रविवार, 29 मई 2011

महिला जनप्रतिनिधि ला रही मुस्कुराहट की आहटें

जनपद के चोपड़ा गांव में रफ्तार पकडऩे लगा विकास
नवीन जोशी, नैनीताल। 
"चाहो तो तुम देश की तहरीर बदल दो,
चाहो तो तुम देश की तस्वीर बदल दो। 
नारी ! शक्ति हो संसार की भूलो न कभी ये,
चाहो तो तुम देश की तकदीर बदल दो ॥"
कुछ ऐसी ही परिकल्पना के साथ देश में 7३वें संविधान संसोधन के रूप में पंचायत राज अधिनियम और फिर पंचायतों में महिलाओं को 5 फीसद आरक्षण देने की व्यवस्था लागू हुई है, जिसके अब सुखद परिणाम आने शुरू होने लगे हैं। जनपद की चोपड़ा ग्राम सभा इस बात को साफ करने के लिये एक उदाहरण हो सकती है, जहां की ग्रामीण महिलाएँ अब रंग्वाली पिछौड़ा व शगुन आंखरों जैसे सांस्कृतिक प्रतिमानों को पकड़ कर भी विकास की रफ्तार से कदम मिला रही हैं। उनके चेहरों पर मुस्कुराहटों की आहट साफ नजर आ रही है।
चोपड़ा ग्राम सभा यूं नैनीताल—हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग पर आमपड़ाव के पास पड़ती है। सड़क से न्यूनतम दो से छह किमी की खड़ी चढ़ाई पर इसके करीब 1 वर्ग किमी से भी अधिक विस्तृत व 37६ हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैले आमपड़ाव, दांगड़, बसगांव, रोपड़ा, स्यालीखेत, भुमका, खड़काखेत, सिमलखेत, मल्ला चोपड़ा, रहन व फुनियाखान सहित एक दर्जन से भी अधिक तोक यानी दूर-दूर छिटकी हुई छोटी—छोटी बस्तियां हैं। आजादी के 6 वर्ष बाद भी यह गांव विकास से कोसों दूर था। 208 में ग्राम सभा के महिलाओं हेतु आरक्षित होने पर भगवती सुयाल को गांव की कमान मिली। निकटवर्ती घोड़ाखाल स्थित कुमाऊं के न्याय देव ग्वल के मंदिर के प्रधान पुजारी केदार दत्त जोशी की यह पुत्री ग्रामीणों को उनके हक के विकास का 'न्याय' दिलाने के इरादे से दायित्व संभाला, जिसका परिणाम है कि गांव में आज खुशहाली आने लगी है। गांव के लिये भूस्खलन का लगातार खतरा बने छीड़ा गधेरे के उपचार का तीन करोड़ का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा गया, एक करोड़ रुपये फिलहाल स्वीकृत होकर काम शुरू हो गया। गांव में सिंचाई के लिये प्रयुक्त पंप के लिये डीजल लाने में ही दिन निकल जाता था, अब 5 लाख रुपये की लागत से इसकी जगह बिजली से चलने वाला नया पंप लगाया जा रहा है। गांव में पांच महिला पौधालयों की स्थापना की गई है, जहां महिलाएँ तेजपत्ता, आंवला, हरड़ जैसे औषधीय पौधे लगाकर अपनी आय बढ़ा रही हैं। गांव में ही एएनएस सेंटर स्थापित हो गया है, लिहाजा अब गर्भवती महिलाओं को पैदल दूसरे गांव नहीं जाना पड़ता। गांव के लिये पीएमजीएसवाई योजना से सड़क बननी प्रारंभ हो गई है। गांव के स्यालीखेत तोक की बच्चियों को ज्योलीकोट स्कूल आने के लिये मीलों पैदल चलना पड़ता था, अब बीच में 2 लाख रुपये से पुलिया बन गई है, और सफर मिनटों में कट जाता है। गांव में मनरेगा से भी सड़क, संपर्क मार्ग व चेक डेमों का निर्माण जोरों पर है। वर्षों से विवादों मैं फंसे प्राथमिक स्कूल का निर्माण शुरू होने लगा है गांव के लोग दाल चीनी के पत्तों और लीची का कारोबार करके खुश हैं, क्योंकि अब उनकी फसल में कोई रोग होता है तो कृषि व उद्यान विभाग के अधिकारी कृषक महोत्सव में आकर रोगों का निदान करते हैं। परंपरागत रंग्वाली पिछौड़ों में सजी महिलाएँ यहां शगुन आंखर गाकर उनका स्वागत करती हैं। महिलाओं के लिये गांव में न चारे की समस्या है, न ही वह पतियों के शराब पीकर आने से परेशान हैं। एक युवक मां द्वारा खरीद कर दी गई गाड़ी के पैंसे शराब पर खर्च कर मां को ही पीट रहा था। भगवती ने पहले मां को अपने घर में शरण दी, और फिर स्वयं गाली खाकर बेटे को समझाया। तब से उसके साथ ही अन्य युवक भी शराब से दूर रहने लगे हैं। महिलाएँ अब बचे समय में टैडी बियर जैसे खिलौने बनाने व सिलाई कढ़ाई सीख रही हैं। भगवती कहती हैं, यह बदलाव तो शुरुआत है। और इसका कारण कहीं न कहीं उनका एक महिला होना भी है। क्योंकि वह गांव—घर की समस्याओं को अधिक बेहतर समझने वाली महिलाओं की तरह सोच पाती हैं। आगे महिलाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिलाने की भी उनकी योजना है। 

शुक्रवार, 27 मई 2011

फारूक को नैनीताल गोल्फ कोर्स ने दिलाई गुलमर्ग की याद


राज्यपाल के साथ किया नौवें गवर्नर्स गोल्फ कप का शुभारंभ
नैनीताल (एसएनबी)। केंद्रीय वैकल्पिक ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने नैनीताल के सौन्दर्य से अभिभूत होकर यहां की वादियों को कश्मीर के समान ही प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि नैनीताल राजभवन का परिसर और खासकर गोल्फ कोर्स का क्षेत्र उन्हें गुलमर्ग की याद दिला रहा है। उन्होंने शुक्रवार सुबह प्रदेश की राज्यपाल मार्ग्ेट आल्वा के साथ राजभवन गोल्फ क्लब द्वारा आयोजित नौवें ‘गवर्नर्स कप गोल्फ टूर्नामेंट 2011’ का विधिवत शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि गोल्फ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर निरन्तर लोकप्रिय होता जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि यह खेल आयोजन नैनीताल में पर्यटन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। राज्यपाल ने कहा कि गोल्फ के माध्यम से नैनीताल को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किये जाने के प्रयासों के साथ ही प्रदेश में पर्यटकों को आकषिर्त करने के लिए साहसिक पर्यटन, जल क्रीडा, हिम क्रीडा, धार्मिक तथा प्राकृतिक चिकित्सा संबंधी पर्यटन के विकास की भी अपार संभावनाएं जताई। उन्होंने राज्य के विकास व पर्यटन विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। बताया कि गोल्फ को भावी पीढ़ी में भी लोकप्रिय बनाने के लिए बच्चों के लिए गोल्फ प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी अक्टूबरन वंबर में बच्चों के लिए टूर्नामेंट आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। टूर्नामेंट में देश के विभिन्न राज्यों से 178 गोल्फ खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे हैं, जबकि गत वर्ष 151 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया था। उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों के साथ राजभवन गोल्फ क्लब के उपाध्यक्ष तथा सचिव राज्यपाल अशोक पई, कोषाध्यक्ष पूनम सोबती, राज्यपाल के एडीसी एवं कृष्ण कुमार वीके, मेजर पीपी राय चौधरी, डा. वीके नौटियाल आदि सदस्य, गोल्फ कैप्टन कर्नल (रिटार्यड) एससी गुप्ता व राज्यपाल के निजी सचिव सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

