सोमवार, 31 जनवरी 2011

कार्बेट पर भारी पड़ रही माही की व्यस्तता



प्लेटिनम जुबली कार्यक्रमों में शिरकत करने की उम्मीदें धूमिल, विश्व कप के डेढ़ महीने के शेड्यूल से आई बाधा 15 मार्च को होगा काब्रेट का प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन
अर्जुन बिष्ट। काब्रेट टाइगर रिजर्व की प्लेटिनम जुबली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की उत्तराखंड सरकार की मुहिम को जोर का झटका लगा है। टाइगर रिजर्व के आनरेरी वाइल्ड लाइफ वार्डन महेन्द्र सिंह धोनी की ओर से अभी तक इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए कोई जवाब नहीं आया। विकप के डेढ़ महीने के टाइट शेडय़ूल के चलते माही के उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत करने की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। अप्रैल में विश्व कप समाप्त होने के बाद आईपीएल व अन्य कार्यक्रमों का शेडय़ूल इतना टाइट है काब्रेट के इस यादगार सेलिब्रेशन में आनरेरी वार्डन के शामिल होने में ही संशय बना हुआ है।
काब्रेट के प्लेटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन।5 मार्च को कराने की योजना है। यह समारोह वषर्भर चलेगा। समारोह को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भुनाने के लिए सरकार व वन विभाग की ओर से कई दावे किए थे। धोनी को ब्रांड अम्बेसडर व आनरेरी वाइल्ड लाइफ वार्डन बनाने के बाद यह भी प्रचारित किया गया कि उनको यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने से काब्रेट के इस समारोह को यादगार बनाने में मदद मिलेगी। इसकी घोषणा करने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने भी यह बात कही थी। तब शायद अधिकारियों को भी धोनी की ‘रियल लाइफ’ यानि क्रिकेट की दुनिया का अंदाज नहीं था। भारतीय टीम का कप्तान होने के कारण धोनी के कंधों पर इस समय देश को क्रिकेट का सिरमौर बनाने की बड़ी जिम्मेदारी है। क्रिकेट के विशेषज्ञ भी भारत को विकप का प्रबल दावेदार मान रहे हैं, ऐसे में अप्रैल से पहले माही की काब्रेट में मौजूदगी के आसार धूमिल हैं। विकप के समापन के बाद भी घरेलू क्रिकेट का शेडय़ूल इतना टाइट है कि माही यहां आ सकेंगे इसमें संशय है। विकप समापन के मात्र तीन दिन बाद आईपीएल टूर्नामेंट शुरू हो जाएंगे जो मई तक चलने हैं। जून से भारतीय टीम का वेस्टइंडीज दौरा शुरू हो जाएगा जो जुलाई तक चलेगा। इस दौरे के तत्काल बाद टीम इंग्लैंड चली जाएगी जहां 16 सितंबर को टूर्नामेंट का आखिरी मैच होगा। उसके आगे का शेडय़ूल अभी नहीं बना है, लेकिन तय है कि उसके बाद विदेशी टीमें भारतीय धरती पर खेलेंगी। ऐसे में भारतीय कप्तान काब्रेट के सेलिब्रेशन में आएं भी तो कैसे। गत 29 दिसंबर को काब्रेट के 75 साला सफर को विस्तरीय बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी है। इसमें 15 मार्च को दुनिया के टाइगर एक्सपर्ट को बुलाकर एक बड़ा सेमिनार के साथ ही कार्यक्रमों का उद्घाटन करने की बात हुई फिलहाल इसका प्रस्ताव शासन में है। इसके अलावा छह बड़े सेमिनार व विस्तरीय फोटो प्रदर्शनी लगाने की योजना भी है। सूत्रों का कहना है कि इन कार्यक्रमों को फाइनल टच इसलिए नहीं दिया गया कि अभी भी धोनी के आने की उम्मीद की जा रही है। प्लेटिनम जुबली कार्यक्रमों का समन्वय कर रहे डीएफओ दिवाकर सिन्हा का कहना है कि धोनी को भेजे पत्र का जबाव नहीं आया। उनके पीआरओ अरुण पांडे से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने पाजिटिव रिस्पांस दिया है, लेकिन वे भी यह नहीं बता पाए कि आखिर वे यहां कब आ पाएंगे।


भवाली में बनेगा मॉडल आयुष ग्राम


सेनिटोरियम की जमीन बेचने का सवाल ही नहीं, सरकार की मंशा साफ : भट्ट कहा, कांग्रेस को बोलने का नैतिक हक नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश के स्वास्थ्य सलाहकार समिति अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता अजय भट्ट ने कहा कि भवाली में केरल की तर्ज पर मॉडल आयुष ग्राम बनाया जा रहा है। बाद में इसी तरह देहरादून, टिहरी व मसूरी में भी आयुष ग्राम बनाने की योजना है। साफ किया कि इसके लिए सेनिटोरियम की इंच भर जमीन भी बेची नहीं जा रही, वरन आयुष ग्राम का निर्माण पीपीपी व बीओटी पद्धति पर देश की नामी इमामी कंपनी से जमीन को 35 वर्ष की लीज पर देकर कराया जा रहा है। कंपनी सरकार को इस एवज में ढाई करोड़ व हर वर्ष 6.22 फीसद लाभांश देगी व लीज के आखिर में सब कुछ सरकार को सौंपकर चली जाएगी। श्री भट्ट सोमवार को नैनीताल क्लब में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने साफ किया कि आयुष ग्राम सेनिटोरियम की 10 एकड़ से भी कम अनुपयुक्त पड़ी भूमि पर स्थापित किया जा रहा है। इसमें से 0.047 हेक्टेयर भूमि वन विभाग से ली जा रही है। मालूम हो कि भवाली में 1912 में 220 एकड़ भूमि पर टीवी के उपचारार्थ 320 बेड का सेनिटोरियम स्थापित हुआ था। भट्ट ने बताया कि भवाली में आयुष अर्थात आयुव्रेद, योग, यूनानी, सिद्धा व होम्योपैथी विधाओं से संपूर्ण उपचार किया जाएगा। स्थानीय ग्रामीणों को जड़ी-बूटियां एवं गो-दुग्ध, गो-घृत व गोमूत्र लेकर लाभ पहुंचाया जाएगा। अनुबंध के अनुसार इमामी यहां आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों के लिए थ्री-स्टार होटल का निर्माण भी करेगी। यह संपूर्ण प्रक्रिया खुली बहस के बाद और खुली प्रक्रिया के तहत की गई है। दर्जनों उद्यान उनमें पैदा होने वाली घास से भी कम कीमत पर देने वाली कांग्रेस पार्टी को इस मुद्दे पर बोलने का कोई नैतिक हक नहीं है। उन्होंने शशि थरूर, सुरेश कलमाड़ी व ए राजा आदि केंद्रीय मंत्रियों और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद बदले जाने के मुद्दे पर कहा कि भाजपा द्वारा मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाए जाने के फलस्वरूप पूरी तरह फंसने के बाद इन्हें हटाया गया। यह पर्याप्त नहीं है, वरन उन्हें सींखचों के पीछे होना चाहिए।

