गुरुवार, 22 मार्च 2012

भूस्खलन से पहले मिल जाएगी जानकारी

राज्य में भूस्खलन चेतावनी प्रणाली विकसित करने की तैयारी कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग व एटीआई की आपदा प्रबंधन विंग करेगी मिलकर कार्य 
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश में भूस्खलनों से होने वाले नुकसानों को रोकने के लिए ‘भूस्खलन पूर्वानुमान प्रविधि’ (अर्ली वार्निग सिस्टम फार लैंड स्लाइड) विकसित करने का कार्य शुरू हो रहा है। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ एवं कुमाऊं विवि के भू-विज्ञान विभाग इस दिशा में मिल कर कार्य करेंगे। अकादमी में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली के सहयोग से शुरू हुई कार्यशाला में इस बात पर सहमति बनी है। 
बृहस्पतिवार को उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में भूस्खलनों पर शुरू हुई तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि कुमाऊं विवि के कुलपति ने इस बारे में कुविवि की भूमिका की घोषणा की। उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड जैसे अत्यधिक भूस्खलनों की संभावना वाले राज्य में ऐसी संगोष्ठियां लाभदायक होंगी। संगोष्ठी में जीएसआई कोलकाता के निदेशक जी. मुरलीधरन, उत्तराखंड मौसम विज्ञान के निदेशक आनंद शर्मा, राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के पूर्व निदेशक कुविवि के भूविज्ञान विभाग के प्रो. आरके पांडे, अपर जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल व कुविवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सीसी पंत आदि ने भी उपयोगी विचार रखे तथा प्रदेश की भूस्खलन संवेदनशीलता के मद्देनजर प्रभावी उपाय किये जाने पर बल दिया। संचालन जेसी ढौंढियाल ने किया। बताया गया कि संगोष्ठी में अगले दो दिन देश के 15 राज्यों से आये विशेषज्ञ करीब 35 शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे तथा आखिरी दिन नगर के आधार बलियानाला व अन्य क्षेत्रों की फील्ड स्टडी भी करेंगे। 

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