गुरुवार, 26 मई 2011

अब नैनीताल में देखिए रॉयल बंगाल टाइगर


नैनीताल चिड़ियाघर में आया ‘राजा-रानी’ का जोड़ा
नैनीताल (एसएनबी)। मात्र 10 वर्ष की आयु में चार मीटर लंबाई, 1.2 मीटर ऊंचाई और करीब 250 से 270 किग्रावजन युक्त भारी भरकम रॉयल बंगाल टाइगर बृहस्पतिवार को नैनीताल चिड़ियाघर की शान बन गया। इसे देखकर कई सैलानियों के मुंह से यह बात निकली, कि अब रॉयल बंगाल टाइगर को देखने के लिए जिम कार्बेट पार्क जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 
राष्ट्रीय सहारा ने पूर्व में ही गत 14 मई को ही उसके साथ मादा रॉयल बंगाल टाइगर को भी एक बाड़े में रखने का समाचार प्रकाशित कर दिया था, जिसका एक चरण चिड़ियाघर कर्मियों की मेहनत से बमुश्किल सफल हो पाया। एक-दो दिन में मादा को भी उसके साथ बाढ़े में लाऐ जाने और आगे उनके बीच ‘वाइल्ड ब्रीडिंग’ कराये जाने की योजना है। चिड़ियाघर के निदेशक बीजू लाल टीआर को उम्मीद है कि अक्टूबर-नवंबर तक नैनीताल चिड़ियाघर इन दोनों के नन्हे शावकों का दीदार कर पाएगा। बकौल निदेशक यह चिड़ियाघर के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। इससे पूर्व चिड़ियाघर कर्मी बीते दो-तीन की मेहनत के बाद इस भारी- भरकम बाघ को बाढ़े में प्रतिस्थापित कर पाये। इसे गुलदारों को हटाकर उनके बाढ़े में रखा गया है। इस मौके पर वन संरक्षक कपिल जोशी भी मौजूद थे। उन्होंने भी उम्मीद जताई कि रॉयल बंगाल टाइगर के नैनीताल चिड़ियाघर में लोगों के देखने के लिये उपलब्ध होने से चिड़ियाघर की प्रसिद्धि काफी बढ़ जाएगी। उन्होंने चिड़ियाघर कर्मियों ने इस जोड़े का विशेष ध्यान रखने की हिदायत भी दी। इस मौके पर चिड़ियाघर के वनाधिकारी मनोज साह, प्रकाश जोशी, चिकित्सक डा. एलके सनवाल आदि भी मौजूद थे।
नर भक्षी नहीं है रॉयल बंगाल टाइगर: डीएफओ
नैनीताल। नैनीताल प्राणि उद्यान के निदेशक एवं प्रभागीय वनाधिकारी बीजू लाल टीआर ने दावा किया है कि चिडिय़ाघर में आज से प्रदर्शित रॉयल बंगाल टाइगर नर भक्षी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह एसा दावे के साथ कह सकते हैं। बताया कि जब यह चिडिय़ाघर में लाया गया था, तब भी इसके शिकारी दांत (केनिन) बिलकुल सही स्थिति में थे, तथा इसे किसी प्रकार की चोट नहीं थी। बताया कि इसे स्थानीय लोगों, स्वयं सेवी संगठनों व राजनीतिक दबाव के कारण पकड़ा गया। हालांकि उन्होंने संभावना जताई कि इतने बड़े आकार के बाघ को अचानक देखकर भी मनुष्य दम तोड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि इस बाघ पर आरोप था कि उसने चार फरवरी 09 को सर्पदुली रेंज के ढिकुली गांव में भगवती देवी को हमला बोलकर मार दिया था, जिसके बाद बमुश्किल उसे एक पखवाड़े बाद घायल अवस्था में पकड़कर नैनीताल चिडिय़ाघर लाया गया था। 


हरि सिंह वाला पूरा कश्मीर हमारा : डा. फारूक


पाक सीमा में चीन का दखल चिंता की बात,
अपने ही बनाए जाल में फंस रहा है पाकिस्तान:  डा. फारूक अब्दुल्ला
नैनीताल (एसएनबी)। केंद्रीय मंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान जल्द हो जाएगा। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान राज्य के तीनों हिस्सों लद्दाख, जम्मू व कश्मीर के साथ ही भारत की अधिसंख्य जनता के मान्य हल पर ही होगा। समस्या का समाधान देश की सरहद तथा भारत के कानून की सीमा के भीतर ही होगा। इसमें पाकिस्तान की राय भी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस मुद्दे को तूल नहीं देना चाहिए। पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का हिस्सा है। पाकिस्तान ने यदि इस मसले पर बात बढ़ाई तो फिर भारत राजा हरि सिंह के राज्य रहे कश्मीर की मांग तक भी जा सकता है। श्री अब्दुल्ला बृहस्पतिवार को नैनीताल राजभवन में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पाक के ‘नार्दर्न टेरीटरी’ के गिलगित व स्कर्दू आदि इलाके राजा हरी सिंह के राज्य के हिस्से रहे हैं, इसलिए बात बढ़ने पर भारत इनके बारे में भी बात कर सकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कश्मीर में उनके बेटे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला व केंद्र में वह स्वयं हैं जो केंद्र व राज्य के बीच समन्वय से कश्मीर समस्या के हल की दिशा में तेजी से प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि जो भी समझौता होगा वह भारत की सरहद और कानून के अंतर्गत ही होगा। दोहराया कि 1967 के प्रस्ताव के अनुसार 'पीओके' भारत का हिस्सा है। कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी ने कश्मीर समस्या के हल के लिये मुशर्रफ को भारत बुलाने सहित बड़े कार्य किये थे, तब भी समस्या के हल की बड़ी आशा जगी थी। एबटाबाद में अमेरिका द्वारा ओसामा को मारने और हेडली द्वारा किये जा रहे खुलासों के बाबत भारत के रुख पर उन्होंने कहा कि भारत क्षमता के बावजूद अमेरिका जैसी कार्रवाई के पक्ष में नहीं है। पाकिस्तान स्वयं तैयार किये गये आतंकवाद की मार झेल रहा है, वरना आतंकवाद भारत को परेशान करता। लेकिन पाक सीमा पर चीन का बढ़ता दखल भारत के लिये चिंता की बात है। उन्होंने कश्मीर की समस्या के लिये वहां के राजनेताओं, नौकरशाहों और आतंकियों को बराबर का दोषी बताते हुए कहा कि आतंकवाद के रहने से सबकी दुकान चलती है। बताया कि इधर हालात तेजी से सुधर रहे हैं। घाटी में पंचायत चुनावों में 8४ फीसद मतदान हुआ व एक महिला सहित दो हिंदू सरपंच बने हैं। कश्मीरी हिंदू वापस लौट रहे हैं। राज्य सरकार से पूर्व में अपनी जमीनें बेचकर गये हिंदुओं को जमीनें व घर बनाकर देने को कहा गया है। 

सीमावर्ती इलाकों को वैकल्पिक ऊर्जा से जगमगाएँगे
नैनीताल। केंद्रीय वैकल्पिक ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों को 10 फीसद केंद्रीय सहायता से वैकल्पिक ऊर्जा से जगमगाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अधिकारियों से इस बाबत शीघ्र प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा गया है। इसके अलावा उन्होंने राज्य में चीड़ के पिरूल व ठींठों से ईंधन की ईंटों जैसे वैकल्पिक ऊर्जा की 1 मेगावाट से बड़ी योजनाओं के प्रस्ताव पर पुर्नविचार करने की बात कही। उन्होंने बताया कि राजभवन व राज्य के अधिकारी उनके संज्ञान में लाए हैं कि स्थानीय लोग ईंधन के लिये पिरूल व ठींठों का स्वयं भी ईंधन के लिये उपयोग करते हैं। लिहाजा उनका मंत्रालय अपने विभाग की एसी योजनाओं को हतोत्साहित कर सकता है, ताकि यहां के ग्रामीण ईंधन के लिये पेड़ों को न काटें। बताया कि 130 मेगावाट का राष्ट्रीय सोलर मिशन 2013 तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने पवन ऊर्जा से भी नौ से 13 हजार मेगावाट तक वैकल्पिक ऊर्जा बनाये जाने की योजना बताई। 
इससे पूर्व उन्होंने नैनीताल राजभवन में राज्यपाल मार्गरेट आल्वा के साथ प्रदेश के अधिकारियों की बैठक ली, तथा उनके विचार लिये। बताया कि राजभवन में उरेडा के द्वारा 3२ लाख रुपये की लागत से पांच किलोवाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट, 1१0 लीटर प्रतिदन क्षमता के छह सोलर वाटर हीटर, गोल्फ कोर्स की सिंचाई के लिये 1.8 किलोवाट क्षमता का सोलर वाटर पंप, राजभवन परिसर में 2 सोलर एलईडी स्ट्रीट लाइटें, फ्लेट पोस्ट के पास पांच विंड जेनरेटर तथा राजभवन के मुख्य मार्ग पर 10 सोलर स्टड लगाए जाएँगे। 