रविवार, 30 जनवरी 2011

करमापा लामा के पक्ष में आया तिब्बती समुदाय


स्थानीय तिब्बती शरणार्थियों को है पूरा यकीन, कहा-जांच में सामने आ जाएगी हकीकत
नैनीताल (एसएनबी)। बौद्ध धर्म गुरु 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोज्रे को चीन का एजेंट कहे जाने संबंधी मीडिया में आ रही खबरों से स्थानीय तिब्बती शरणार्थी आश्चर्य चकित हैं। उनका कहना है कि करमापा चीन के एजेंट कदापि नहीं हो सकते हैं। उनके पास से बरामद धन भेंट से प्राप्त है। हिसाब-किताब में जरूर गलती हो सकती है। मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। करमापा संबंधी खबरों पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर स्थानीय तिब्बती शरणार्थी फाउंडेशन के अध्यक्ष पेमा गेकिल शिथर का यही कहना है। उनका कहना था कि करमापा उग्येन त्रिनले दोज्रे को सबसे बड़े धर्म गुरु दलाई लामा से मान्यता प्राप्त है। वह दलाई लामा व चीन द्वारा कैद किए गए पंचेन लामा के बाद तीसरे सबसे बड़े लामा हैं। वह स्वयं तिब्बत से बड़ी तिब्बती व चीनी धनराशि लेकर आए थे। उनके तिब्बत सहित देश-विदेश में मौजूद भक्त अपने देशों की बड़ी मात्रा में मुद्रा उन्हें भेंट करते हैं। गत दिनों ही बिहार में बड़ा धार्मिक आयोजन हुआ था, जिसमें उन्हें बहुत बड़ी मात्रा में भेंट प्राप्त हुई थी। लामा साधु होने के कारण उन्हें धन से मोह नहीं है। लिहाजा हिसाब-किताब में जरूर गलतियां हो सकती हैं। तिब्बती युवा कांग्रेस के पूर्व सचिव येशी थुप्तेन का कहना है कि दोज्रे के बारे में चाहे जैसी खबरें आएं, उन पर संदेह करने का प्रश्न ही नहीं उठता। उनके बारे में देश-दुनिया के किसी भी बौद्ध धर्मावलंबी की राय इससे जुदा नहीं हो सकती है। अलबत्ता उन्होंने आशंका जताई कि उन्हें चीन का एजेंट कहा जाना चीन की चाल भी हो सकती है।
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सोमवार, 24 जनवरी 2011

ई-दुनिया में कुमाऊंनी और गढ़वाली


नवीन जोशी, नैनीताल। प्रदेश में भले अपनी दुदबोलियों कुमाऊंनी, गढ़वाली व जौनसारी आदि के स्वर धीमे हों, पर इंटरनेट की दुनिया में इन भाषाओं को लेकर चर्चाएं खासी गर्म हैं। इंटरनेट पर बकायदा दर्जनों वेबसाइटों के माध्यम से इन भाषाओं के संवर्धन के लिए कार्य हो रहा है। वहीं शीघ्र शुरू होने जा रही भारत की जनगणना 2011 में प्रदेशवासियों से भाषा के खाने में अपनी इन भाषाओं का उल्लेख किये जाने की अपील की जा रही है, ताकि यह देश के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो सकें। कुमाउनीं व गढ़वाली को प्रदेश की आधिकारिक भाषा घोषित किए जाने की मांग भी इंटरनेट पर मुखर हो रही है। 
प्रदेश में इंटरनेट की दुनिया अभी अपने शैशव काल में ही है, लेकिन जो पढ़े-लिखे लोग यहां तक पहुंचे हैं, उनमें अपनी जड़ों से जुड़ने की खासी छटपटाहट नजर आ रही है। बावजूद एक अनाधिकृत सव्रेक्षण के नतीजों के आधार पर यह रोचक तथ्य सामने आया है कि इंटरनेट पर आज फेसबुक, ट्विटर व आकरुट जैसी सोशियल नेटवर्किग साइटों पर देशी-विदेशी, प्रवासियों सहित प्रदेश के 25 लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं और तीस लाख से अधिक लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं। इधर ई-दुनिया में गूगल के ट्रांसलेटर व यूनीकोड के आने के बाद पहाड़वासी कुमाऊंनी-गढ़वाली भाषा में अपने विचारों के आदान-प्रदान में भी पीछे नहीं हैं। नेट पर बकायदा ‘पहाड़ी क्लास’ भी चल रही है और पहाड़ी मस्ट बि आफिसियल लैंग्वेज इन इंडिया, डिक्लेयर कुमाऊंनी-गढ़वाली, जौनसारी, द आफिसियल लैंग्वेज ऑफ उत्तराखंड नाम से फेसबुक व वेबसाइट्स प्रदेश की मातृ-भाषाओं को देश की भाषाओं की आठवीं अनुसूची और प्रदेश की आधिकारिक भाषा बनाने की मुहिम चला रही है। लोगों से अपील की जा रही है कि शीघ्र होने जा रही भारत की जनगणना 2011 में प्रदेशवासी अपनी मातृ-भाषाओं का उल्लेख करें। 
मेरा पहाड़ फोरम, पहाड़ी फोरम, ई- उत्तरांचल, धाद, म्यर पहाड़, कौथिक 2011, उत्तराखंड विचार, रंगीलो छबीलो मेरु उत्तराखंड, उत्तराखंडी फ्रेंड्स, मन कही, उत्तराखंड समाचार, हिलवाणी आदि दर्जनों साइटों पर भी ऐसी अपील की जा रही है। जनगणना में इन भाषाओं के बोलने वालों की बढ़ी संख्या दिखाई देने पर जनतांत्रिक आधार पर केंद्र सरकार इन भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को बाध्य हो जाएगी। जिलाधिकारी शैलेश बगौली ने कहा कि पांच फरवरी से शुरू हो रही जनगणना में जनगणना कर्मियों को खास हिदायत दी जाएगी कि वह लोगों से उनकी भाषा अवश्य पूछें।
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रविवार, 23 जनवरी 2011

