भीषण अग्निकांड का शिकार होना पड़ा था, उस दिन भी मंगल ही था।
इसके अलावा भी नगर में अग्नि दुर्घटनाएं होती रहती हैं। 1960 के दशक में जिम कार्बेट का कैलाश व्यू (हाडी-भांडी), शेरवुड के निकट क्लिफ्टन, 70 के दशक में तत्कालीन सेक्रेटरिएट (वर्तमान हाईकोर्ट), 27 नवंबर 1977 को नैनीताल क्लब, 1992 में डीएसबी परिसर का भौतिक विज्ञान विभाग, 2003 में राजभवन के एक हिस्से, 14 सितंबर 2013 को नयना देवी मंदिर के पास गोवर्धन संकीर्तन हॉल एवं 26 अक्टूबर 2013 की मध्य रात्रि नगर स्थित राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की प्रशासन के कब्जे वाली अरबों रुपए की 'शत्रु संपत्ति"-मेट्रोपोल होटल का बॉइलर रूम व बैडमिंटन कोर्ट तथा 14 कमरों वाला हिस्सा पूरी तरह खाक हो गया था। इसके अलावा अयारपाटा का प्रायरी लॉज, हटन कॉटेज व वियना लॉज (धामपुर हाउस) में भी भीषण अग्निकांड हुए। 

नैनीताल के समस्त विरासत महत्व के भवनों के बारे में इस लिंक को क्लिक कर के पढ़ें। 

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

'शत्रु संपत्ति' मेट्रोपोल के हिस्से पर रातों-रात किये कब्जे

  • पांच लोगों के विरुद्ध प्रशासन ने दर्ज कराई एफआईआर 
  • जिला प्रशासन के नियंत्रण में होती हैं सभी शत्रु संपत्तियां

नैनीताल (एसएनबी)। नगर स्थित राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की प्रशासन के कब्जे वाली अरबों रुपये की शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर में बड़े पैमाने पर रातों-रात कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। लोगों ने चीना बाबा मंदिर से नीचे की ओर बड़े नाले के किनारे करीब 50 मीटर लंबाई में अतिक्रमण कर टिनशेडों का निर्माण भी कर डाला। रातभर क्षेत्र में निर्माण होने से खूब हो-हल्ला रहा। अलबत्ता शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन जिला प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं लगी। दिन में सूचना मिलने पर प्रशासन ने निर्माण ढहाकर सामग्री जब्त कर ली है। साथ ही पांच लोगों के विरुद्ध मल्लीताल कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। मंगलवार सुबह भाजपा नेता मनोज जोशी ने डीएम अरविंद सिंह ह्यांकी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को मेट्रोपोल परिसर में रात्रि में बड़े पैमाने पर कब्जे होने व टिनशेड लगाए जाने की सूचना दी। इस पर एसडीएम शिवचरण द्विवेदी ने राजस्व पुलिस, पुलिस व नगर पालिका की गैंग की मदद से क्षेत्र में कब्जा कर किये गए निर्माण को ध्वस्त करवा दिया और निर्माण सामग्री जब्त करवा दी। मामले में तहसीलदार बहादुर सिंह लटवाल की ओर से मल्लीताल कोतवाली में कब्जा कर रहे फारूख पुत्र मो. हनीफ, नजाकत पुत्र मो. हशमत, असलम पुत्र अमजद, जमील पुत्र अब्दुल गफ्फूर व यूसुफ पुत्र अहमद के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी गई है। कब्जे हटाने की कार्रवाई में कार्रवाई में सीओ हरीश कुमार, नायब तहसीलदार नीलू चावला, कोतवाल हरक सिंह फिरमाल, तल्लीताल थाना प्रभारी उत्तम सिंह आदि लोग शामिल रहे।

अपने दौर का सबसे बड़ा होटल था मेट्रोपोल

नैनीताल। नगर के अपने दौर के सबसे बड़े 41 कमरे के मेट्रोपोल होटल का निर्माण मि. रेंडल नाम के अंग्रेज ने किया था। बाद में यह राजा महमूदाबाद की संपत्ति हो गई। देश की आजादी के बाद यह संपत्ति राजा के इकलौते चश्मो-चिराग राजा अमीर मोहम्मद खान के हिस्से आयी, लेकिन इस पर अनेक लोगों का कब्जा रहा। इनमें से एक प्रमुख श्री लूथरा 1995 तक इसे होटल के रूप में चलाते रहे। वर्ष 2005 में न्यायिक प्रक्रिया के बाद इसे प्रशासन द्वारा शत्रु संपत्ति घोषित कर तथा कब्जे छुड़वाकर राजा के हवाले कर दिया गया, लेकिन बाद में दो अगस्त 2010 को न्यायालय के आदेशों पर इसे वापस जिला प्रशासन ने बतौर कस्टोडियन कब्जे में ले लिया था।