रविवार, 22 मई 2011

हिमालयी क्षेत्रों के लिए बने अलग समूह


कार्यशाला में केंद्रीय योजना आयोग से किया अनुरोध
नैनीताल (एसएनबी)। सिक्किम से लोकसभा सदस्य पीडी राय ने केंद्रीय योजना आयोग स्तर पर हिमालयी क्षेत्रों के लिए विशिष्ट समूह के गठन पर बल दिया है। यह समूह हिमालयी क्षेत्रों के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करेगा। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में आ रहे परिवर्तनों के साथ जीविका के क्षेत्र में अधिक कार्य करने पर भी जोर दिया। श्री राय उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में चल रही दो दिवसीय ‘इंडिया माउंटेन इनीशिएटिव’ की ‘सस्टेनेबल माउंटेन डेवेलपमेंट समिट 2011’ के अंतिम दिन की कार्यशाला में बोल रहे थे। उत्तराखण्ड के प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा ने प्रदेश के अंतिम गांव माणा का उदाहरण देते हुए वहां ग्रामीण पर्यटन के बारे में जानकारी दी। साथ ही पर्वतारोहण, ईको पर्यटन और राफ्टिंग की सम्भावनाओं के बारे में बताया। इंटरनेशनल जर्मन कोआपरेशन जीआईजेड के मैनफेड हैबिग ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत बताई। भारत सरकार के पर्यटन उप महानिदेशक डी वेंकटेशन, सुशील रमोला, प्रो. तेज प्रताप, सुब्रोतो राय ने भी इस मौके पर विचार रखे। इसके अलावा डा. पुश्किन फत्र्याल, डा. टीएस पोपाल, डा. आरवीएस रावत, प्रो. बीके जोशी व प्रो. शेखर पाठक ने समुदाय वानिकी व ग्रामीण पर्यटन की जानकारियां दीं। सामुदायिक वानिकी सत्र में डा. राजीव सेमवाल, डा. राजेन्द्र विष्ट वन संरक्षक ने प्रस्तुति दी। मेघालय के एमवीके रेड्डी, दिल्ली के एस सिद्ध, नेपाल के डा. गिरिधर खिनहाल, डा. भीष्म सुवेदी, प्रदेश के एसटीएस लेप्चा, कल्याण पाल, सुधा गुणवन्त, हेमा फत्र्याल, पीताम्बर मलकानी ने भी प्रस्तुतियां दीं। समापन के मौके पर आयोजक सेंट्रल हिमालयन इन्वायरमेंट एसोसिएशनचि या के अध्यक्ष डा. आरएस टोलिया ने कार्यशाला में सहयोग कर रहे संस्थानों जीआईजेड, उत्तराखण्ड, आईसीमोड, नेपाल, यूकास्ट, उत्तराखण्ड, एसआरटीटी, एनआरटीटी, मुम्बई, एसबीबी, देहरादून, एचआरडीआई गोपेर तथा मीडिया का आभार जताया। इस अवसर पर प्रो. एसपी सिंह, प्रो. पीडी पन्त, डा. पंकज तिवारी, प्रो. वीपीएस अरोडा, प्रो. जेएस सिंह, डा. एलएमएस पालनी आदि मौजूद थे।
पहाड़ में विकास के लिए बने अलग मॉडल : पचौरी
नैनीताल में बढ़ते प्रदूषण से चितिंत हैं नोबल पुरस्कार विजेता
नैनीताल (एसएनबी)। अमेरिकी उप राष्ट्रपति अलगोर व मार्टिन प्राइस के साथ नोबल पुरस्कार के साझीदार नैनीताल में जन्मे डा. आरके पचौरी पहाड़ में विकास के लिए अलग मॉडल के पक्षधर हैं। उनका मानना है कि पहाड़ में मैदान अथवा पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश के विकास के मॉडल से कार्य नहीं किया जा सकता। वह अपनी जन्मस्थली में पर्यटक वाहनों के अधिक आगमन से चिंतित हैं, साथ ही खुश भी हैं कि नैनी झील पहले के मुकाबले में साफ हुई है। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में आयोजित संगोष्ठी में आए डा. पचौरी नैनीताल पहुंचने के मार्ग की दुर्दशा से खासे परेशान दिखे। उन्होंने बातचीत की शुरूआत यह कहकर की कि इस बार यहां आने में अधिक तकलीफ हुई। नगर के हैडिंग्ले कॉटेज में जन्मे पचौरी ने कहा, उनकी मां बताती हैं कि वह इजी डिलीवरी से पैदा हुए थे। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को नगर में वाहनों का अधिक प्रवेश रोककर सैलानियों के लिए पैदल घूमने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए। जलवायु परिवर्तन पर श्री पचौरी ने कहा कि इसका सर्वाधिक प्रभाव कामगारों, किसानों पर पड़ेगा। लिहाजा अभी से जागरूक होने की जरूरत है। यहां प्राकृतिक धन की सुरक्षा करते हुए ही विकास करने होंगे तथा बेकार नष्ट हो रहे संसाधनों के उपयोग व वष्रा जल संग्रहण जैसे प्रयास करने होंगे। ईधन के लिए भी नए विकल्प तलाशने होंगे। नैनीताल के बाबत उन्होंने कहा, अपनी जन्मस्थली उनके दिल में है। उनका बचपन यहां बीता है। वह इस शहर की पूजा करते हैं।

भारत व पाक के लोगों में अमन की चाहत : बिल्लौर


पाक के रेल मंत्री को अफसोस कि आज भी दोनों देशों में पहाड़ों तक नहीं पहुंची रेल
नवीन जोशी नैनीताल। पाकिस्तान के रेल मंत्री हाजी गुलाम अहमद बिल्लौर को इस बात का अफसोस है कि भारत और पाकिस्तान आज भी रेल को पहाड़ों तक नहीं पहुंचा सके। उन्होंने दोनों देशों को तिब्बत तक रेल ला चुके चीन के साथ ही जापान, जर्मनी व यूरोपीय देशों से सबक लेने की जरूरत बताई। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के आवाम की अमन और करीब आने की ख्वाहिश अब पूरी होगी। दोनों देशों के सियासतदां भी लड़ते-लड़ते थक गए हैं। 
रविवार को अपने तीसरे भारत दौरे के दौरान पहली बार नैनीताल पहुंचे हाजी बिल्लौर ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में पहाड़ पर रेल चढ़ाने के सवाल को दोनों देशों की नाकामी से जोड़ा। खुद पाक के पहाड़ी सूबे खैबर तख्तून के निवासी बिल्लौर को अफसोस है कि वह भी अपने पहाड़ों में रेल नहीं बढ़ा पाए। उनका कहना था कि अंग्रेज भारत में शिमला और पाकिस्तान में लैंडी कोतल तक रेल ले गए थे। दोनों देशों में अभी भी रेल 120-130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर अटकी हैं, जबकि चीन में 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ चुकी है। सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खां का नाम लेते हुए बिल्लौर ने बताया कि वह उन्हीं के सूबे के हैं और पठान हैं। चीन की तरक्की पर रश्क करते हुए उन्होंने दावा किया कि चीन ने दुनिया को कर्ज देने वाले अमेरिका को तीन ट्रिलियन डॉलर का कर्ज दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को सोचना चाहिए कि लड़ाई से सिर्फ तबाही मिलती है। दोनों देशों ने इस लड़ाई से खोया ही है, पाया कुछ नहीं। अच्छा हो दोनों मिलकर भाइयों की तरह गुजारा करें और अमन से रहें। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों ने अपनी मुद्रा एक कर ली, बीच के रास्ते और तिजारत खोल दी, इसलिए आज वह अमन व तरक्की की राह पर हैं। नैनीताल के बावत उन्होंने कहा कि यह पाक के झीलों के शहर सेफलमलू सहित और दूसरे पहाड़ी नगरों से कहीं अधिक खूबसूरत है। उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ अजमेर शरीफ और बरेली शरीफ के निजी दौरे पर आए थे, बरेली से पता चला कि नैनीताल करीब है, यहां का बहुत नाम सुना था, इसलिए चले आए। सोमवार शाम वह यहां से लौट जाएंगे। 

‘गढ़वाली’ के पेशावर कांड को याद किया
नैनीताल। पाकिस्तानी बुजुर्ग नेता हाजी गुलाम अहमद बिल्लौर ने दावा किया कि हिन्दुस्तान की आजादी के लिए पाकिस्तानियों ने जलियांवाला बाग सहित सर्वाधिक कुर्बानियां दीं, उसी तरह हिंदू सैनिकों ने भी पाकिस्तानी शहर पेशावर के मशहूर किस्साखानी व बाजार-ए-कलां में अंग्रेजों के हुक्म पर अपने लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया था। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को ही पेशावर कांड का नायक कहा जाता है, जिन्होंने 23 अप्रैल 1930 को रॉयल गढ़वाल रायफल्स का हवलदार रहते पेशावर में आजादी के लिए आंदोलनरत निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया था।
इसे यहाँ राष्ट्रीय सहारा के प्रथम पेज पर भी देख सकते हैं.