नैनीताल में स्थापित होगी एडीबी यूनिट

77.53 करोड़ रुपये की पेयजल कायाकल्प महायोजना पर छाया कुहासा छंटने की उम्मीद
नैनीताल (एसएनबी)। मुख्यालय में वर्ष 2040 की आवश्यकता के मद्देनजर दीर्घकालीन महत्व की 77.53 करोड़ रुपये की पेयजल कायाकल्प महायोजना पर छाये बादलों के छंटने की उम्मीद की जा सकती है। 22 दिसंबर को राष्ट्रीय सहारा ने इस बाबत ‘77.53 करोड़ की पेयजल कायाकल्प महायोजना गुम !’ शीषर्क से प्रमुखता से प्रकाशित हुई खबर पर संज्ञान लेते हुए नगर में जल निगम के अभियंताओं को शामिल करते हुए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की एक यूनिट की स्थापना के निर्देश दिए हैं। यूनिट के लिए अभियंताओं के नाम भी तय कर दिए गए हैं। 
मालूम हो कि वर्ष 2002 में जिला व मंडल मुख्यालय में बढ़ते पर्यटन के मद्देनजर वर्ष 2040 की जरूरत के अनुसार नगर की पेयजल व्यवस्था के कायाकल्प के लिए एडीबी ने 77.53 करोड़ रुपये की महायोजना बनाई थी। आठ वर्ष बीतने के बाद योजना धरातल पर आगे नहीं बढ़ी। कारण, नगर में योजना के न कारिंदे हैं न अधिकारी। इधर शासन ने जल निगम के एक अधिशासी अभियंता एवं तीन सहायक अभियंताओं को नई एडीबी यूनिट में नामांकित करते हुए नई यूनिट को स्वीकृति दे दी है। विस्त सूत्रों के अनुसार नई यूनिट में पेयजल निगम के एनएस बिष्ट अधिशासी अभियंता एवं पीसी जोशी, बीएस दोषाद व यांत्रिक शाखा के प्रणय राय सहायक अभियंता होंगे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002 में नगर की पेयजल महायोजना का खाका खींचा गया था। माना गया था कि 2040 में नगर की संभावित 2.01 लाख आबादी के लिए 30.94 एमएलडी (मीट्रिक लीटर प्रति दिन) पानी की जरूरत होगी। वर्ष 2004 में एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी ने इसके लिए 77.53 करोड़ की महायोजना तैयार की थी। इस योजना के तहत पहला चरण 2008 से 2012 तक तथा दूसरा वर्ष 2009 से 2013 तक संपन्न होना था। पहले चरण में 13.19 करोड़ रुपये की लागत से पुराने सभी पांच पंपिंग प्लांट की जगह नए प्लांट एवं दो-दो एमएलडी के चार नलकूप स्थापित होने थे। इसके साथ ही 4.09 करोड़ से ऑल सेंट क्षेत्र में पंप हाउस, राइजिंग मेन, जलाशय तथा वितरण लाइनों, 16.85 करोड़ से नगर के विभिन्न क्षेत्रों में 17 राइजिंग मेन यानी पंपों से जलाशयों को जाने वाली लाइनों तथा 5.41 करोड़ रुपये से विभिन्न क्षेत्रों में 11 जलाशयों का निर्माण किया जाना था। 2009 से वितरण लाइनों को जोड़ने व बिछाने, ‘स्काडा’ के तहत जल वितरण पण्राली का ‘ऑटोमेशन’, जल वितरण की मीटरिंग पण्राली एवं जल संसोधन का ‘साफ्टनिंग प्लांट’ स्थापित किया जाना था।
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प्रभारी ‘हाथों’ से भी पीगें भर रहा कुमाऊं विवि

कुलसचिव, उप कुलसचिव, सहायक कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक जैसे सभी मह्त्वपूर पद लम्बे समय से रिक्त 
नवीन जोशी, नैनीताल। यूपी के दौर में पीसीएस अधिकारियों से गुलजार रहने वाला कुमाऊं विविद्यालय ‘अपने’ राज में बिना ‘हाथों’ के चल रहा है। विवि में सहायक कुलसचिव से लेकर कुलसचिव एवं परीक्षा नियंत्रक से लेकर संपत्ति अधिकारी जैसे जिम्मेदार पदों पर प्रभारी व्यवस्था चल रही है। बावजूद इसके विवि नित नई बुलंदी की ओर अग्रसर है। 
यूपी के दौर में कुमाऊं विवि में वर्ष 1996 तक कुलसचिव पद के साथ ही उप कुलसचिव पद पर भी पीसीएस अधिकारी कार्यरत रहे। इधर गढ़वाल विवि के केंद्रीय दर्जा हासिल करने के बाद जहां कुमाऊं विवि राज्य का परंपरागत शिक्षा देने वाला एकमात्र विवि रह गया है, बावजूद सरकार एक विवि में भी व्यवस्था ठीक नहीं कर पा रही है। प्रदेश में शैक्षिक असंतुलन के आरोपों के बावजूद सरकार कुमाऊं मंडल में सवा लाख के करीब विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा देने वाले एकमात्र विवि के प्रति कितनी गंभीर है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विवि में कमोबेश राज्य बनने के बाद से ही कुलसचिव का एक, उप कुलसचिव व सहायक कुलसचिव के सभी स्वीकृत पद रिक्त हैं। वर्ष 2012 तक के लिए यूजीसी से स्वीकृत उप कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक के एक-एक पद पर भी सरकार नियुक्ति नहीं दे रही हैं। सहायक कुलसचिव के तीन पदों पर कार्यालय अधीक्षकों को 42-42 दिन के लिए प्रभारी बनाकर बमुश्किल काम चलाया जा रहा है। तीनों उप कुलसचिव, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, संपत्ति अधिकारी के साथ ही 21 बाबुओं और 20 चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के पद भी रिक्त चल रहे हैं। उधर विवि में काम का आलम यह है कि करीब 80 कर्मचारियों को तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कायरे पर संविदा में लेकर काम चलाना पड़ रहा है। कुमाऊं विवि ने देश के चुनिंदा विवि की तर्ज पर परीक्षा फार्म भरने की ऑन लाइन व्यवस्था शुरू कर दी है। कई निदेशालय स्थापित किए हैं। परंपरागत पाठय़क्रमों में सेमेस्टर पण्राली शुरू की है। राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का हिस्सा बन गया है। सूचना प्रौद्योगिकी में देश के सर्वश्रेष्ठ 20 विवि में शामिल हुआ है।

एडुसेट से जुड़ने की कोशिश
नैनीताल। विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं देने को प्रयासरत कुमाऊं विवि ने एडुसेट से जुड़ने की जुगत लगानी शुरू कर दी है। गत 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटित उपग्रह आधारित इस व्यवस्था से राज्य के 53 महाविद्यालय जोड़े गए हैं। विवि ने आज प्रदेश के मुख्य सचिव एवं इस योजना के भागीदार उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डा. एमएम किमोथी को प्रस्ताव भेजा है। जिसमें कहा गया है कि प्रदेश के एकमात्र परंपरागत विवि को उच्च शिक्षा में नवीनता लाने के लिए एडुसेट से जोड़ा जाना चाहिए।
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शनिवार, 22 जनवरी 2011