लाखों की आय के बावजूद सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं

नैनीताल। अरबों रुपये की प्रशासन के कब्जे वाली शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल में गत 26 नवम्बर की रात्रि भीषण अग्निकांड हो गया था, जिसमें होटल के बॉइलर रूम व बैडमिंटन कोर्ट तथा 14 कमरों वाला हिस्सा कमोबेश खाक हो गया था। तब भी होटल में कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं थे और इसके बाद भी प्रशासन ने इसकी सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किये हैं। गौरतलब है कि इस संपत्ति के मैदान को प्रशासन ग्रीष्मकाल में पार्किग के रूप में प्रयोग करता है, जिससे लाखों रुपये की आय भी प्राप्त होती है। राजा महमूदाबाद के प्रतिनिधि अब्दुल सत्तार ने बताया कि पूर्व में प्रशासन की ओर से यहां पुलिस कर्मी गार्ड के रूप में तैनात रहता था, लेकिन पिछले विस चुनाव के दौरान फोर्स की कमी होने पर गार्ड हटा तो उसके बाद तैनात ही नहीं किया गया।

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

नैनीताल राजभवन में आग, फिर मंगल को सामने आया अमंगल

जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान छत की ओर से फैली आग पीएसी व पुलिसकर्मियों की सक्रियता से टला हादसा जाम लगने से फायर ब्रिगेड को पहुंचने में हुआ विलम्ब
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश ही नहीं देश की शान, 1899 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित ऐतिहासिक नैनीताल राजभवन में मंगलवार 2 अप्रैल 2013 को अमंगल होते-होते टल गया। राजभवन में आग लगने से हड़कंप मच गया। करीब 10.6 करोड़ रुपये की लागत से चल रहे राजभवन के जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान आग लगी। पीएसी एवं पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी से राजभवन में लगे ऑटोमैटिक सुरक्षा उपकरणों से आग अधिक फैलने से रुक गई। आग से छत में लगाए जा रहे तख्ते व अन्य निर्माण सामग्री चपेट में आई है। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। इससे पूर्व 5 जनवरी 1970 को भी राजभवन में अग्निकांड हुआ था। 
मंगलवार अपराह्न करीब सवा दो बजे नैनीताल राजभवन में तैनात पीएसी कर्मी जावेद खान ने राजभवन की छत की ओर हल्का धुआं उड़ता हुआ देखा तो उसने तत्काल शोर मचाकर अन्य साथियों और उच्चाधिकारियों को सूचित किया। 2.38 बजे तक यह सूचना जिले के पुलिस कप्तान और पुलिस सीओ हरीश कुमार सिंह तक पहुंच गई, उसके तत्काल बाद नगर की फायर ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही हल्द्वानी और रामनगर से भी फायर ब्रिगेड को मुख्यालय पहुंचने के आदेश दे दिये गए। आग राजभवन के प्रेसीडेनसिअल ब्लाक के शूइट नं. चार की छत से शुरू हुई थी, और तब तक राजभवन के छत की बीचों-बीच स्थित बुर्ज पर नजर आने लगी थी और दांई ओर चल रहे जीर्णोद्धार कार्यों की ओर तेजी से फैलने लगी थी। इससे छत एवं सीलिंग के बीच धुआं भर गया था। फायर ब्रिगेड के वाहनों को राजभवन मार्ग पर इसी बीच स्कूलों की छुट्टी होने के कारण लगे जाम में फंसते हुए काफी समय लगा, बहरहाल उनके पहुंचते ही पीएसी एवं पुलिस के जवानों ने अग्निशमन कर्मियों के साथ सतर्कता का परिचय देते हुए खिड़कियों को तोड़कर आग बुझाने की कोशिश में जुट गये। एसएसपी डा. सदानंद दाते स्वयं बुर्ज पर चढ़कर आग बुझाने के लिए पुलिसकर्मियों को निर्देशित कर रहे थे। अंतत: करीब साढ़े तीन बजे आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। बताया जा रहा है कि आग से जीर्णोद्धार के क्रम में राजभवन की छत पर लगाए जा रहे तख्ते एवं उसके नीचे बिछाए जा रहे इमल्सन (एपीपी सीट) आदि का नुकसान हुआ है। राजभवन का जीर्णोद्धार इंडिया गुनाइटिंग  कारपोरेसन नामक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इस कंपनी के कामगार गैस हीटर से अग्नि व जलरोधी एपीपी सीट चिपकाने का काम कर रहे थे। संभवत: हीटर की चिंगारी से ही आग लगी। आग लगने के समय कंपनी के कामगार दोपहर का भोजन कर रहे थे। बहरहाल आग को राजभवन के बांयें हिस्से में फैलने से पहले ही रोक लिया गया, उस ओर राजभवन के महत्वपूर्ण फर्नीचर एवं अन्य महत्वपूर्ण सामान रखे गए थे। डीएम निधिमणि त्रिपाठी, एसडीएम रवि झा, कोतवाल बीबीडी जुयाल, थाना प्रभारी उत्तम सिंह, फायर ब्रिगेड के बीसी जोशी, लक्ष्मण सिंह, राजेंद्र नाथ, मुकेश कुमार, प्रेमप्रकाश राणा, एसएसआई कैलाश जोशी, लोनिवि के अभियंता एबी कांडपाल, आरएन तिवारी व राजीव गुरुरानी आदि ने भी आग बुझाने में जुटे रहे।