शुक्रवार, 20 मई 2011

सदियों पहले से कुमाऊंनी में लिखी जा रहीं पुस्तकें

नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊंनी को बोली या भाषा मानने पर चल रही बहस के बीच नैनीताल में एक ऐसी पांडुलिपि प्राप्त हुई है, जो कुमाऊंनी में लिखी गई है। यह पुस्तक जन्म कुंडली निर्माण की पद्धति को बेहद सहज और सरल पद्धति से सिखाती है। देश भर में वर्ष 2003 से चल रहे राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत प्रदेश में कार्य कर रहे उत्तराखंड संस्कृत अकादमी सव्रेक्षकों के हाथ अनूठे हस्तलिखित दस्तावेज हाथ लगे हैं। 
उल्लेखनीय है कि कुमाऊंनी को भाषा के इतर बोली मानने के तर्क दिए जाते हैं। तर्क है कि इसमें प्राचीन लिखित साहित्य मौजूद नहीं है। इस मान्यता को कुमाऊं विवि के मुख्यालय स्थित हिमालयन संग्रहालय में मौजूद कुमाऊंनी में जन्म कुंडली निर्माण पद्धति पर लिखित पुस्तक आईना दिखाने वाली है। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के सर्वेक्षकों को 300 वर्ष पुराना अनूठा संस्कृत व फारसी का ज्योतिष गणना यंत्र के साथ ही जागेश्वर महात्म्य, रामगंगा महात्मय, दशकर्म पद्धति, षोडश संस्कार पुस्तक, धार्मिक कर्मकांड तंत्र-मंत्र से जुड़ी पांडुलिपियां प्राप्त हुई हैं। इन पांडुलिपियों का रानीबाग की हिमसा संस्था के क्यूरेटरों द्वारा संरक्षण किया जा रहा है। इस मौके पर सव्रेक्षकों डा. कैलाश कांडपाल व शैक्षिक समन्वयक कैलाश पंत ने आमजन से अपील की कि वह घरों में मौजूद प्राचीन पांडुलिपियों को मिशन के तहत पंजीकृत कराए।

सुमेरू से होती थी ज्योतिष गणना


कुमाऊं विवि को मिला संस्कृत और फारसी का अनूठा ज्योतिष गणना यंत्र
सूर्य व चंद्र दोनों सिद्धांतों पर आधारित है यह दस्तावेज
हिमालयन संग्रहालय में मौजूद अनूठा विशाल ज्योतिष यंत्र
नवीन जोशी नैनीताल। कुमाऊं विवि के हिमालयन संग्रहालय को एक विशाल आकार का हस्तलिखित ज्योतिष गणना यंत्र मिला है। यह संस्कृत और फारसी में लिखा गया है, इसमें सूर्य व चंद्र ज्योतिष सिद्धांतों से सौरमंडल और ब्रह्माण्ड की गणना की गई है। यह पुराने समय में कुमाऊं अंचल के ज्ञान के भंडार का दस्तावेज है। 
विवि के इतिहास विभाग के हिमालयन संग्रहालय को नगर के बिड़ला विद्या मंदिर में शिक्षक रहे इतिहासकार नित्यानंद मिश्रा के जरिए यह ज्योतिष गणना यंत्र हासिल हुआ। यह पहाड़ के ‘बड़वा’ पेड़ से हस्तनिर्मित कागज पर छह फीट एक इंच लंबा व चार फीट चौड़े विशाल आकार में है। इसमें सुमेरु पर्वत को पृथ्वी का केंद्र मानते हुऐ पृथ्वी की सतह से 12 योजन यानी 96 किमी तक के आसमान और सौरमंडल के साथ ब्रह्माण्ड में मौजूद नक्षत्रों के व्यास और उनकी कक्षाओं की विस्तृत जानकारी है। पंचांग में सुमेरु के चारों ओर कपिल, शंख, वैरूप्य, चारुश्य, हेम, ऋषभ, नाग, कालंजर, नारद, कुरंग, बैंकक, त्रिकट, त्रिशूल, पतंग, निषध व शित आदि पर्वतों तथा क्षार, क्षीर, दधि, घृत, इक्षुरस, मदिर व स्वाद नाम के सात समुद्रों का जिक्र है। समुद्रों के बीच में क्रमश: शाक, साल्मती, कुश, क्रोंच, गोमेद व पुष्कर द्वीप भी प्रदर्शित हैं। यंत्र के अनुसार चांद का व्यास 1, 03,090 योजन व नक्षत्रों का व्यास 8,29,92,224 योजन है। इसमें सूर्य सहित सभी ग्रहों व नक्षत्रों का व्यास व उनकी परिभ्रमण कक्षाएं भी अंकित हैं। यह पंचांग ज्योतिष के विपरीत सिद्धांतों सूर्य व चंद्र सिद्धांतों के समन्वय पर बना है। इसमें संस्कृत के साथ फारसी का प्रयोग किया गया है। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन से जुड़े डा. कैलाश कांडपाल इसे करीब 300 वर्ष पुराना मुगलकालीन दस्तावेज मान रहे हैं। यंत्र को हिमालय संग्रहालय में रखा गया है। इसके अनुरक्षण का कार्य रानीबाग की संस्था हिमसा के माध्यम से किया जा रहा है।
इसे यहाँ राष्ट्रीय सहारा के प्रथम पृष्ठ पर भी देख सकते हैं। 

गुरुवार, 19 मई 2011

महंगाई नैनीताल की मोमबत्तियां बुझाने पर उतारू

पेट्रोल के मुकाबले दोगुनी वृद्धि हो रही कच्ची मोम के दामों में
नैनीताल की पहचान हैं मोमबत्तियां, तीन वर्षों में डेढ़ गुने हो गये दाम, 30 फीसद घटी बिक्री
नवीन जोशी, नैनीताल। आगरा का पेठा, हापुण के पापड़, बरेली का सुरमा व अल्मोड़ा की बाल मिठाई की तरह ही नैनीताल की मोमबत्तियां भी देश—दुनिया में अपनी पहचान रखती हैं। केंद्र की यूपीए सरकार के दूसरे बीते तीन वर्षों के कार्यकाल में पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में जो रिकार्ड वृद्धि हुई है, नैनीताल का मोमबत्ती उद्योग इसकी सर्वाधिक व सीधी मार झेल रहा है। इस दौरान कच्चे मोम के दामों में पेट्रोल के मुकाबले दोगुनी वृद्धि हुई है। इसके प्रभाव में मोम के दाम डेढ़ गुने तक हो गये हैं, लिहाजा बिक्री 30 फीसद तक घट गई है। हालात ऐसे ही रहने पर आने वाले वर्ष इस उद्योग को पूरी तरह खत्म कर सकते हैं।
नैनीताल में किसी दुकान पर रसीले फलों को देखकर आपके मुंह में पानी आ जाए, और पड़ताल करने पर पता चले कि वह फल नहीं सजावटी मोमबत्तियां हैं तो आश्चर्य न करें। दरअसल, नैनीताल की मोमबत्तियां होती ही इतनी सुंदर हैं कि आप नैनीताल आएं  और मोमबत्तियां लिये बिना लौट जाएं , ऐसा संभव नहीं है। लेकिन बीते तीन दशकों में पहले इस उद्योग में चीन का बर्चस्व शुरु हुआ, और अब यह देश में बढ़ी पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि की लगातार व जबर्दस्त मार झेलते हुऐ दम तोडऩे की राह पर है। गौरतलब है कि मोमबत्तियां पैराफीन वैक्स की बनी होती हैं, जो एक पेट्रोलियम उत्पाद है। उद्योग से जुड़े लोग बताते हैं कि तीन वर्ष पूर्व कच्चा मोम 9 से 10 रुपये किग्रा के भाव मिलता था, जो अब 14 से 15 के भाव हो गया है, यानी इस दौरान पेट्रोल के दामों में जो 23 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई, उसके प्रभाव में मोम करीब दोगुनी महंगी हो गई। नगर में सजावटी मोमबत्तियों का कारोबार करीब पांच करोड़ रुपये का है, और करीब चार हजार लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं, जिनमें 6 फीसद महिलाएं  हैं। वर्तमान हालातों की बात करें तो 7 के दशक में अनिल ब्रांड की मोमबत्तियों से इस उद्योग की शुरुआत करने वाली सीए एंड कंपनी सहित दर्जनों इकाइयां बंद हो चुकी हैं। अब केवल एक दर्जन ही उत्पादक बचे हैं। नगर की फोर सीजन केंडल शोप के स्वामी इस्लाम सिद्दीकी की मानें तो बढ़ती महंगाई के प्रतिफल में सजावटी मोमबत्तियों की बिक्री करीब 30 फीसद कम हो गई है। वह इसके लिये साफ तौर पर केंद्र की यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल की नीतियों को जिम्मेदार बताते हैं। उनका कहना है कि सरकार को दम तोड़ रहे नगर व प्रदेश की पहचान से जुड़े इस उद्योग को बचाने के प्रयास करने चाहिए।
ग्लोबलवार्मिंग के कारण भी घट रही बिक्री
नैनीताल। सुनने में यह बात अटपटी लग सकती है, परंतु मोमबत्ती उद्योग से जुड़े लोग बढ़ती गर्मी को भी मोमबत्तियों की घटती बिक्री से जोड़कर देख रहे हैं। कैंडिल विक्रेता इस्लाम सिद्दीकी के अनुसार यह मोमबत्तियां अधिकतम 48 डिग्री सेल्सियस का तापमान सह सकती हैं, किंतु मैदानों में पारे के 5 डिग्री तक पहुंचने पर गलने की संभावना से भी लोग मोमबत्तियां कम खरीद रहे हैं।