जलवायु परिवर्तन की कहानी बयान करेंगी हिमालयी झीलें


डॉ.कोटलिया के नेतृत्व में उत्तराखंड की झीलों के अध्ययन में जुटे भूगर्भ वैज्ञानिक
झीलों के अध्ययन से भविष्य की जलवायु के बारे में लगाया जा सकेगा अनुमान
देहरादून (एसएनबी)। हिमालयी झीलें हिमालय में जलवायु परिवर्तन की कहानी कहेंगी। वह बताएंगी कि हिमालय खासकर उत्तराखंड में कब जलवायु परिवर्तन की मार झेली और उसका हिमालय पर क्या असर पड़ा। उनके पिछले 10 लाख सालों के अध्ययन के जरिए भविष्य की जलवायु के बारे में भी अनुमान लगाया जा सकेगा । भूगर्भ वैज्ञानिकों का एक दल आजकल उत्तराखंड की झीलों का भूगर्भ वैज्ञानिक अध्ययन कर रहा है। 
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की पैलियो क्लाइमेट चेंजेज इन टेथिस हिमालया परियोजना के तहत अध्ययन झीलों के अध्ययन में भूगर्भ वैज्ञानिकों के दल का नेतृत्व कर रहे डॉ. बीएस कोटलिया का कहना है कि उत्तराखंड की झीलों का भूगर्भ वैज्ञानिक अध्ययन कर यह पता लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड में कब कैसी जलवायु थी। वैसे डॉ. कोटलिया उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की परियोजना के तहत होलोसीन क्लाइमेट चेंजेज इन उत्तराखंड के तहत उत्तराखंड की गुफाओं का अध्ययन कर चुके हैं। हिमालय की झीलों ने 50 हजार, 35 हजार, 21 हजार और 3500 वर्ष पहले हिमालय में चार बार हुई अलग-अलग टैक्टोनिक गतिविधियों के कारण जन्म लिया है। इन भूगर्भीय घटनाओं से लद्दाख तक का क्षेत्र प्रभावित हुआ था और इसे झील निर्माण परिघटना के नाम से जाना जाता है। उनका कहना है कि हालांकि अभी झीलों के तल में जमी मिट्टी की परतों से मिली जानकारी प्राचीन गुफाओं से मिली जानकारी जितनी सटीक नहीं है लेकिन हिमालय की झीले पिछली सदियों में हिमालय में हुए जलवायु पर्वितनों के बारे में काफी जानकारी दे सकती हैं। झीलों में जलवायु परिवर्तन या अन्य वजहों से आस-पास की पहाड़ियों से बहकर आई मिट्टी जमा हो जाती है। इस मिट्टी की परतों के अध्ययन से उस समय की जलवायु के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। मिट्टी में उस वक्त हवा में मौजूद परागकण आदि भी बारिश के साथ झील में समा जाते हैं और मिट्टी के साथ बैठ जाते हैं। यही नहीं उस वक्त की वनस्पतियों के अंश, जानवरों के जीवाश्म भी मिट्टी की परतों में दब जाते हैं, यहां तक कि झील के फट जाने पर भी परागकण झील के तल में बने रहते हैं। उनका कहना है कि हर 1000 वर्ष में झील में 30 सेंटीमीटर मोटी मिट्टी की परत जम जाती है जो उस वक्त की वनस्पति के बारे में संकेत देती है और यह पता चलता है कि उस वक्त उस क्षेत्र में कौन-कौन सी वनस्पतियां उग रहीं थीं। इन तथ्यों की मदद से तब की जलवायु के बारे में पता लगाया जा सकता है और उसमें हुए बदलाव को भी जाना जा सकता है। उनका कहना है कि वह परियोजना के तहत भीमताल, नौकुचियाताल, चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी के नचिकेता ताल का अध्ययन कर चुके हैं।
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शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

नैनीताल जू में फिर दिखेगी हिम तेंदुआ ‘रानी’


देहरादून। करीब एक साल पहले मरी मादा हिम तेंदुआ रानी जल्द ही फिर नैनीताल चिड़ियाघर में दिखाई देगी। प्रदेश के वन विभाग ने पहली बार किसी मृत वन्यजीव की ट्राफी बनवाई है। अब तक वन विभाग मृत जानवरों के शव और खाल को नष्ट कर देता था लेकिन पहली बार किसी वन्य जीव वह भी दुर्लभ हिम तेंदुए की ट्ऱॉफी बनवाई गई है। नैनीताल के चिड़ियाघर की मादा हिम तेंदुआ रानी की पिछले साल अप्रैल को मौत हो गई थी जिसके बाद वन विभाग ने बांबे वेटनरी कॉलेज के जाने माने टैक्सीडर्मिस्ट डा. संतोष गायकवाड़ से उसकी ट्रॉफी बनवाने का फैसला लिया और उसके शव को नैनीताल से मुंबई ले जाया गया था। डा. गायकवाड़ ने अब रानी की जीवंत ट्राफी बना ली है। इस माह के अंत तक रानी दोबारा नैनीताल चिड़ियाघर में नमूदार होगी। 
वन विभाग की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की देखरेख कर रहे तराई केंद्रीय वनप्रभाग हल्द्वानी के डीएफओ डा. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि नैनीताल चिड़ियाघर में आने वालों का मादा हिम तेंदुए रानी से भावनात्मक लगाव रहा है इसीलिए उसकी मौत के बाद उसकी ट्राफी बनवाने का फैसला लिया गया। उनका कहना है कि विभाग ट्राफी को ठीक उसी जगह रखने की सोच रहा है, जहां पर रानी तब रहती थी जब वह जिंदा थी। डा. धकाते आजकल महाराष्ट्र के संजय गांधी नेशनल पार्क के वाइल्ड लाइफ टैक्सीडर्मी सेंटर के दौरे पर हैं। उनका कहना है कि रानी की ट्रॉफी ठीक उसी की जैसी दिखती है। चार फीट ऊंची और छह फीट लंबी इस ट्राफी का वजन करीब 80 किलोग्राम है। डा. गायकवाड़ ने रानी की ट्रॉफी इस तरह तैयार की है, जैसे वह चट्टान पर खड़ी हो और उसके आगे वाले पैर के पंजे ऊंची चट्टान पर टिके हों। इस ट्राफी की खास बात यह है कि उसके तेज पंजों को हूबहू रखा गया है। धकाते के मुताबिक ट्रॉफी को पहले विमान से दिल्ली और वहां से उसे नैनीताल के गोविंद बल्लभ पंत हाई एल्टीटय़ूड चिड़ियाघर लाया जाएगा। डा. संतोष गायकवाड़ बांबे वेटनरी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वह अब तक शेर और हाथी समेत विभिन्न जानवरों की 50 ट्रॉफी बना चुके हैं। हिम तेंदुआ रानी की ट्रॉफी बनाना कोई आसान काम नहीं था। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उसे बिल्कुल असली दिखना था। समस्या यह भी थी कि लंबे समय तक संरक्षण के बावजूद हिम तेंदुए के शरीर से बहुत से बाल झड़ चुके थे, त्वचा भी सिकुड़ने लगी थी। इसलिए उसकी खाल को बहुत सी रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजारना पड़ा ताकि जीवंत लगे। यह भी उपाय किया गया कि भविष्य में उसके बाल और न झड़ें। डा. गायकवाड़ ने जुलाई में ट्राफी बनानी शुरू की थी। दिसम्बर में उन्होंने ट्रॉफी बनाने का काम पूरा कर लिया। क्या है टैक्सीडर्मी : टैक्सीडर्मी मरे हुए जानवरों के खाल समेत संरक्षण का विज्ञान है। टैक्सीडर्मी में पहले मृत जानवर की खाल को सावधानी से उतारा जाता है फिर विभिन्न रसायनों के जरिए उसे इस तरह सुखाया जाता है कि खाल के बाल न झड़ें और उसका मूल स्वरूप बरकरार रहे। किसी जमाने में जानवरों की खाल में भूसा भरकर राज-रजवाड़े, रईस लोग और ब्रिटिश शिकारी अपने महलों-हवेलियों में सजाया करते थे।
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बुधवार, 19 जनवरी 2011