बुधवार, 18 मई 2011

अब नहीं रहेगी पहाड़ में चारे की समस्या


नवीन जोशी
नैनीताल। मैदानों के साथ पहाड़ भी गर्मी में झुलस रहे हैं, और पशुपालक परेशान हैं कि कैसे बरसात होने तक जानवरों का पेट पालें। ऐसे में यह खबर खासकर पहाड़ के पशुपालकों के लिए बड़ी राहत देने वाली हो सकती है। इन गर्मियों में तो नहीं, किंतु जल्द ही प्रदेश का पशुपालन महकमा कुमाऊं मंडल के पर्वतीय अंचलों में 115 हेक्टेयर भूमि पर 23 चरागाह विकसित करने जा रहा है। विभाग को इसके लिए 113.85 लाख रुपये भी शासन से प्राप्त हो गये हैं। बाद में सभी पहाड़ी ब्लाकों में दो-दो यानी 68 चरागाह बनाने की योजना भी तैयार की जा रही है। कुमाऊं मंडल के उप निदेशक पशुपालन डा. भरत चंद्र ने बताया कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली 14 योजनाओं में ग्रास लैंड डेवलपमेंट एंड ग्रास रिजर्व योजना भी शामिल हैं। इसके तहत मंडल के मैदानी जनपद ऊधमसिंह नगर को छोड़कर (क्योंकि इस जिले में वन पंचायतें ही नहीं हैं) अन्य पांच जिलों के आठ विकास खंडों में 23 वन पंचायतें चिह्नित की गई हैं। यहां चरागाह विकसित करने के लिए धनराशि मिल गई है। श्री भरत चंद्र ने बताया कि योजना के तहत इन चिह्नित वन पंचायतों की 115 हेक्टेयर भूमि पर ऊंचाई के अनुसार पहाड़ के परंपरागत भीमल, तिमिल जैसे चारा वृक्ष व घास के पौधे रोपे जाएंगे। बाद में इन पर्वतीय जिलों के सभी 34 विकास खंडों के दो-दो यानी कुल 68 गांवों में भी ऐसे ही चरागाह विकसित करने का प्रस्ताव है।
जानवर खाएंगे रेडीमेड चारा केक
नैनीताल। उप निदेशक पशुपालन डा. भरत चंद्र ने बताया कि कुमाऊं के 41 (ऊधमसिंह नगर जनपद भी शामिल) में से 32 विकास खंडों में चारा बैंक विकसित कर लिए गये हैं। शीघ्र ही अन्य 18 ब्लॉकों में भी स्थापित किये जा रहे हैं। इन चारा बैंकों में जानवरों के लिए भूसा व शीरा के अलग-अलग अनुपात वाले 12 व 14 किग्राके ठोस चारा केक उपलब्ध करा दिये गये हैं। इन केक को पानी मिलाकर जानवर बड़े चाव से खा रहे हैं।
नहीं रिझा सकी बिग डेयरी योजना
नैनीताल। पशुपालन विभाग ने पुरानी योजना को परिवर्तित कर जो डेयरी उद्यमिता विकास योजना (बिग डेयरीयोजना) शुरू की है, उसे नैनीताल के पशुपालकों ने तो खूब पसंद किया है, पर यह पहाड़ के पशुपालकों को रिझाने में असफल रही है। दो से 10 दुधारू पशुओं की खरीद के लिए नाबार्ड से 25 फीसद अनुदान पर एक से पांच लाख के ऋ ण वाली इस योजना में 211 के लक्ष्य के सापेक्ष 648 आवेदन आये। इन आवेदनों में पर्वतीय पशुपालकों के आवेदन कम ही थे और जो थे भी वह दो या तीन जानवरों तक सीमित थे। बीती 31 मार्च तक ही लक्ष्य से अधिक 296 आवेदकों को 3.27 करोड़ रुपये के ऋ ण स्वीकृत हो गये।

रविवार, 15 मई 2011

नैनीताल जू में 'घर बसाएगा' नरभक्षी बंगाल टाइगर


गत वर्ष कार्बेट के बिजरानी जोन से पकड़ा गया था नरभक्षी नर व सांवल्दे से लाई गई थी बीमार मादा

इस तरह 'बाघ बचाओ मुहिम' भी  चढ़ेगी परवान
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल का पंडित गोविंद वल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणि उद्यान यानी नैनीताल चिडिय़ाघर देश भर में चल रही 'बाघ बचाओ' मुहिम का हिस्सा बनने जा रहा है। चिडिय़ाघर प्रबंधन यहां एक 'बंगाल टाइगर' नस्ल के नरभक्षी बाघ का 'घर' बसाने जा रहा है। कोशिश है कि उसे यहां एक मादा हम नस्ल मादा बाघ के साथ प्रेमालाप का मौका देकर 'वाइल्ड ब्रीडिंग' के लिये प्रेरित किया जाए।
गौरतलब है कि गत वर्ष चार अप्रैल को जनपद स्थित देश के जाने—माने कार्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन में एक नर बंगाल टाइगर आतंक का पर्याय बन गया था। उसने चार फरवरी 09 को सर्पदुली रेंज के ढिकुली गांव में भगवती देवी को हमला बोलकर मार दिया था, जिसके बाद बमुश्किल उसे एक पखवाड़े बाद घायल अवस्था में पकड़कर नैनीताल चिडिय़ाघर लाया गया था। उसका सौभाग्य ही कहिए कि चिडिय़ाघर कर्मियों की सुश्रुसा व देखभाल से न केवल वह स्वस्थ हो गया वरन इसी दौरान कार्बेट पार्क के सांवल्दे क्षेत्र से एक मादा बंगाल टाइगर वन विभाग के अधिकारियों को घायल अवस्था में मिल गई। एक ही नस्ल के इस युगल को देखकर नैनीताल चिडिय़ाघर प्रबंधन के मन में उनका घर बसाने का विचार आ गया, जिसे अब जल्द मूर्त रूप दिये जाने की कोशिश की जा रही है। चिडिय़ाघर के निदेशक बीजूलाल टीआर ने बताया कि एक पखवाड़े के भीतर दोनों को साथ में आम जनता हेतु प्रदर्शित किया जाएगा। साथ में यह कोशिश भी होगी कि वह जंगल की परिस्थितियों में ही 'वाइल्ड ब्रीडिंग' के लिये प्रेरित हों। साथ रहते हुए सहवास करें, व नैनीताल चिडिय़ाघर उनके  प्रजनन से शावक उत्पन्न कर 'बाघ बचाओ' मुहिम का हिस्सा बन गौरवांवित हो सके।

'उम्मीद' से है तिब्बती मादा भेडिय़ा !
नैनीताल। नैनीताल चिडिय़ाघर में पहली बार तिब्बती भेडिय़ों के बाड़ों में नन्ही किलकारी गूंजने की उम्मीद की जा रही है। चिडिय़ाघर के अधिकारियों के अनुसार इन दिनों एक मादा भेडिय़ा गुफा में घुस गई है, व शारीरिक रूप से लगता है कि गर्भवती है। चिडिय़ाघर के निदेशक बीजू लाल टीआर ने उम्मीद जताई कि पहली बार यहां तिब्बती भेडिया का स्वस्थ शिशु पैदा हो सकता है। ऐसा हुआ तो यह चिडिय़ाघर के लिये बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि यहां रखे भेडिय़े अधिक ऊंचाई के तिब्बती क्षेत्रों के हैं।

रोमियो—जूलियट: बेरोना से सरोवर नगरी में

थियेटर की नगरी में जारी है छोटे संसाधनों से बड़े नाटकों का प्रदर्शन
नवीन जोशी, नैनीताल। इटली के नगर बेरोना में प्रेम की किंवदंती बन चुके रोमियो और जूलियट का प्यार पला था, वही रोमियो और जूलियट इन दिनों दुनिया के महानतम नाटककार विलियम शैक्सपीयर के नाटक से निकलकर सरोवर नगरी के शैले हॉल सभागार में मौजूद हैं। यहां इन दो पात्रों की बेहद भावुक व दु:खांत काल्पनिक प्रेमगाथा का प्रदर्शन हो रहा है। 
कहते हैं कि शेक्सपीयर एक डार्क लेडी नाम की महिला के प्रेम से वंचित थे, इसी लिये उन्हें अतृप्त कवि और नाटककार भी कहा जाता है। शायद इसी लिये वह 159४ में रोमियो—जूलियट के अतृप्त प्यार पर अपनी साहित्यिक शुरुआत में ही इतना सुंदर नाटक लिख पाए, जो अपने काल्पनिक पात्रों को कहानी के जरिये दुनिया के अन्य जीवंत प्रेमियों लैला—मजनू व शीरी—फरियाद से कहीं अधिक प्रसिद्धि दिला गये। शेक्सपीयर ने रोमियो—जूलियट में प्रेम को जिस ढंग से उतारा है, उसमें प्यार का पहला इजहार जुबां से नहीं आंखों से होता है। जुबां का रिश्ता बुद्धि और तर्क के साथ जुडता है और प्यार में बुद्धि और तर्क के लिए कोई स्थान नहीं होता है। आंखों की भाषा मस्तिष्क, बुद्धि और तर्क से अलग होकर सीधे हृदय को छूती है, घायल करती है, और इतना घायल करती है कि दो हृदय विरह की आग में झुलसते रहते हैं। अंत में वर्जनाओं के कारण दोनों एक साथ मौत की माला गले में पहन लेते हैं। इस कशिश, भावनाओं के उद्वेग, भावों के विचारवान परिवर्तन को समझना बड़े कलाकारों के लिये भी आसान नहीं होता। आज से लगभग सात सौ वर्ष पूर्व लिखी गई यह कहानी शैले हॉल के रंगमंच पर उतारने का साहस करना भी कठिन होता है, किंतु नगर के 'मंच एक्सपरिमेंटल रेपेटरी' ने युवा निर्देशक अजय पवार के निर्देशन में यह साहस दिखाया है। जूलियट के रूप में गंगोत्री बिष्ट, कप्यूलेट अनिल घिल्डियाल के साथ ही बैन्वोलियो संजय कुमार, सैंपसन नीरज डालाकोटी, पैरिस रोहित वर्मा व टाइबौलट अनवर रजा आदि कलाकारों ने बेहद प्रभावित किया। हाँ, कई पात्र बीते कुछ समय से लगातार्र शैक्सपीयर के पात्रो को जीते हुए 'टाइप्ड' होते भी प्रतीत हो रहे हैं अन्य पात्रों मोहिनी रावत, धर्मवीर सिंह परमार व मो.जावेद हुसैन ने भी अच्छा अभिनय किया। निर्देशक अजय कुमार मुख्य चरित्र रोमियो के बजाय निर्देशन में अधिक प्रभावी दिखे। नगर में ऑडिटोरियम की कमी एक बार पुन: खली। प्रकाश व्यवस्था कई बार खासकर जूलियट के बेहोसी के दृश्यों में आने और उठकर जाने के दौरान कमजोर दिखी। बावजूद, अच्छी बात यह रही कि संसाधनों के बिना भी कभी थियेटर की नगरी कही जाने वाली सरोवरनगरी में युवा कलाकार व कला से जुड़े लोग नाटक को जिंदा किये हुए हैं, व पर्यटन नगरी में लगातार स्तरीय नाटक प्रदर्शित कर सिनेमाघरों की कमी को भी छुपाने में सफल हो रहे हैं।

शुक्रवार, 13 मई 2011

ओसामा के पतन के बाद भारत को चीन-पाक से खतरा बढ़ा : ले.ज. भंडारी


राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर संवेदनशील रहे सरकार
भारत को अमेरिका, चीन, पाक और रूस से जारी रखनी चाहिए वार्ता
नवीन जोशी, नैनीताल। परम विशिष्ट व अति विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डा. एमसी भंडारी ने आशंका जताई कि ओसामा की मौत के बाद भारत पर दोतरफा खतरा है। पाकिस्तान से आतंकियों की आमद के साथ चीन भी भारत की ओर बढ़ सकता है। डा. भंडारी ने कहा कि भारत पांच-छह वर्षो में दुनिया की आर्थिक सुपर पावर बन सकता है। इसलिए उसे इस अवधि में कूटनीति का परिचय देते हुए अमेरिका, चीन, पाकिस्तान व रूस सहित सभी देशों से बातचीत जारी रखनी चाहिए। 
कुमाऊं विवि के अकादमिक स्टाफ कालेज में कार्यक्रम में आए डा. भंडारी ने 'राष्ट्रीय सहारा' से कहा कि ओसामा बिन लादेन के बाद पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे 32 शिविरों से प्रशिक्षित आतंकी दो-तीन माह में भारत की तरफ कूच कर सकते हैं। कश्मीर में शांति पाकिस्तान की 'जेहाद फैक्टरी' में बैठे लोगों को रास नहीं आएगी। ओसामा ने भी कश्मीर में जेहाद की इच्छा जताई थी। उधर चूंकि पाकिस्तान बिखर रहा है, इसलिए तालिबानी- पाकिस्तानी भी यहां घुसपैठ कर सकते हैं। पाक पहले ही गिलगिट व स्काई क्षेत्रों में अनधिकृत कब्जा कर चुका है, दूसरी ओर चीन के 10 से 15 हजार सैनिक 'पीओके' में पहुंच चुके हैं, पाकिस्तान ने उन्हें सियाचिन के ऊपर का करीब 5,180 वर्ग किमी भू भाग दे दिया है, ऐसे में चीन तिब्बत के बाद भारत के अक्साई चिन व नादर्न एरिया तक हड़पने का मंसूबा पाले हुए है। उन्होंने कहा कि चीन ने यहां उत्तराखंड के चमोली जिले के बाड़ाहोती में 543 वर्ग किमी व पिथौरागढ़ के कालापानी में 52 वर्ग किमी क्षेत्र को अपने नक्शे में दिखाना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे में उत्तराखंड में अत्यधिक सतर्कता बरतने व सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चीन के घुसने की संभावना वाले 11 दर्रे हैं, जिनके पास तक चीन पहुंच गया है, और भारतीय क्षेत्र जनसंख्या विहीन होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में सीमाओं की सुरक्षा मुख्यमंत्री देखें और वह सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ें। साथ ही उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के बावजूद 10 फीसद की विकास दर वाला भारत अगले पांच-छह वर्षो में सुपर पावर बन सकता है, इसलिए उसे इस अवधि में सभी देशों से कूटनीतिक मित्रता करनी चाहिए और अपने यहां सीमाओं की सुरक्षा दीवार मजबूत करनी चाहिए, ताकि बिखरते पाकिस्तान के बाद जब अमेरिका, चीन मजबूत होते भारत की ओर आंख उठाएं, वह मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हो जाए। उन्होंने भारत में सेना का बजट जीडीपी का 2.1 फीसद (64 हजार लाख रुपये) को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।