ताऊ के शव पर मल लगा कर तंत्र क्रिया कर रहा था , दबोचा

जोग्यूड़ा गांव में कथित प्रेत बाधा का मामला
दो भाई धरे, सुरक्षा के मद्देनजर पीएसी तैनात
नैनीताल (एसएनबी)। मुख्यालय के निकटवर्ती जोग्यूड़ा गांव में प्रेत बाधा से संबंधित ‘राष्ट्रीय सहारा’ में प्रकाशित खबर के मामले में आज नये खुलासे हुए हैं। मामले में मंगलवार को पड़ोसी वृद्ध को सोते हुए खेत में फेंकने वाले आरोपित को पुलिस ने बीती देर रात्रि ही गिरफ्तार कर लिया। वहीं बुधवार सुबह पता चला कि आरोपित का छोटा भाई घर का दरवाजा भीतर से बंद कर अपने मृत ताऊ के शव के साथ कथित तौर पर तांत्रिक क्रिया कर रहा था। पुलिस ने बमुश्किल घंटों की मशक्कत के बाद ग्रामीणों की मदद से शव को कब्जे में लेकर कथित तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया। उसे कई आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है।
मालूम हो, इस मामले में जोग्यूड़ा गांव में किशोर सिंह कनवाल के परिवार पर प्रेत बाधा बताई जा रही है। घर के सभी लोग बीते करीब एक सप्ताह से अजीबो- गरीब हरकतें कर रहे हैं। बीती रात्रि किशोर सिंह के पुत्र राजन सिंह ने रात्रि में घर में सो रहे पड़ोसी 84 वर्षीय बुजुर्ग दीवान सिंह कनवाल का दरवाजा तोड़कर उसे करीब आठ फीट नीचे खेत में फेंक दिया था, जिस कारण दीवान सिंह को काफी चोटें आई थीं। इस पर कोतवाली पुलिस ने बीती देर रात्रि उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। इधर आज ग्राम प्रधान सुनीता देवी व आनंद सिंह, संजय सिंह, मोहन सिंह, कुंदन सिंह, ईर सिंह, देव सिंह, गोविंद सिंह व भूपाल सिंह आदि ने कोतवाली में शिकायत की कि गिरफ्तार किए गए राजन का छोटा भाई सुरेंद्र सिंह उर्फ सुनील तांत्रिक क्रिया करता है। उसके ताऊ मोहन सिंह पुत्र भवान सिंह की कल ही बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी। मोहन सिंह के शव को लेकर सुनील कमरे के भीतर कोई तांत्रिक क्रिया कर रहा है व शव अंत्येष्टि के लिए नहीं दे रहा है। इस पर कोतवाल बीएस धौनी, एसएसआई सलाउद्दीन व मंगोली चौकी पुलिस दल-बल के साथ गांव पहुंचे। बमुश्किल ग्रामीणों एवं गत दिवस ही गठित ग्राम सुरक्षा समिति की मदद से पुलिस दरवाजा तोड़कर भीतर घुसी जहां सुनील मृत ताऊ के शव तथा स्वयं को नग्न कर मल का लेप किये हुए था। उसने अपने पिता व बच्चों को भी भीतर बंधक बनाया हुआ था। पुलिस व ग्रामीणों को देखकर वह लाठी से प्रहार करने लगा। बमुश्किल उसे गिरफ्तार कर पुलिस ने शव को ग्रामीणों को अंत्येष्टि के लिए सौंप दिया। दोपहर बाद दोनों भाइयों का मेडिकल कराकर एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया। राजन पर जानलेवा हमला करने के आरोप में सुनील पर पितापर मुकदमे पंजीकृत किए गए हैं। कोतवाल बीएस धौनी ने बताया कि ग्रामीणों ने उक्त परिवार से आगे भी प्रेत बाधा के प्रभाव में घरेलू जानवरों को खोल देने व हमला, गाली-गलौज करने जैसा खतरा बताया था, जिस पर गांव में एक पुलिसकर्मी तथा एक सेक्शन पीएसी को तैनात रखा गया है।
 (फोटो पर डबल क्लिक करके समाचार पत्र के स्वरुप में अन्यथा अनुवाद कर दुनियां की अन्य भाषाओं में भी पढ़ सकते हैं.)