गुरुवार, 12 मई 2011

'टीएमटी' के निर्माण में भारत व एरीज की भागेदारी तय


दुनिया की अतिमहत्वाकांक्षी दूरबीन होगी 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप'
नैनीताल (एसएनबी)। दुनिया की सबसे बड़ी 30 मीटर व्यास की आप्टिकल दूरबीन के निर्माण में दुनिया के पांच देशों के साथ भारत भी भागेदारी देगा। खास बात यह है कि नैनीताल का आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान यानी एरीज इसमें योगदान देगा। एरीज के वैज्ञानिकों के दिशा-निर्देशों पर भारतीय उद्योगों से इस अति महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए विभिन्न उपकरण बनाए जाएंगे। गत 18-19 अप्रैल को अमेरिका की वल्टेक आब्जरवेटरी की पसेदीना नगर में आयोजित संगोष्ठी में इस महायोजना की जिम्मेदारियां इसके भागीदारों, अमेरिका, जापान, कनाडा, चीन व भारत में बांटी गई। वहां से लौटे एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर ने बताया कि इस 1.3 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट में भारत करीब 800 करोड़ रुपये का योगदान देगा, जिसमें से 600 करोड़ रुपये के उपकरण अवयव भारत से भेजे जाएंगे। एरीज भारतीय उद्योगों में बनने वाले लैंस सहित अन्य यांत्रिक अवयवों की गुणवत्ता आदि की निगरानी करेगा। भारत में सर्वाधिक 50 फीसद कार्य भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के हिस्से आए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो वर्षो में पहले चरण के यह कार्य कर लिये जाऐंगे। उल्लेखनीय है कि यह दूरबीन प्रशांत महासागर स्थित हवाई द्वीप में होनोलूलू के करीब ज्वालामुखी से निर्मित 13,803 फीट (4,207 मीटर) ऊंचे पर्वत पर वर्ष 2018 में स्थापित होने जा रही है। इस दूरबीन में अल्ट्रावायलेट (0.3 से 0.4 मीटर तरंगदैध्र्य की पराबैगनी किरणों) से लेकर मिड इंफ्रारेड (2.5 मीटर से 10 माइक्रोन तरंगदैध्र्य तक की अवरक्त) किरणों (टीवी के रिमोट में प्रयुक्त की जाने वाली अदृश्य) युक्त किरणों का प्रयोग किया जाएगा। यह हमारे सौरमंडल व नजदीकी आकाशगंगाओं के साथ ही पड़ोसी आकाशगंगाओं में तारों व ग्रहों के विस्तृत अध्ययन में सक्षम होगी।
अगले साल तक स्थापित होगी 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन
नैनीताल। एरीज नैनीताल जनपद के देवस्थल में वर्ष 2012 के आखिर तक एशिया की सबसे बड़ी बताई जा रही 3.6 मीटर व्यास की नई तकनीकी युक्त 'पतले लैंस' (व्यास व मोटाई में 10 के अनुपात वाले) स्टेलर दूरबीन भी लगाने जा रहा है। एरीज के निदेशक प्रो. राम सागर ने बताया कि इस दूरबीन का लेंस रूस में बन रहा है, अगले तीन-चार माह में यह बेल्जियम चला जाऐगा, जहां दूरबीन के अन्य अवयवों का निर्माण भी तेजी से चल रहा है। बताया कि इस वर्ष के आखिर तक लेंस एवं सभी अवयवों के निर्माण का पहला चरण 'फैक्टरी टेस्ट' के साथ पूर्ण हो जाएगा।
एरीज और यूकोस्ट मिल कर करेंगे कार्य
नैनीताल। एरीज के निदेशक प्रो. राम सागर व उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद-यूकोस्ट के हाल में महानिदेशक बने डा. राजेंद्र डोभाल ने मिलकर कार्य करने का इरादा जताया। बुधवार को एरीज में पत्रकारों से वार्ता करते हुऐ डा. डोभाल ने कहा कि एरीज में मौजूद संसाधनों का उपयोग कर बच्चों एवं आम जनमानस को खगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी से रोचक तरीके से रूबरू कराया जाऐगा। बच्चों के साथ ही शोधार्थियों के लिऐ भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाऐंगे।


मंगलवार, 10 मई 2011

आदि कैलाश यात्रा के लिए भी मानसरोवर जैसा क्रेज


किराया बढ़ने के बावजूद पहले चार दलों के लिए सीटें फुल
30 मई को रवाना होगा पहला जत्था
नवीन जोशी, नैनीताल। शिव के धाम कैलाश मानसरोवर की यात्रा से इतर शिव के छोटे धाम कहे जाने वाले आदि कैलाश यात्रा के लिए भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त क्रेज दिखाई दे रहा है। यात्रा का किराया करीब पांच हजार रुपये प्रति यात्री बढ़ने के बावजूद श्रद्धालुओं के जोश में कोई कमी नहीं आई है। पहले चार दल पैक हो गये हैं, और अन्य 12 दलों के लिए भी 50 फीसद से अधिक बुकिंग हो चुकी हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर ही वर्ष 1986-87 से आदि कैलाश यात्रा शुरू की गई थी। रहस्य-रोमांच और भोले बाबा की भक्ति में डूबने के लिहाज से आदि कैलाश यात्रा मानसरोवर यात्रा के समान ही महत्व रखती है। कैलाश शिव का धाम है तो आदि कैलाश भी शिव का छोटा घर ही है। इसलिए इसे छोटा कैलाश यात्रा भी कहते हैं। यहां शिव के शब्द प्रतीक 'ऊंकार' को प्राकृत रूप में देखना अद्भुत अनुभव है। आदि कैलाश यात्रा के लिए मानसरोवर की तहत विदेश मंत्रालय से अनुमति नहीं लेनी पड़ती, वीजा की जरूरत नहीं पड़ती व चीन में होने वाली दिक्कतों का सामना भी नहीं करना पड़ता। साथ ही खर्च भी कम आता है। नाभीढांग तक मानसरोवर व आदि कैलाश दोनों यात्राओं का मार्ग एक ही रहता है। नाभीढांग से ऊं पर्वत के दर्शन करते हुए यात्री गुंजी, कुट्टी व जौलिंगकांग होते हुए आदि कैलाश पहुंचते हैं। इधर बीते पांच वर्षो से निगम आदि कैलाश यात्रा की भी ऑनलाइन बुकिंग करता है। इस यात्रा के लिए हर बैच में औसतन 40 यात्री शामिल किये जाते हैं, जिनका चयन निगम द्वारा ही किया जाता है। इस यात्रा में कुमाऊं के विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर, पाताल भुवनेश्वर व बैजनाथ जैसे आस्था केंद्रों के दर्शन भी हो पाते हैं। इस वर्ष यह यात्रा करीब चार हजार रुपये प्रति यात्री महंगी होने जा रही है। अब तक इस यात्रा का किराया 17,600 रुपये था, जो इस वर्ष से 21 हजार रुपये प्रति यात्री होगा, साथ ही 2.58 फीसद सुविधा शुल्क भी अलग से वहन करना होगा। निगम के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार ने बताया कि इसके बावजूद पहले चार बैच पैक हो गये हैं और अन्य 12 बैचों के लिए भी 50 फीसद से अधिक बुकिंग हो चुकी है। यात्रा 29 मई से शुरू होगी। पहला दल 29 को दिल्ली से चलकर 30 की सुबह काठगोदाम और दिन के भोजन तक जागेश्वर पहुंच जाएगा।
मानसरोवर ट्रेक पर दिक्कत जल्द दूर कर लेने का भरोसा
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि आदि कैलाश के ठीक बाद एक जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ हो रही है। इस रूट पर 1 दिन पूर्व कुटी में भारी बारिश के कारण निगम के कैंप को क्षति पहुंची थी, जबकि तीन दिन पूर्व आई बारिश ने गर्बाधार के पास ट्रेक को क्षतिग्रस्त कर दिया था। केएमवीएन के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार ने भरोसा जताया कि कुटी के कैंप को 2 मई और गर्बाधार के खतरनाक हो चुके ट्रेक को 25 मई तक दुरुस्त करने को कहा गया है। बताया कि सोमवार शाम तक दिल्ली से मानसरोवर यात्रियों को लाने वाली 'टू-बाई-टू' एसी बसों और काठगोदाम से आगे जाने वाली लग्जरी बसों की निविदा प्रक्रिया शाम तक पूरी की जा रही है। तैयारियों को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है।


रविवार, 8 मई 2011

'छोटी विलायत' को मिलेगा यूरोपियन लुक


21 करोड़ से निखरेगी नैनीताल की खूबसूरती, बनेंगे पार्क 

कोश्यारी होंगे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष


खंडूड़ी बनेंगे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विधानसभा चुनाव निशंक के नेतृत्व में ही
पिछले चुनाव में भी कोश्यारी ने अपने दम पर पार्टी को सत्ता दिलाई थी पर पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया 
मुख्यमंत्री निशंक और पूर्व सीएम कोश्यारी व खंडूड़ी को पार्टी ने आपसी तालमेल के लिए दिल्ली बुलाया
रोशन/एनएनबी नई दिल्ली। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर भाजपा में सांगठनिक फेरबदल किया जा रहा है। राज्यसभा सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया जा रहा है। बावजदू इसके विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में तो विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के लिए कोर कमेटी, चुनाव प्रचार अभियान समिति का गठन कर दिया गया है। इस लिहाज से चुनाव तैयारियों में उत्तराखंड पीछे है। भाजपा सूत्रों के अनुसार सीएम निशंक, पूर्व मुख्यमंत्रियों कोश्यारी व खंडूड़ी तीनों को दिल्ली बुलाया जाएगा और उनसे विचार-विमर्श किया जाएगा। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन तीनों नेताओं को एकजुट करने की है। तीनों की एकता बनाए रखने के लिए पार्टी ने तीनों को एक साथ बिठाने का फैसला किया है। बताया जाता है कि तीनों नेताओं को दिल्ली बुलाने के पीछे शीर्ष नेताओं का यह मकसद है कि समय रहते मनभेद व मतभेद भुलाकर एक दिशा में ताकत लगाई जाए। पार्टी भविष्य में उत्तराखंड में संगठन की कमान कोश्यारी को सौंपकर नई ऊर्जा का संचरण करना चाहती है। कोश्यारी की संगठन पर जबरदस्त पकड़ है। पिछले चुनाव में भी भाजपा को सत्ता में लाने में कोश्यारी का अहम रोल रहा है , लेकिन पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया था। खंडूड़ी के कुशल प्रशासकीय प्रबंधन का फायदा उठाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की डोर सौंपी जाएगी। संगठन में फेरबदल व खंडूड़ी को राष्ट्रीय राजनीति में लिए जाने के बाद भी पार्टी ने तय किया है कि राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री डा. निशंक के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।