ताऊ के शव पर तंत्र क्रिया करते दबोचा

जोग्यूड़ा गांव में कथित प्रेत बाधा का मामला
दो भाई धरे, सुरक्षा के मद्देनजर पीएसी तैनात
नैनीताल (एसएनबी)। मुख्यालय के निकटवर्ती जोग्यूड़ा गांव में प्रेत बाधा से संबंधित ‘राष्ट्रीय सहारा’ में प्रकाशित खबर के मामले में आज नये खुलासे हुए हैं। मामले में मंगलवार को पड़ोसी वृद्ध को सोते हुए खेत में फेंकने वाले आरोपित को पुलिस ने बीती देर रात्रि ही गिरफ्तार कर लिया। वहीं बुधवार सुबह पता चला कि आरोपित का छोटा भाई घर का दरवाजा भीतर से बंद कर अपने मृत ताऊ के शव के साथ कथित तौर पर तांत्रिक क्रिया कर रहा था। पुलिस ने बमुश्किल घंटों की मशक्कत के बाद ग्रामीणों की मदद से शव को कब्जे में लेकर कथित तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया। उसे कई आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है। 
मालूम हो, इस मामले में जोग्यूड़ा गांव में किशोर सिंह कनवाल के परिवार पर प्रेत बाधा बताई जा रही है। घर के सभी लोग बीते करीब एक सप्ताह से अजीबो- गरीब हरकतें कर रहे हैं। बीती रात्रि किशोर सिंह के पुत्र राजन सिंह ने रात्रि में घर में सो रहे पड़ोसी 84 वर्षीय बुजुर्ग दीवान सिंह कनवाल का दरवाजा तोड़कर उसे करीब आठ फीट नीचे खेत में फेंक दिया था, जिस कारण दीवान सिंह को काफी चोटें आई थीं। इस पर कोतवाली पुलिस ने बीती देर रात्रि उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। इधर आज ग्राम प्रधान सुनीता देवी व आनंद सिंह, संजय सिंह, मोहन सिंह, कुंदन सिंह, ईर सिंह, देव सिंह, गोविंद सिंह व भूपाल सिंह आदि ने कोतवाली में शिकायत की कि गिरफ्तार किए गए राजन का छोटा भाई सुरेंद्र सिंह उर्फ सुनील तांत्रिक क्रिया करता है। उसके ताऊ मोहन सिंह पुत्र भवान सिंह की कल ही बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी। मोहन सिंह के शव को लेकर सुनील कमरे के भीतर कोई तांत्रिक क्रिया कर रहा है व शव अंत्येष्टि के लिए नहीं दे रहा है। इस पर कोतवाल बीएस धौनी, एसएसआई सलाउद्दीन व मंगोली चौकी पुलिस दल-बल के साथ गांव पहुंचे। बमुश्किल ग्रामीणों एवं गत दिवस ही गठित ग्राम सुरक्षा समिति की मदद से पुलिस दरवाजा तोड़कर भीतर घुसी जहां सुनील मृत ताऊ के शव तथा स्वयं को नग्न कर मल का लेप किये हुए था। उसने अपने पिता व बच्चों को भी भीतर बंधक बनाया हुआ था। पुलिस व ग्रामीणों को देखकर वह लाठी से प्रहार करने लगा। बमुश्किल उसे गिरफ्तार कर पुलिस ने शव को ग्रामीणों को अंत्येष्टि के लिए सौंप दिया। दोपहर बाद दोनों भाइयों का मेडिकल कराकर एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया। राजन पर जानलेवा हमला करने के आरोप में सुनील पर पितापर मुकदमे पंजीकृत किए गए हैं। कोतवाल बीएस धौनी ने बताया कि ग्रामीणों ने उक्त परिवार से आगे भी प्रेत बाधा के प्रभाव में घरेलू जानवरों को खोल देने व हमला, गाली-गलौज करने जैसा खतरा बताया था, जिस पर गांव में एक पुलिसकर्मी तथा एक सेक्शन पीएसी को तैनात रखा गया है।

मंगलवार, 18 जनवरी 2011

चावला की वापसी से पुख्ता हुआ नैनीताल का टोटका

खिलाड़ियों के लिए भाग्यशाली रहा है नैनीताल का फ्लैट मैदान, पीयूष को मिला नैना देवी का आशीर्वाद 
नवीन जोशी, नैनीताल। जुलाई 2008 से टीम इंडिया से बाहर चल रहे क्रिकेटर पीयूष चावला के वि कप टीम में चयन पर जहां खेल प्रेमियों के साथ ही मीडिया के एक वर्ग में भी जहां आश्चर्य प्रकट किया जा रहा है। वहीं नैनीताल के खेल प्रेमी इसे चावला के नगर के फ्लैट मैदान पर खेलने और नगर की आराध्य नैना देवी का आशीर्वाद मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पीयूष जिस दिन नैनीताल में खेले थे, ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने उसी दिन यह संभावना जता दी थी कि पीयूष नैनीताल में खेलने के बाद टीम इंडिया में वापसी कर सकते हैं, लेकिन वह खिलाड़ियों के लिए स्वप्न सरीखे वि कप के लिए भी टीम इंडिया का हिस्सा बन गए हैं, इससे नैनीताल का टोटका एक बार फिर साबित होने के साथ पुख्ता हो गया है। 
उल्लेखनीय है कि चावला बीती 10 दिसम्बर को नैनीताल के फ्लैट मैदान में खेले और इसके 12 दिन के अंतराल में ही ढाई वर्ष बाद वह दक्षिण अफ्रीका में एक दिवसीय मैचों के लिए चुनी गई भारतीय टीम में स्थान बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने में सफल रहे। यह अलग बात है कि चावला को अभी तक इस प्रतियोगिता के अंतर्गत खेले गए दोनों मैचों में अपने प्रदर्शन का मौका नहीं मिला, बावजूद उन्हें वि कप खेलने वाली भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया है। खेल जानकारों के साथ ही कुछ मीडिया रिपोटरे में उनके तथा आर अिन के चयन पर आश्चर्य प्रकट किया गया है, जिस पर नगर के खेल प्रेमियों में हैरानी है। खेल विशेषज्ञ व ख्यातिलब्ध कमेंटेटर हेमंत बिष्ट ने इस संयोग पर हर्ष जताते हुए नगर के साथ इस संयोग के जुड़े रहने की कामना की। नैनीताल जिमखाना एवं जिला क्रीड़ा संघ के महासचिव गंगा प्रसाद साह, क्रिकेट सचिव श्रीष लाल साह जगाती, क्रिकेटर अजय साह, डा. मनोज बिष्ट व विनय चौहान आदि खेल प्रेमियों ने भी पीयूष की वि कप में टीम इंडिया में शामिल होने की सफलता पर नैनीताल नगर की भूमिका रहने पर खुशी जताई, और इसे नगर का सम्मान बताया है
और भी हुए हैं यहां से सफल
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि पर्वतीय पर्यटन नगरी नैनीताल का खेल का मैदान फ्लैट्स कहा जाता है। कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति 18 सितम्बर 1880 को आए नगर को भौगोलिक रूप से परिवर्तित करने वाले महाविनाशकारी भूस्खलन के कारण हुई। यह मैदान बेहद पथरीला और अपनी तरह का अनूठा है। यह हमेशा से बाहर के क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए बेहद भाग्यशाली रहा है, संभवतया इसी कारण खिलाड़ी यहां चोटिल होने की परवाह छोड़ खेलने चले आते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के एक दर्जन से भी अधिक सितारे हैं, जो इस पथरीले मैदान पर खेले और अंतरराष्ट्रीय पटल पर छाने में सफल रहे।                       आशीष विस्टन जैदी से लेकर राजेंद्र सिंह हंस, विवेक राजदान, ज्ञानेंद्र पांडे, राहुल सप्रू, शशिकांत खांडेकर, संजीव शर्मा व विजय यादव के साथ ही प्रवीण कुमार और सुरेश रैना भी यहां हाथ आजमा चुके हैं। खेल जानकारों के अनुसार तब रणजी में खेल रहे ज्ञानेंद्र पांडे को नैनीताल में खेलने के बाद देश की टेस्ट टीम में जगह मिली। इसी तरह 2002 में सुरेश रैना यहां खेले और कुछ ही दिनों बाद उन्हें भारतीय वनडे टीम में खेलने का मौका मिला। इसी प्रकार विजय यादव व प्रवीण कुमार भी नैनीताल में खेले और जल्द ही भारतीय टीम का हिस्सा बनने में सफल रहे। स्वयं चावला भी पूर्व में यहां खेले थे और उन्हें भारतीय टीम में स्थान मिला था, जिसके बाद ही वह इस बार फिर से नैनीताल टोटका आजमाने आए थे और एक पखवाड़े के भीतर ही टोटका सही साबित हुआ। गत 10 दिसम्बर को पीयूष चावला भी मुरादाबाद यूपी की एक क्लब टीम के लिए खेलने आए। इस मैच में चावला ने अपनी 32 रन की पारी में दो गगनचुंबी छक्कों व चार चौकों की मदद से ताबड़तोड़ 45 रन की पारी खेलकर एक ऑलराउंडर के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया।