ऑनलाइन होगी कुमाऊं की प्राचीनतम लाइब्रेरी


अधिकतर अभिलेख ऑनलाइन करने के लिए तैयार किए गए
1933 में हुई थी लाइब्रेरी की स्थापना
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल के प्राचीनतम पुस्तकालयों में गिने जाने वाले मुख्यालय के दुर्गा लाल साह नगर पालिका पुस्तकालय तक शीघ्र आपकी घर बैठे पहुंच होगी। करीब चार वर्ष के अनवरत कार्यों के बाद यह पुस्तकालय शीघ्र इंटरनेट पर उपलब्ध होने जा रहा है। इसके जीर्णोद्धार का 80 लाख रुपये का एक अन्य प्रस्ताव भी शासन से स्वीकृति की स्थिति में पहुंच गया है। 
वर्ष 1933 में नगर के मोहन लाल साह द्वारा पांच हजार रुपये के आर्थिक सहयोग से अपने पिता दुर्गा लाल साह के नाम पर 'मिड माल' में स्थापित नगरपालिका संचालित यह पुस्तकालय हिंदू धर्म ग्रंथों, वेद-पुराणों, नैनीताल-कुमाऊं के 1940 के दशक से इतिहास व गजेटियर सहित सैकड़ों बहु उपयोगी प्राचीन एवं दुर्लभ पुस्तकों, पांडुलिपियों, जर्नल व मैगजीन आदि का अनूठा संग्रहालय है। वर्ष 2007 से भारत सरकार के सूचना तकनीकी मंत्रालय की डिजिटल लाइब्रेरी मेगा सेंटर योजना के तहत सेंटर फार डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटरिंग (सीडीएसी) द्वारा यहां उपलब्ध कॉपीराइट की बाधा रहित ज्ञान कोश को 'स्कैन' कर 'डिजिटलाइज' करने का कार्य किया जा रहा है, जो अब करीब 80 फीसद तक पूर्ण बताया जा रहा है। इसे 'डिजिटल लाइब्रेरी मेगा सेंटर' में लॉग ऑन करके ऑन लाइन देखा जा सकेगा। इधर नगर पालिका ने इसके जीर्णोद्धार का 80 लाख रुपये का प्रस्ताव राज्य योजना के तहत शासन को भेजा था, बताया जा रहा है कि इसमें से करीब 50 लाख का प्रस्ताव शासन में स्वीकृत होने की स्थिति में है। पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी ने बताया कि योजना के तहत पुस्तकालय में साइबर कैफे भी स्थापित किया जाएगा, ताकि लोग वहां बैठकर भी यहां मौजूद पुस्तकों को डिजिटल स्वरूप में पढ़कर सुविधानुसार ज्ञानवर्धन कर सकेंगे।

शुक्रवार, 6 मई 2011

कुमाऊं विवि में सैकड़ों 'मुन्नाभाई' दे रहे परीक्षा

150 परीक्षार्थियों को भेजा गया नोटिस
नवीन जोशी नैनीताल। कुमाऊं विविद्यालय के अधीन मंडल के महाविद्यालयों व परिसरों में सैकड़ों 'मुन्नाभाई' परीक्षा दे रहे हैं। करीब ढाई सौ परीक्षार्थियों के इंटरमीडिएट के अंकपत्र और प्रमाणपत्र फर्जी होने की पुष्टि हो गई है। इनमें से 150 को नोटिस भेजे गए हैं। ऐसे कई परीक्षार्थी परीक्षा देने से रोक दिये गए हैं, जबकि अनेक अब भी परीक्षा दे रहे हैं। 
कुमाऊं विवि इन दिनों चल रही वाषिर्क परीक्षाओं के कारण हर ओर से हमले झेल रहा है, लेकिन समस्या की असल वजह क्या है, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। 'राष्ट्रीय सहारा'  ने जब वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि विवि के परीक्षा विभाग और बड़ी संख्या में कर्मियों की ऊर्जा पहले वर्ष की परीक्षा दे रहे 'मुन्नाभाइयों' की पहचान करने में नष्ट हो रही है। डेढ़ सौ से अधिक मुन्ना भाई बीए प्रथम वर्ष में बताए गए हैं। बीकाम प्रथम वर्ष में तीन दर्जन से अधिक ऐसे परीक्षार्थी पकड़ में आए हैं, जिनके इंटरमीडिएट के अंकपत्र और प्रमाणपत्र फर्जी हैं। अधिकांश फर्जी प्रमाणपत्र दिल्ली हायर सेकेंडरी बोर्ड एवं वृंदावन ओपन बोर्ड से निर्गत हैं। कुमाऊं विवि के परीक्षा नियंत्रक डा. जीएल साह ने स्वीकार किया कि करीब ढाई सौ परीक्षार्थियों के इंटर के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इनमें से करीब 150 को नोटिस भेजा जा चुका है। 
अग्रसारण शुल्क के कारण भरवा दिए अधिक फार्म
पंतनगर निवासी मीरा कुमारी नाम की एक छात्रा का शिक्षाशास्त्र विषय से व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भरा। इसे रुद्रपुर महाविद्यालय में जमा कराया गया था। इधर 11 मई से उसकी परीक्षा शुरू होनी हैं, लेकिन प्रवेशपत्र नहीं मिला। रुद्रपुर महाविद्यालय ने अपने यहां शिक्षाशास्त्र विषय न होने के कारण उसकी परीक्षा कराने से असमर्थता जाहिर की, और हल्द्वानी भिजवा दिया। इसके बाद वह हल्द्वानी-रुद्रपुर के चक्कर काटती हुई विवि प्रशासनिक भवन पहुंची और आखिर यहां भी प्रवेशपत्र न मिलने से शुल्क वापस लेकर परीक्षा छोड़ने को मजबूर हुई। जानकार बता रहे हैं कि महाविद्यालयों को प्रति स्नातक फार्म 40 व प्रति स्नातकोत्तर छात्र 60 रुपये परीक्षा फार्मो को जांच कर भेजने के लिए अग्रसारण शुल्क के रूप में मिलते हैं। अकेले रुद्रपुर महाविद्यालय को अग्रसारण शुल्क से दो लाख रुपये से अधिक प्राप्त हो रहे हैं। अधिक धन की चाह में महाविद्यालयों ने क्षमता से अधिक व गलत फार्म ले लिए हैं और उन्हें जांच किये बिना कुविवि को भेज दिया।

सोमवार, 2 मई 2011

दुनिया की धरोहर है हिमालय : प्राइस

विकास के लिए संसाधनों का करना होगा सुनियोजित उपयोग
नवीन जोशी नैनीताल। वर्ष 2007 में अमेरिकी उप राष्ट्रपति अल गोर और भारतीय वैज्ञानिक डा. आरके पचौरी के साथ संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिक प्रो. मार्टिन प्राइस ने कहा कि हिमालय भारत और दक्षिण एशिया ही नहीं वरन पूरी दुनिया का धरोहर है। यहां संसाधनों के अपार भंडार हैं मगर इनका लाभ दूसरे लोग उठा रहे हैं। यहां रह रहे लोग इसके लाभों से अछूते हैं। लिहाजा हिमालयी क्षेत्रों के संसाधनों के मूल्यांकन एवं उनके सुनियोजित उपयोग करने की आवश्यकता है, ताकि यहां से हो रहे प्रतिभा पलायन को रोका जा सके और लोग यहां अपनी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए आएं। नैनीताल क्लब में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान 'राष्ट्रीय सहारा' से प्रो. प्राइस ने हिमालयी क्षेत्र के लोगों को अपने संसाधन और सेवाओं के समुचित मूल्यांकन करने की सीख दी। उनका कहना था कि हिमालयी क्षेत्रों में दुनिया की अनूठी व अचूक औषधियां हैं। केवल इनसे यह क्षेत्र दुनिया का सबसे धनी क्षेत्र बन सकता है। उन्होंने यहां पनबिजली की सर्वाधिक संभावनाएं बताते हुए छोटे बांध ही बनाए जाने की राय दी। उन्होंने कहा हिमालय में छोटे बांध उपयोगी होंगे। उन्होंने कहा कि हिमालय पूरी दुनिया को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला पर्वत है। इससे केवल दक्षिण एशिया में ही 1.3 बिलियन लोग प्रभावित होते हैं। प्रतिभा की दिशा पहाड़ की ओर करने के लिए उन्होंने मंत्र सुझाया कि बाहर से आने वाले लोगों को पहाड़ों तक संचार की मोबाइल, सेटेलाइट फोन व यातायात व आवासीय सुविधा देनी होगी। ऐसा होने पर यहां शोध के लिए ही बड़ी संख्या में देशी-विदेशी लोग पहुंचेंगे।