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चावला की वापसी से पुख्ता हुआ नैनीताल का टोटका

नवीन जोशी, नैनीताल। जुलाई 2008 से टीम इंडिया से बाहर चल रहे क्रिकेटर पीयूष चावला के वि कप टीम में चयन पर जहां खेल प्रेमियों के साथ ही मीडिया के एक वर्ग में भी जहां आश्चर्य प्रकट किया जा रहा है। वहीं नैनीताल के खेल प्रेमी इसे चावला के नगर के फ्लैट मैदान पर खेलने और नगर की आराध्य नैना देवी का आशीर्वाद मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पीयूष जिस दिन नैनीताल में खेले थे, ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने उसी दिन यह संभावना जता दी थी कि पीयूष नैनीताल में खेलने के बाद टीम इंडिया में वापसी कर सकते हैं, लेकिन वह खिलाड़ियों के लिए स्वप्न सरीखे वि कप के लिए भी टीम इंडिया का हिस्सा बन गए हैं, इससे नैनीताल का टोटका एक बार फिर साबित होने के साथ पुख्ता हो गया है। 
उल्लेखनीय है कि चावला बीती 10 दिसम्बर को नैनीताल के फ्लैट मैदान में खेले और इसके 12 दिन के अंतराल में ही ढाई वर्ष बाद वह दक्षिण अफ्रीका में एक दिवसीय मैचों के लिए चुनी गई भारतीय टीम में स्थान बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने में सफल रहे। यह अलग बात है कि चावला को अभी तक इस प्रतियोगिता के अंतर्गत खेले गए दोनों मैचों में अपने प्रदर्शन का मौका नहीं मिला, बावजूद उन्हें वि कप खेलने वाली भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया है। खेल जानकारों के साथ ही कुछ मीडिया रिपोटरे में उनके तथा आर अिन के चयन पर आश्चर्य प्रकट किया गया है, जिस पर नगर के खेल प्रेमियों में हैरानी है। खेल विशेषज्ञ व ख्यातिलब्ध कमेंटेटर हेमंत बिष्ट ने इस संयोग पर हर्ष जताते हुए नगर के साथ इस संयोग के जुड़े रहने की कामना की। नैनीताल जिमखाना एवं जिला क्रीड़ा संघ के महासचिव गंगा प्रसाद साह, क्रिकेट सचिव श्रीष लाल साह जगाती, क्रिकेटर अजय साह, डा. मनोज बिष्ट व विनय चौहान आदि खेल प्रेमियों ने भी पीयूष की वि कप में टीम इंडिया में शामिल होने की सफलता पर नैनीताल नगर की भूमिका रहने पर खुशी जताई है और इसे नगर का सम्मान बताया है।
पूर्व में प्रकाशित खबर 
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बुधवार, 12 जनवरी 2011

काकड़ीघाट (नैनीताल) में मिला था नरेद्र को राजर्षि विवेकानंद बनाने का आत्मज्ञान

यहाँ हुए थे  ‘नरेंद्र’ को अणु में ब्रह्मांड के दर्शन

उत्तराखंड में भी सिमटी हैं स्वामी विवेकानंद की यादें

नवीन जोशी, नैनीताल। भारत को दुनिया में आध्यात्मिक गुरु के रूप में प्रस्तुत करने वाले व युवाओं को सृष्टि के कल्याण के लिए 'जागो, उठो और कर्म करो' का मूल मंत्र देने वाले युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद को आध्यात्मिक ज्ञान नैनीताल जनपद के काकड़ीघाट में प्राप्त हुआ था। विवेकानंद की देवभूमि यात्रा यहीं से प्रारंभ हुई थी। यहां स्वामी जी के अवचेतन शरीर में सिहरन हुई। वह पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए। बाद में उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा था कि उनको काकड़ीघाट में पूरे ब्रह्माण्ड के एक अणु में दर्शन हुए। यही वह ज्ञान था जिसे उन्होंने 11 सितंबर 1893 को शिकागो में पूरी दुनिया के समक्ष रखकर देश का मान बढ़ाया। स्वामी विवेकानंद और देवभूमि का गहरा संबंध रहा है। वह तीन बार देवभूमि आए। 
उनकी पहली आध्यात्मिक यात्रा 1890 में साधु नरेंद्र के रूप में गुरु भाई अखंडानंद के साथ जनपद के काकड़ीघाट से प्रारंभ हुई। वह पहले नैनीताल आये थे, और यहाँ तत्कालीन खेत्री के महाराज के आतिथ्य में रहे थे। कुछ दिन नैनीताल में बिताने के बाद वह पैदल ही काकड़ीघाट पहुंचे, जहाँ उन्होंने कोसी नदी के किनारे पीपल के वृक्ष के नीचे लम्बी तपस्या की, फलस्वरूप उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ कि समूचा ब्रह्माण्ड एक अणु में समाया है। इसी अद्वैत दर्शन के आधार पर उन्होंने  लोगों को बताया कि सूक्ष्म ब्रह्मांड व वृहद ब्रह्मांड ठीक उसी प्रकार एक ही पटल पर स्थित हैं जैसे आत्मा शरीर के अंदर निवास करती है। 
वह अल्मोड़ा की ओर बढ़े। अल्मोड़ा से पूर्व वर्तमान मुस्लिम कब्रिस्तान करबला के पास चढ़ाई चढ़ने और भूख-प्यास के कारण उन्हें मूर्छा आ गई। वहां एक मुस्लिम फकीर ने उन्हें ककड़ी (पहाड़ी खीरा) खिलाकर ठीक किया। उन्होंने कसार देवी के समीप स्थित एक गुफा में भी कुछ समय तक साधना की। इसका जिक्र स्वामी जी ने 1898 में दूसरी बार अल्मोड़ा आने पर किया। अल्मोड़ा में वह लाला बद्री शाह के आतिथ्य में रहे। यह स्वामी विवेकानंद का नया अवतार था। इस मौके पर हिंदी के छायावादी सुकुमार कवि सुमित्रानंदन ने कविता लिखी थी- 
‘मां अल्मोड़े में आए थे जब राजर्षि  विवेकानंद, तब मग में मखमल बिछवाया था, दीपावली थी अति उमंग’
स्वामी जी अल्मोड़ा से आगे चंपावत जिले के मायावती अद्वैत आश्रम भी गए, और तपस्या कर आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया।  उनके अनुयायी कैप्टन जेम्स हेनरी सीवर व सार लौट एलिजाबेथ सीवर ने वर्तमान में मायावती स्थित इस आश्रम की स्थापना की थी। वहां आज भी उनका प्रचुर साहित्य संग्रहित है। अल्मोड़ा में स्वामी जी के गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम से मठ और कुटी आज भी मौजूद है। काकड़ीघाट में भी स्वामी जी के आगमन की यादें और वह "बोधि वृक्ष" पीपल का पेड़ आज भी मौजूद हैं।

2011 में होगा युग परिवर्तन
नैनीताल। स्वामी जी ने भविष्यवाणी की थी कि उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के जन्म (1836) के साथ ही युग परिवर्तन का दौर शुरू हो गया है। देश धन, बल और विज्ञान आदि से इतर आध्यात्मिक शक्ति से वि गुरु के पद को प्राप्त करेगा। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर के निदेशक प्रो. एनएस राणा बताते हैं कि महर्षि अरविंद ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा था कि युग परिवर्तन का संधि काल 175 वर्ष का होता है। यह 1836 के बाद 175 वर्ष अर्थात 2011 में होगा। यानी स्वामी जी की भविष्यवाणी के हिसाब से यह वर्ष वि में आध्यात्मिक तरीके से युग परिवर्तन का वर्ष साबित हो सकता है।


विवेकानंद सर्किट बनाएं
नैनीताल। स्वामी विवेकानंद के देवभूमि में कुमाऊं प्रवास स्थलों को जोड़कर पर्यटन सर्किट बनाने की मांग सालों से की जा रही है। इस पर अमल नहीं हो सका है। इस सर्किट में नैनीताल से काकड़ीघाट, करबला, अल्मोड़ा और चंपावत के मायावती आश्रम को जोड़े जाने की मांग की जा रही है।


'यह युग परिवर्तन की भविष्यवाणी के सच होने का समय तो नहीं ?'  भी पढ़ें:  http://newideass.blogspot.com/2010/12/blog-post.हटमल

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मंगलवार, 11 जनवरी 2011

नैनीताल के पास 3500 वर्ष पुरानी गुफा

पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर सरोवरनगरी से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हाथीखाल क्षेत्र में अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1900 में  बसाए गए बाना गांव के पास कुदरत की एक और नियामत का पता चला है। एक घुमक्कड़ की नजरों में आई अद्भुत गुफा को देख वैज्ञानिक भी दंग हैं। चार मीटर लम्बी और दो मीटर चौड़ी गुफा में ढे़ड दर्जन से अधिक शिव लिंग हैं। हैरत वाली बात यह है कि आम तौर पर प्राकृतिक रूप से मिलने वाले शिवलिंग लाइम स्टोन पर बने होते हैं लेकिन इस गुफा में सैंड स्टोन पर बने हुए हैं।
नैनीताल का निकटवर्ती बाना गांव अचानक ही चर्चाओं में आ गया है। वजह अदुभुत गुफा का मिलना। इस स्थान को बल्दियाखान से करीब तीन और हल्द्वानी के फतेहपुर से करीब एक घंटे पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है. एक स्थानीय घुमक्कड़ दीपक बिष्ट की नजर सबसे पहले साल और बांज के घने जंगलों से घिरी इस गुफा पर पड़ी। उसने वैज्ञानिकों को इसकी जानकारी दी। यूजीसी के वैज्ञानिक व  हजारों वर्षों के दीर्घकालीन मौसम पर शोधरत डा.बीएस कोटलिया ने गुफा का मुआयना कर पाया कि गुफा 3,500 से 4,000 वर्ष पुरानी हो सकती है।  उनका कहना है कि गुफाओं में प्राकृतिक रूप से शिव लिंग चूने के पत्थर पर बनते हैं मगर इस गुफा का भीतरी आवरण बालू की चट्टानों से निर्मित है, बालू एवं चूने की चट्टानों का यह मिश्रण भू-विज्ञान की दृष्टि से बेहद आश्चर्यजनक संयोग है। ऐसा हो सकता है कि गुफा के भीतर जिस पानी से शिव लिंग बने हैं वह पानी केल्सियम कार्बोनेट युक्त हो। डा.कोटलिया ऐसी गुफाओं की ऐसी शिव लिंग नुमा आकृतियों से ही दीर्घकालीन मौसम पर शोध करते हैं. बताया जाता है कि एक वर्ष में एक चालला बनता है लिहाजा छल्लों की संख्या गुफा की आयु बता देती है । शिव लिंग बनने के लिए पानी जिम्मेदार होता है। पानी के अधिक या कम होने की दशा में शिव लिंग की बनावट पर भी प्रभाव पड़ता है। इन तमाम अध्ययनों के बाद जलवायु में हुए परिवर्तन के विषय में जाना जा सकता है। गुफा में करीब एक दर्जन शिवलिंग हैं, तथा देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी उभरी हैं। गुफा के आसपास काफी मात्रा में गंधक भी मौजूद है, जिससे क्षेत्र से भू गर्भीय भ्रंश गुजरने की पुष्टि भी होती है।

रानीखेत-बिनसर बनेगा पर्यटन सर्किट

कुमाऊं मंडल विकास निगम की बोर्ड बैठक में हुआ निर्णय

नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल में पर्यटन गतिविधियों का मुख्य संचालक कुमाऊं मंडल विकास निगम मंडल में रानीखेत, भतरोंजखान व बिन्सर महादेव को जोड़कर नया पर्यटन सर्किट निर्मित करेगा। साथ ही निगम स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए एक दर्जन से अधिक टीआरसी को पीपीपी मोड में देगा। मंगलवार को सूखाताल टीआरसी में नये प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार एवं जीएम दीप्ति सिंह का निगम में स्वागत करने के साथ शुरू हुई बैठक में यह निर्णय लिए गए। इसके साथ ही उपाध्यक्ष रवि मोहन अग्रवाल के प्रस्ताव पर जागनाथ-बागनाथ-बैजनाथ तथा हाट कालिका व पाताल भुवनेर को जोड़ते हुए तथा उपाध्यक्ष माधवानंद जोशी के प्रस्ताव पर एबट माउंटदे वीधूरा-मायावती आश्रम के अन्य सर्किट प्रस्तावों को भी स्वीकार कर लिया गया। अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जीना के घाटे में चल रहे 14 टीआरसी एवं खनन पट्टों को पीपीपी मोड में देने के प्रस्ताव धरोहर राशि बढ़ाने की शर्त पर स्वीकार किए गए। निगम को दैवीय आपदा से हुए 3.5 करोड़ के नुकसान की भरपाई के लिए सीएम से अनुरोध करने, मुख्यालय में कर्मचारियों के कार्य विभाजन के प्रस्तावों को भी अनुमोदन दे दिया गया। बैठक में उपाध्यक्ष रवि मोहन अग्रवाल व माधवानंद जोशी, निदेशक वेद ठुकराल, ठाकुर विश्वास, सुधीर मठपाल, विनोद पांडे व ज्ञान वंसल, मंडलीय प्रबंधक डीके शर्मा, कंपनी सचिव अनिल आर्य, अमिता जोशी, टीएस बोरा व एलडी जोशी सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
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